निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?
आज धर्म के नाम पर चारों ओर गोरखधंधा हो रहा है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए लोगों का ध्यान कर्म की प्रधानता स्थापित करने हेतु उन्मुख होना चाहिए। सारा प्रयास इसी हेतु उद्यमित होना चाहिए।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन सबसे बुरा था?
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का सबसे बुरा वह था जब हमने धर्म के ठेकेदारों को आवश्यकता से अधिक महत्त्व देना शुरू कर दिया और उनकी बातों में आकर हम धर्म के नाम पर बंट गए| धर्म की आङ लेकर स्वाधीनता आंदोलन के दौरान लोगों में नफरत का बीज बोया गया और ऐसा करने में धर्म के ठेकेदार सफल भी रहे|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में धर्म के प्रति गलत धारणा घर कर बैठी है। वे धर्म की व्याख्या गलत ढंग से समझ रहे हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
धर्म के स्पष्ट चिन्ह क्या हैं?
साधारण से साधारण आदमी के दिल में यह बात घर करके बैठ गयी है कि धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देना भी उचित है लेकिन उस व्यक्ति को धर्म के तत्वों का सही ज्ञान नहीं है| वह व्यक्ति जिसे धर्म एक तत्वों का अल्प ज्ञान है धर्म की बात आने पर बड़ी आसानी से भड़क जाता है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?
चलते-पूरजे लोग धर्म के नाम नासमझ और मुर्ख लोगों की शक्ति और उत्साह का दुरूपयोग करते हैं| वे उन्हें अपनी बातों में उलझाकर धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्य करवा लेते है| ये लोग धर्म की आङ लेकर निकृष्टतम कार्य करने में भी परहेज नहीं करते हैं। इनकी नियत मुंह में राम बगल में छुरी वाली होती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?
चालाक लोग साधारण आदमी की भोली-भाली अवस्था का लाभ उठाते हैं। वे उसकी धर्म के प्रति आस्था का लाभ उठाते हैं| एक सामान्य व्यक्ति धर्म की बात आने पर उस पर सवाल नहीं उठाता, उस बात पर शंका नहीं करता और इसी का फायदा चालाक लोग उठाते हैं| चालाक लोग एक साधारण व्यक्ति की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर उससे धर्म एक नाम पर ऐसे कार्य पूर्ण करा लेते हैं जो पूर्णतः गलत है| चालाक लोग एक साधारण व्यक्ति की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर, उसकी मन: स्थिति भांपकर अपनी चालाकी से उसका भरपूर शोषण करते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?
आने वाला समय व्यापार बने धर्म को टिकने नहीं देगा। साथ ही वे लोग जो धर्म के नाम पर हर प्रकार के ग़लत कार्यों को अंजाम दे रहे हैं| आने वाला समय उन्हें भी नहीं टिकने देगा| आधुनिक समय में आमलोगों के जागरूक होने से इस प्रकार के धर्म का टिक पाना आसान नहीं है। अब लोगों ने धर्म के नाम पर किया जाने वाले प्रत्यके कार्य के लिए तर्कसंगत सवाल पूंछने शुरू कर दिए हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा?
धर्म के नाम पर लोगों को बांटना, धर्म के नाम पर लोगों के बीच मतभेद पैदा करना एवं धर्म के नाम पर इस प्रकार के अन्य कार्यों को देश की स्वाधीनता जे विरुद्ध समझा जाएगा| क्योंकि धर्म एक व्यक्तिगत विषय है और प्रत्यके व्यक्ति अपने व्यक्तिगत विषयों के संबंध में अपने विवेकानुसार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है| इस प्रकार धर्म के नाम पर लोगों के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप करना उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है और देश की स्वाधीनता लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है| अतः लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखलंदाजी देश की स्वाधीनता के विरुद्ध है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में अन्तर उनकी स्टेटस को लेकर है। अमीरों का यह स्टेटस गरीबों की छाती पर मूंग दलकर बनाया गया प्रतीत होता है और उन देशों में ऐसा हमेशा से चलता है| वहाँ के गरीब हमेशा से गरीब हैं जबकि उनकी मेहनत की कमाई के दम पर वहाँ के अमीर हमेशा से अमीर रहे हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?
परोपकारी लोग धार्मिक लोगों से कहीं अधिक अच्छे हैं। ये परोपकारी लोग ही वास्तव में पुण्य के अधिकारी हैं और धर्मशास्त्रों में भी परोपकार: पुण्याय कहकर इस बात की पुष्टि की गई है। परोपकारी लोग धर्म के नाम पर कुछ भी गलत नहीं करते बल्कि बिना किसी उद्देश्य के बस लोगों की भलाई करते हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?
