निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा विज्ञान की जिज्ञासा से भरे एक सफल एवं जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठी?
रामन् के मन में समुद्र को देखकर सबसे पहले यह जिज्ञासा आई कि समुद्र का पानी नीला ही क्यों है। इस प्रकार इस प्रश्न को और आगे बढ़ाते हुए दूसरी जिज्ञासा प्रकट होती है कि कोई और रंग क्यों नहीं होता है।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नीव डालीं?
रामन् के पिता ने उनमें भौतिक एवं गणित जैसे विषयों की एक सशक्त नीव डालीं।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन द्वारा उस ध्वनि के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य को रामन् सबके सामने उजागर करना चाहते थे।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
रामन् एक वैज्ञानिक थे एवं अपने इस रुचि को आगे बढ़ाए रखने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
समुद्र का रंग नीला क्यों होता है? केवल यही एक सवाल था जो ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे हिलोरें ले रहा था।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने प्रकाश को ‘फोटॅान’ नाम दिया क्योंकि वह अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने को अत्यंत सहज बनाया|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
रामन् को बचपन से ही प्रत्येक वस्तु के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य को जानने की एक भूख सी रहती थी। अपने कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने वैज्ञानिक शोधकार्यों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। रामन् की दिली इच्छा थी कि वे नए-नए प्रयोग करें एवं अपना पूरा जीवन शोधकार्यों में लगा दें। लेकिन इस सब के लिए उनके पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी और इसी कारण उन्हें सरकारी नौकरी करनी पडी जोकि बाद में शोध कार्य के लिए छोड़ भी दी|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
वाद्यंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
भारतीय वाद्ययंत्र पश्चिमी वाद्ययंत्र की तुलना में अच्छे नहीं होते हैं ऐसा उस दौर के लोगों का मानना था। रामन् ने वर्षों से फैली भ्रांति एवं गलत सोच को अपनी खोजों से बदलने एवं भारतीय वाघयंत्र विदेशी वाघयंत्रों की तुलना में घटिया है इस सोच को वाघयंत्रों पर की गई खोजों से तोड़ने की कोशिश की।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन सा निर्णय कठिन था?
रामन् उस जमाने के हिसाब से सरकारी विभाग में एक प्रतिष्ठित अफसर के पद पर तैनात थे। उन्हें मोटी तनख्वाह और अन्य सरकारी सुख-सुविधाएँ मिलती थीं। जब आशुतोष मुखर्जी ने रामन् के समक्ष कलकत्ता विश्वविघालय में प्रोफ़ेसर के पद को ग्रहण करने का प्रस्ताव रखा तब रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था। प्रोफ़ेसर की नौकरी की तुलना में उनकी सरकारी नौकरी ज़्यादा वेतन तथा सुख-सुविधाओं से भरी थी। इस प्रकार उस नौकरी को छोड़कर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी करने का फैसला बहुत कठिन था।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया। फिर सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। सन् 1930 उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार-भौतिकी में नोबेल पुरस्कार-से सम्मानित किया गया। सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंततः सन् 1954 में रामन् को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों नें भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
रामन् के अंदर अपने राष्ट्र के प्रति बहुत चेतना थी एवं वैज्ञानिक दृष्टि थी| जब भारत अंग्रेजों के अधीन था तब रामन् को अधिकतर पुरस्कार मिले। उस समय में यहाँ पर वैज्ञानिक चेतना का ख़ासा अभाव था। रामन् के वैज्ञानिक अनुसंधान के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक नई पहचान और सम्मान मिला। रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों से भारत की न सिर्फ वैज्ञानिक चेतना जाग्रत हुई बल्कि भारत का आत्मविश्वास भी बढ़ा और इसके कारण कई भारतीय युवा विज्ञान की पढ़ाई एवं शोध कार्य के प्रति आकर्षित हुए|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
रामन् के प्रारंभिक शोध कार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
व्यक्ति हठयोग में अपने शरीर को असह्य पीड़ा से गुजारता है। रामन् भी कुछ ऐसा ही कर रहे थे। रामन् एक सरकारी नौकरी करते थे। उनका जीवन सरकारी नौकरी में एकदम सुखी और सहजता से चलता था। पूरे दिन अपनी नौकरी करते और फिर उसके बाद बाजार स्थित प्रयोगशाला में वैज्ञानिक शोध करते थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त हो गई थी लेकिन यह उनका विज्ञान के प्रति प्रेम ही था जिसके कारण कलकत्ता में एक छोटी-सी प्रयोगशाला जहाँ उपकरणों की काफी कमी थी फिर भी वे पूरे मनोयोग से अपने शोधकार्य किया करते थे। इसी लगन एवं कठिन परिश्रम से शोध में उनकी रूचि के कारण रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या हैं। स्पष्ट कीजिए?
ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव पर रामन् अध्ययन कर रहे थे। जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं। इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। इस प्रकार गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। ऊर्जा के परिमाण में परिवर्तन के हिसाब से प्रकाश का रंग किसी खास रंग का हो जाता है| परिणामस्वरूप दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती हैं। इस प्रकार रामन् के इस खोज को ‘रामन् प्रभाव’ कहा हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
रामन् प्रभाव की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन कौन से कार्य संभव हो सके?
पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन रामन् की खोज की वजह से सरल हो गया। यह काम पहले इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी द्वारा किया जाता थी| अब यह कार्य रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी द्वारा किया जाने लगा। इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी एक मुश्किल तकनीक है और इसमें गलतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् प्रभाव प्रकाश में परिवर्तन के आधार पर, पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इससे पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थां का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो गया है। इस खोज से कई पदार्थों का कृत्रिम संश्लेषण संभव हो पाया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
देश को वैज्ञानिक दृष्टि के लिए रामन् ने कई महत्वपूर्ण काम किए। इस प्रकार वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन के शुरुआती दिन यादगार रहे क्योंकि उन्हें ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा था। इसीलिए उन्होंने बैंगलोर में एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध—संस्थान की स्थापना की जिसका नाम ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ रखा गया| इंडियन जरनल ऑफ फिजिक्स नामक शोध पत्रिका प्रारंभ कर भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन काल में सैंकड़ों शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए
वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे| रामन् ने हमेशा ये संदेश दिया कि हम विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करें, उन्होंने कहा कि धन के स्थान पर विद्या को महत्त्व देने पर जोर दिया| वे भारत देश की सभ्यता और संस्कृति से बहुत प्रेम करते थे। अपने शोध के प्रति उनका दृढ़ विश्वास विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा-सा भी नहीं डगमगाया और इन्होंने इसके साथ कभी किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया। रामन् के कारण ही दुनिया को पता चला कि समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है, कोई और क्यों नहीं। रामन् का कहना था कि जब हम अपने आस-पास घटने वाली घटनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण करेंगे तो हम प्रकृति के बारे में और बेहतर ढ़ंग से जान पाएँगे।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से ही कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी।
सरस्वती का रामन् पर आशीर्वाद था और इसलिए रामन् सरस्वती के सच्चे साधक थे। वे जिज्ञासु प्रकृति के वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। रामन् एक ऐसी नौकरी में थे जहाँ मोटी तनख्वाह और भरपूर सुख सुविधाएँ मिलती थी| बाद में उन्होंने उस नौकरी को छोड़कर ऐसी जगह नौकरी करने का निर्णय लिया जहाँ वे सारी सुविधाएँ नहीं थीं और वेतन तथा सुख सुविधाएँ भी पुरानी नौकरी की तुलना में बहुत कम थीं लेकिन इस नई नौकरी के साथ वे अपने शोध का कार्य पूरे तन-मन और धन से कर सकती थे| इससे स्पष्ट होता है कि उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख सुविधाओं से कहीं अधिक महत्वपुर्ण थी|
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
