निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर में रह रहा है?
अतिथि चार दिन से लेखक के घर में रह रहा था और उसके बाद भी उसने जाने के बारे में नहीं सोचा था|
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
कैलेंडर की तारीखें किस तरह फडफडा रही हैं?
कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से किसी पक्षी के पंखों की तरह फड़फड़ा रही हैं।
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
पति-पत्नि ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
लेखक ने अतिथि का मुस्कान के साथ गले लगाकर स्वागत किया और उनकी पत्नी ने अतिथि को सादर प्रणाम किया उनके स्वागत में अच्छा भोजन बनाया, मिठाइयाँ बनायी|
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गयी?
दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गयी थी|
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने लोंड्री में कपड़े देने के लिये कहा क्योंकि उनके कपड़े गंदे हो गये थे ओर उनको धुलाने थे|
निम्मलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर डिनर के स्थान पर खिचड़ी बनने लगी और दो प्रकार की सब्जी, सलाद, रायता के स्थान पर सादा खाना बनने लगा| अर्थात लजीज खाने के स्थान अब सादा खाने ने ले लिया|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
लेखक अतिथि को सम्मानजनक और भावपूर्ण विदाई देना चाहते थे लेखक और उनकी पत्नी ने पहले दिन अतिथि का बहुत अच्छे से आदर-सत्कार किया था लेखक ने उनके साथ ढेर सारी बाते की, उन्होंने खूब ठहाके भी लगाये| लेखक अतिथि का भरपूर सत्कार कर चुके थे और वे अगले दिन अतिथि को सम्मानपूर्वक विदा करना चाहते थे| लेकिन अतिथि लेखक और उसके परिवार के लिए विवशता का पर्याय बन गए थे और इस प्रकार लेखक जैसी विदाई अतिथि को देना चाहते थे नहीं दे पाए|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए-
क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।
घ) मेरी सहनशीलता कि वह अंतिम सुबह होगी।
ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
क) अन्दर ही अन्दर बटुआ काँप जाने से लेखक का अर्थ- अतिथि के घर आने से उनके रहने और खाने-पीने से होने वाले खर्चे के से है क्योंकि किसी अतिथि के घर में आने से उसके आदर सत्कार में बहुत खर्च हो जाता है| इसी कारण लेखक का अन्दर ही अन्दर बटुआ काँप गया|
ख) हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता के समान माना गया है क्योंकि अतिथि कुछ समय के लिए ही आते हैं और वापस लौट जाते है लेकिन जब अतिथि ज्यादा दिन रुक जाये तो मानव और राक्षस लगने लगता है|
ग) होम ‘स्वीट होम’ उस घर में रहने वाले लोगो से, उनकी ख़ुशी से बनता है पर जब कोई अनचाहा मेहमान वहाँ आकर रहने लगे तो वह उस होम अथवा घर की स्वीटनेस समाप्त हो जाती है|
घ) जब अतिथि चार दिन तक लेखक के घर से नहीं जाता है तो लेखक सोचता है की कल की सुबह मेरी सहनशीलता की अंतिम सुबह होगी|
ङ) भारतीय सस्कृति में मेहमान को देवता के समान माना गया है लेकिन जब वह ज्यादा दिन तक रुकता है तो मेजबान पर बोझ बन जाता है इसीलिए कहा है कि देवता और मनुष्य ज्यादा देर साथ नहीं रहते|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
अतिथि को घर आये दो दिन हो चुके थे और लेखक को उम्मीद थी की शायद तीसरे दिन अतिथि चला जायेगा लेकिन जब तीसरे दिन अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की तो लेखक के लिए ये अप्रत्याशित आघात था। धोबी को कपड़े धुलने देने का मतलब था कि अतिथि अभी और कुछ दिन रुकना चाहता है। इस आघात का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस समझने लगा। उनके सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना’- इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जब लेखक के घर अतिथि आया तो लेखक व उनकी पत्नी ने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। अतिथि के स्वागत के लिए शानदार डिनर बनाया, उनके साथ बहुत सारी बातें की, ठहाके लगाये। लेखक ने उस एक दिन के लिए मेहमानवाजी में कोई कमी नही रखी लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। संबंधो की मधुरता, कटुता में परिवर्तित हो गयी। लेखक एवं अतिथि के बीच होने वाली सारी बातचीत समाप्त हो गयी| सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी और लेखक अतिथि को गेट आउट तक कहने के लिए मजबूर हो गये ताकि अतिथि किसी प्रकार उनके घर से चले जाएँ|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में निम्न परिवर्तन आये-
लेखक कलेंडर के पेज बदलकर अतिथि को जाने के संकेत देने लगा, बातचीत के सारे विषय समाप्त हो चुके थे और अब उनके बीच बातचीत बंद हो गयी थी, घर में शानदार डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी, लेखक के सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो चुकी थी और लेखक एवं उसका परिवार सिर्फ यही सोचता रहता था कि अतिथि कब जाएगा और उन्हें थोडा सुकून मिलेगा|
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए-
चाँद
जिक्र
आघात
ऊष्मा
अंतरंग
चाँद – चन्द्रमा, शशि
जिक्र - चर्चा, उल्लेख
आघात - चोट, प्रहार
ऊष्मा - तपन, गर्मी
अंतरंग - आत्मीय, आतंरिक
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए-
क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत काल)
घ) इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)
ङ) कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे|
ख) क्या किसी लौंड्री पर दे देने से जल्दी धुल जाएँगे?
ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी|
घ) इनके कपड़े धोबी हाउस देने हैं|
ङ) ये कब तक नहीं टिकेंगे|
‘अतिथि देवो भव‘ उक्ति की व्याख्या करें तथा आधुनिक युग के संदर्भ में इसका आकलन करें।
‘अतिथि देवो भव’ उक्ति का अर्थ है- अतिथि देवता के समान होता है| आधुनिक युग के सन्दर्भ में यह उक्ति तर्क-संगत नहीं है, क्योंकि नयी पीढ़ी के सोच-विचार और तौर-तरीके बदलते जा रहे हैं| आधुनिक युग में लोग अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हो गए है की उनके पास अतिथियों के आदर-सत्कार के लिए वक्त नही हैं| करियर बनाने और पैसे कमाने में लोग ज्यादा ध्यान देने लगे हैं|
विद्यार्थी अपने घर आए अतिथियों के सत्कार का अनुभव कक्षा में सुनाएँ।
बीते कुछ दिनों की बात है जब मेरे मौसाजी और उनका बेटा श्याम हमारे घर आये थे| मेरे मौसाजी का बेटा श्याम मुझसे दो साल छोटा है| घर में मौसाजी की बहुत अच्छे से खातिरदारी की गयी उन्होंने मुझसे भी बातें, साथ ही मेरी पढाई के बारे में, मेरे दोस्तों के बारे में पूछा और मैंने और राहुल ने साथ में मिलकर बहुत मस्ती की| सीधी शब्दों में कहूँ तो मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा|
अतिथि के अपेक्षा से अधिक रूक जाने पर लेखक की क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुई, उन्हें क्रम से छाँटकर लिखिए।
अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुकने पर लेखक ने निम्न प्रतिक्रियाएँ की-
क. शानदार डिनर के स्थान पर खिचड़ी अर्थात सादा भोजन बनने लगा और उपवास तक रखने के बारे में सोचा
ख. लेखक सोचने लगे की देवता और मानव एक साथ ज्यादा दिन तक नही रह सकते तो अतिथि तुम जाओ|
ग. अतिथि एवं लेखक के बीच संवाद लगभग ख़त्म हो गया था|
घ. लेखक के सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी और वे अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए मजबूर हो गये|