निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?
आज कल इलाकों को बसने में समय नहीं लगता है। हर दिन नए मोहल्ले बसते हैं। जब कवि उन रास्तों से गुजरता है तो उसे सबकुछ नया सा लगता है। उसने जो निशानियां याद की हुई होती हैं वो सब बदल जाती हैं। इससे कवि रास्ता भूल जाता है। उसे दिशा भ्रम हो जाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?
कवि ने इस कविता में नए बसते इलकों का सजीव उल्लेख किया है। घर को याद रखने के लिए कवि कुछ निशानियां याद कर लेता है।
जैसे पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, खाली जमीन का टुकड़ा, दो मकान, बिना रंगवाले लोहे के फाटक और एक मंजिला घर आदि। इन्हीं के सहारे वो अपनी मंजिल तक पहुंचता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि एक घर पीछे या दो घऱ आगे क्यों चल देता है?
नए बसते इलाकों के चलते वो निशानियां मिट गई हैं जो कवि ने याद की हुई थीं। जब वो रास्ते पर चलता है तो उसे सब नया सा लगता है। वो रास्ता भटक जाता है और इसलिए एक घर पीछे या दो घर आगे चला जाता है ताकि उन निशानियों का पता लगा सके| नए मकानों के बनने से कवि को अपनी ही याददाश्त पर भरोसा नहीं होता।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?
‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से तात्पर्य एक लंबे अंतराल से है| जिस प्रकार से इन दोनों ऋतुओं के बीतने के दौरान वातावरण की परिस्थितियों में व्यापक परिवर्तन आ जाता है| उसी प्रकार कवि भी बहुत दिनों के बाद वापस लौटा है और इसी कारण से उस स्थान की परिस्थितियों में बहुत अधिक परिवर्तन आ गया है| इस पंक्ति का यही अभिप्राय है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर क्यों इशारा किया है?
मोहल्ले बस जाने के कारण कवि को सही घर ढूंढने में बहुत परेशानी हो रही है क्योंकि वो निशानियां जो उसे याद थी अब गायब हो चुकी हैं| इससे समय बर्बाद हो रहा है। वहीं हर कोई अपने अपने काम में व्यस्त है तो कोई उसकी मदद भी नहीं कर रहा है। कवि के मन में उम्मीद है कि कोइ व्यक्ति उसे पहचानकर बुला ले।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
कवि रोज बस रहे नए मोहल्लों से परेशान है। एक ही दिन में नई चीजें पुरानी सी लगने लगती हैं। कवि सोचता है कि इस परिवर्तनशील समाज में मनुष्य भी संवेदनहीन हो गए हैं। विकास के चलते मनुष्यों का प्रेमभाव भी समाप्त हो गया है। सब अपने में मस्त रहते हैं। कुछ तो अपने पड़ोसियों तक को नहीं जानते।। सब अपने अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि कोई किसी की मदद तक नहीं करता। कवि रास्ता भटक गया है। उसे दिशा भ्रम हो गया है लेकिन कोई उसकी मदद को नहीं आ रहा।
व्याख्या कीजिए-
क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ने कोई पहचाना ऊपर से देखकर
क) रोज बदलती दुनिया में कवि को अपनी याददाश्त पर भरोसा नहीं होता। रोज ही नए मोहल्ले बस रहे हैं। एक दिन में पूरी दुनिया बदल जाती है। कवि ने जो रास्ते याद किए थे उस पर अब नए मकान खड़े हो गए हैं। कवि को वो निशानियां ढूंढने में मुश्किल हो रही थी जिनके सहारे वो घर तक पहुंचता। उसे दिशा भ्रम हो गया। ऐसे में उसे अपनी याददाश्त पर शक होने लगा।
ख) रास्ता ढूंढते-ढूंढते शाम हो चली है। रोज उन गलियों में घूमने वाले कवि को लगता है कि ये दुनिया नई है। उसे ढहा हुआ घर, खाली जमीन और बिना रंग वाला फाटक जैसी निशानियां नजर नहीं आ रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे वहां बहुत दिन बाद लौटा हो, शाम ढल रही है, समय कम है। बारिश भी होने वाली है। अब कवि को लग रहा है कि काश! कोई उसे पहचान ले और पुकारे और उसे सही
पते तक पहुँचा दे|
योग्यता-विस्तार
पाठ में हिंदी महीने के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।
हमारे देश में अंग्रेजी की तरह हिंदी में भी महीनों के नाम होते हैं। ये नाम मौसम के आधार पर रखे जाते हैं। छात्रों को हिंदी के इन नामों की क्रमबद्ध रूप से जानकारी होनी चाहिए। जानें हिंदी के महीनों के नाम–
1. चैत्र
2. बैसाख
3. ज्येष्ठ
4. आषाढ़
5. श्रावण
6. भाद्रपद
7. अश्विन
8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष
10. पौष
11. माघ
12. फाल्गुन
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में कहाँ-कहाँ रहते हैं?
कवि ने इस कविता में अगरबत्ती बनाने वालों की स्थिति का चित्रण किया है। वे लोग तो खुशबू को रचते हैं लेकिन उनकी खुद की जिंदगी तंग और बदबूदार गलियों में गुजरती है। अगरबत्ती बनाने वाले अक्सर गंदे मोहल्ले, कूड़े के ढेर के बीच और बड़े शहरों की झोपड़पट्टियों में रहते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?