हमारे पास ऐसी ही ने जाने कितनी चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
व्यक्ति के विकास का प्रथम सोपान तब होता है जब मस्तिष्क में सवालों का ज्वार उठने लगे| हमारे पास ऐसी अनेक घटनाएँ घटती रहती हैं जिन्हें हम जीवन का एक सामान्य हिस्सा मानकर चलते हैं। परंतु उन्ही चीजों में कोई जिज्ञासु व्यक्ति महत्वपूर्ण वैज्ञानिक रहस्य खोज लेता है। इसी प्रकार रामन् के मन में समुद्र के नीले रंग को लेकर सवाल उठा। ऐसे ही हम अनेक ऐसी चीज़ों से घिरे हुए हैं जिन पर अभी तक कोई भी शोध कार्य नहीं हुआ है। अगर हमारी दृष्टि भी किसी ऐसी ही वस्तु पर पड़े तो हम भी विश्वविख्यात बन सकते हैं और किसी वैज्ञानिक खोज को मूर्त रूप दे सकते हैं|
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
यह अपने आप में एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
हठयोग में हठ का अर्थ है ज़िद और योग का अर्थ है किसी भी कार्य को पूरे मन से करने की प्रबल इच्छा। इस पंक्ति में लेखक रामन् के वैज्ञानिक शोध के लिए किये गए अथक परिश्रम के बारे में बता रहा है। रामन् का अपने शोध कार्य के प्रति दृष्टिकोण एवं निष्ठां इसका प्रमाण है| रामन् उस समय एक ऐसी नौकरी में थे जहाँ मोटी तनख्वाह और अन्य सुविधाएँ मिलती थीं परंतु रामन् ने उस नौकरी को छोड़कर ऐसी जगह नौकरी करने का निर्णय लिया जहाँ वे सारी सुविधाएँ नहीं थीं| लेकिन इस नई नौकरी में रहकर रामन् अपने वैज्ञानिक शोध का कार्य बेहतर ढ़ंग से कर सकते थे। रामन् ने विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर काम कर अपने सपने को सच कर दिखाया। यह वास्तव में आधुनिक हठयोग का उदाहरण है। इसलिए लेखक ने ऐसे काम को हठयोग की संज्ञा दी है।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
1. रामन् का पहला शोध पत्र ..................में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज........................ के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम...................था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान....................नाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए........ का सहारा लिया जाता था।
1. रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
क) प्रमाण......................
ख) प्रणाम..............................
ग) धारणा.....................
घ) धारण..........................
ङ) पूर्ववर्ती.....................
च) परवर्ती.....................
छ) परिवर्तन....................
ज) प्रवर्तन..........................
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से.......................हैं।
ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ...................रूप से नौकरी दे दी गई है।
ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और...........पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
घ) आज बाज़ार में देशी और..............दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
ड) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद............में परिवर्तित हो जाता है|
क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकरी दे दी गई है।
ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
घ) आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
ड) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है-
उदाहरण – चाऊतान को गाने-बजाने में आनंद आता है।
सुख सुविधा --------------------
अच्छा-खासा -------------------
प्रचार-प्रसार --------------------
आस-पास ------------------------
1) सुख सुविधा – सरकारी नौकर में हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त होती है।
2) अच्छा-खासा – राकेश पढ़ने में अच्छा-खासा होशियार था।
3) प्रचार-प्रसार – चुनाव नजदीक आते ही मंत्री जी प्रचार-प्रसार में लग गई।
4) आस-पास – बाजार के आस-पास बहुत भीड़ होती है।3
प्रस्तुत पाठ के आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए-
पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। समान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए-
घंटो खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्याह
१. घंटो खोए रहते :- बहुत देर तक ध्यान में लीन रहना
२. स्वाभाविक रुझान बनाए रखना :- सहज रूप से रूचि बनाए रखना
३. अच्छा-खासा काम किया :- ढेर सारा काम करना
४. हिम्मत का काम था :- कठिन काम
५. सटीक जानकारी :- बिलकुल सही और प्रमाणिक जानकारी
६. काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए :- बहुत अच्छे अंक हासिल करना
७. कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था :- बहुत मेहनत के कार्य पूर्ण करना
८. मोटी तनख्याह :- अधिक तनख्वाह
पाठ के आधार पर मिलान कीजिए-
नीला- कामचलाऊ
पिता- रव
तैनाती- भारतीय वाद्यंत्र
उपकरण- वैज्ञानिक रहस्य
घटिया- समुद्र
फोटॉन- नींव
भेदन- कलकत्ता
पाठ में आए रंगो की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
रंगों की सूची − बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल
अतिरिक्त दस रंगों की सूची– गुलाबी, काला, भूरा, सुनहरा, सलेटी, सिन्दूरी, सफेद, गहरा सुर्ख, हल्का पीला, खाकी।
नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
१. राम के कार्य को पूर्णता तक पहुँचाने में निश्चित रूप से सीता का ही हाथ है|
२. सकारात्मक भावनाओं से ही मनुष्य सफल होता है।
३. ओलम्पिक के खिलाड़ी अपनी ही वीडियो देखते हैं।
४. अभी भी मनुष्य के सोचने का तरीका पुराना ही है।
५. हम उतनी ही खुशी अनुभव कर सकते हैं जितना हम स्वयं को योग्य समझते हैं।
विज्ञान का मानव विकास में योगदान विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
विज्ञान की अभूतपूर्व खोजों से संपूर्ण विश्व मानो सिमटता हुआ प्रतीत हो रहा है। आज के दौर में विज्ञान का बहुत महत्त्व है और हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान व्यापक प्रभाव डाल रहा है| चिकित्सा, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, खेल, नौकरियाँ, पर्यटन आदि क्षेत्रों में विज्ञान ने व्यापक प्रभाव डाला है और इसके कारण इन क्षेत्रों में बहुत सारे परिवर्तन एवं सुधार भी आये हैं| आज मीलों दूर बैठा व्यक्ति विज्ञान के कारण अपने परिवार से निरंतर बात कर सकता है। विज्ञान के कारण इनसान इस धरती के हर कोने में एक छोर से दूसरे छोर तक वायुयान, जलयान अथवा रेलगाड़ी के माध्यम से संभव है| विज्ञान ने हेलिकोप्टर , हवाई जहाज जैसे यंत्रों का अविष्कार करके मनुष्य के सुख को चर्म सीमा तक पहुँचा दिया है। विज्ञान ने मनुष्य के मनोरंजन के अनेक साधन प्रदान किये हैं। विज्ञान ने टेलीविजन, रेडियो, फोन, ग्रामोफोन, सिनेमा का अविष्कार करके मनुष्य के जीवन को बहुत ही रोचक बनाया है। जहाँ पर सिनेमा को मनोरंजन के लिए प्रयोग किया जाता है। सिनेमा को शिक्षा के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।
भारत के किन-किन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला है? पता लगाइए और लिखिए।
१. सी वी रामन्
२. अमर्त्य सेन
३. वेंकटरमन रामकृष्ण
न्यूटन के आविष्कार के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के बल के तीन नियम की खोज की। इसमें न्यूटन ने बताया कि सभी ग्रह अपने गुरुत्वाकर्षण के बल से बंधे होने की वजह से ही ब्रह्माण्ड में स्थिरता पाता है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही आकाशगंगा व तारों की उत्पत्ति हुई। पृथ्वी पर समुद्र और वायुमंडल का होना संभव हुआ। फिर न्यूटन ने गति के तीन नियमों की खोज की। पहला और दूसरा नियम अरस्तु की भौतिकी को तोड़ने का प्रतिनिधित्व करते है एवं न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बल और गति के तीन नियम की खोज की और वर्ष 1687 में “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों” का एक शोध प्रपत्र प्रकाशित हुआ। वर्ष 1687 में न्यूटन की पुस्तक फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका प्रकाशित हुई जो विज्ञान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है।