अगरबत्ती का व्यापार करने वाले लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर होते हैं। वे कम पैसों में खुशबूदार अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं। अगरबत्ती बनाने वालों के हाथ तरह-तरह के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे होते हैं। कुछ बच्चे भी ये काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नए पत्ते समान होते हैं। किसी के हाथ जख्म से फटे होते हैं। कुछ कारीगरों के जख्म के कारण हाथ फटे भी होते हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबु रचते हैं हाथ’?
खुशबू रचते हैं हाथ से कवि का तात्पर्य उन हाथों से जो अगरबत्तियां बनाते हैं। इन हाथों से बनाई हुईं खुशबूदार अगरबत्तियां दूर-दूर तक जाती हैं और खुशबू फैलाती हैं। लेकिन अगरबत्तियां बनाने वालों का जीवन खुशबूदार नहीं हो पाता। वे कम कीमत पर इन अगरबत्तियों को तैयार करते हैं। अगरबत्तियां बनाने वाले अक्सर गंदे मोहल्ले, कूड़े के ढेर के बीच और बड़े शहरों की झोपड़पट्टियों में रहते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?
जहाँ अगरबत्तियां बनती हैं वहाँ का माहौल बहुत ही खराब होता है| अगरबत्तियो का निर्माण बहुत गंदे स्थानों के पास, झोपड़-पत्तियों में अथवा शहर के कम विकसित इलाकों में किया जाता है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
कवि की ये कविता अगरबत्ती बनाने वालों को समर्पित है। इस कविता के जरिए उन्होंने ये बताने की कोशिश की है कि खुशबू का निर्माण करने वाले लोगों के जीवन में खुशबू नहीं होती है। उनका जीवन अंधेरी, बदबूदार और तंग गलियों के बीच ही गुजरता है। वे मजबूरी में कम पैसों पर ऐसे कार्य को करते हैं। बदहाली और विषम परिस्थितियां उन्हें ये काम करने पर मजबूर करती हैं।
व्याख्या कीजिए-
• पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
जूही की डाल-से खुशबुदार हाथ
• दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबु
रचते रहते हैं हाथ
• कवि ने कहा है कि अगरबत्ती बनाने वालों के हाथ तरह-तरह के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे होते हैं। कुछ बच्चे भी ये काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नए पत्ते समान होते हैं। कुछ लड़कियां भी अगरबत्तियां बनाती हैं जिनके हाथ जूही की डाल के समान होते हैं। किसी के हाथ जख्म से फटे होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे होते हैं।
• अगरबत्तियां बनाने वाले दूसरों के घरों में खुशबू फैलाने का काम करते हैं। उनकी बनाई हुई अगरबत्तियां दूर-दूर तक जाती हैं। लेकिन उनका खुद का जीवन खुशबूदार नहीं हो पाता। अगरबत्तियां बनाने वाले अक्सर गंदे मोहल्ले, कूड़े के ढेर के बीच और बड़े शहरों की झोपड़पट्टियों में रहते हैं। इतनी गंदगी में रहते हुए वो पूरी दुनिया को महकाने का काम करते हैं।
व्याख्या कीजिए-
कवि ने इस कविता में ‘बहुबचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है?
कवि ने इस कविता में अगरबत्ती बनाने वाले, गलियों, नाखूनों, नालों, गंदे हाथों, मोहल्ले, आदि बहुवचन का प्रयोग किया है। कवि ने इन बहुवचन के द्वारा बताना चाहा है कि यहां एक कारीगर या एक मजदूर काम नहीं करता। अगबत्तियां बनाने के लिए पूरा झुंड काम करता है। ये किसी एक के बस का काम नहीं है। कवि ने बल देने के लिए इन बहुवचन शब्दों का प्रयोग किया है।
व्याख्या कीजिए-
कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?
कवि ने हाथों के लिए निम्न विशेषणों का प्रयोग किया है-
उभरी नसोंवाले
घिसे नाखूनोंवाले
पीपल के पत्ते से नए-नए
जूही की डाल से खुशबूदार
गंदे कटे-पिटे
जख्म से फटे हुए|
योग्यता विस्तार
अगरबत्ती बनाना, माचिस बनाना, मोमबत्ती बनाना, लिफ़ाफ़े बनाना, पापड़ बनाना, मसाले कूटना आदि लघु उद्योगों के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।
ये सभी लघु उद्योग हैं जिनमे छोटे स्तर पर विभिन्न उत्पादों को तैयार किया जाता है| जैसे- अगरबत्ती, माचिस, मोमबत्ती, लिफाफा, पापड़ आदि| इन उद्योगों में उत्पादन का कार्य मूल रूप से गरीब मजदूरों द्वारा किया जाता है| भारत के लघु उद्योगों में अभी भी मशीनीकरण नहीं हो पाया है| वर्तमान में भी भारत के लघु उद्योगों में उत्पादन के लिए मजदूरों का सहारा ही लिया जाता है लेकिन ये राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| इनके द्वारा तैयार उत्पाद नागरिकों की रोज मर्रा की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं| इन उद्योगों से बड़े स्तर पर अकुशल लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो जाता है|