धर्म और ईमान के नाम पर चल रहे भीषण व्यापार को इसके मूल में प्रहार कर ही रोका जा सकता है। कहने का अर्थ है जब लोग जागरूक होंगे तब यह व्यापार अपने आप रुक जायेगा। इस हेतु या कहें समाज में जागरूकता फैलाने हेतु लोगों को शिक्षित किया जाना आवश्यक है।
लोगों जब शिक्षित हो जायेंगे तो वे धर्म की आड़ में अपना गोरखधंधा चलाने वाले लोगों की बातों पर विचार नहीं करेंगे| धर्म और ईमान के नाम पर किये जाने वाले भीषण व्यापार को इसी प्रकार से रोका जा सकता है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
‘बुद्धि पर मार’ के संबंध मे लेखक के क्या विचार हैं?
लेखक बुद्धि पर मार’ वाक्यांश का प्रयोग धर्म के ठेकेदारों द्वारा साधारण लोगों की बुद्धि पर किये गये मार के संबंध में करता है। लेखक का इस वाक्य से तात्पर्य है कि धर्म के ठेकेदार आम लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भर देते हैं जिनसे वे गुमराह हो जाते हैं| इस प्रकार के विचार उनके सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर देते हैं, उन्हें आपस में लडवा देते हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना लोगों की आस्था से जुड़ी रहने से यह किसी भी व्यक्ति के लिए एक बिल्कुल ही निजी मामला है। यह लोगों की स्वतंत्रता है कि वे धर्म को मानें या फिर नहीं मानें। किसी भी व्यक्ति को किसी धर्म को मानने हेतु विवश नहीं किया सकता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
महात्मा गांधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
महात्मा गांधी के धर्म संबंधी विचार उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित थे। वे सनातन धर्म को मानने वाले वर्ग से आते अवश्य थे पर उनके हृदय में किसी अन्य धर्म के प्रति अनास्था का भाव नहीं था। उनका मानना था कि दुनिया का प्रत्येक धर्म श्रेष्ठ है और किसी भी धर्म से भेदभाव नहीं करना चाहिए| वे दुनिया के सभी धर्मो को एकसमान मानते थे और किसी भी व्यक्ति से धर्म के आधार पर किये गए भेदभाव के खिलाफ थे|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना अति आवश्यक है। हम अपना आचरण सुधार कर इसे दूसरों के सामने एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर ही दूसरों को सन्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित कर सकते हैं। सब के कल्याण हेतु हमारा ऐसा करना आवश्यक है।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
लेखक गणेश शंकर विद्यार्थी प्रस्तुत निबंध ‘धर्म की आङ’ में साधारण आदमी को धर्म की हानि के मामले में उन्माद से भरा हुआ पाते हैं। उनका इस संबंध में कहना है कि यह काम धर्म के तथाकथित ठीकेदारों का है। ये लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म की हानि का एक छद्म माहौल बनाते हैं। साधारण लोग जागरूकता की कमी के कारण इन तथाकथित धर्माधिकारियों के बिछाये जाल में फंस जाते हैं। वे फिर अपने इन आकाओं के आदेश पर एक रिमोट कंट्रोल बनकर मार-काट पर उतारू हो जाते हैं। वास्तव में चालाक लोगों के जाल में फंसे ये लोग निरे मूर्ख ही होते हैं और इन्हें अपनी मूर्खता की कीमत कभीकभी अपनी जान देकर चुकानी पङती है।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
धर्म के तथाकथित ठेकेदार लोग पहले साधारण लोगों के बीच धर्म की गलत व्याख्या कर उनके मन में धार्मिक उन्माद पैदा करते हैं। ऐसा वे साधारण लोगों की अर्धशिक्षित मनोदशा का लाभ उठाकर करते हैं। वो लोग इनके मन में दूसरे धर्म के प्रति नफरत का बीज बोते हैं। इस प्रकार वो लोग इनके मन को पूरी तरह हिप्नोटाइज कर इनसे मनमाना कार्य कराकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। ये लोग उन ईश्वर बने तथाकथित लोगों के आदेश का पालन करने में जरा भी नहीं हिचकते हैं क्योंकि ये लोग उनके हाथ की कठपुतली बन चुके होते हैं। लेखक वास्तव में आधुनिक युग में लोगों में बढी जागरूकता के आधार पर ही ऐसा संभव प्रतीत होना मानते हैं। वे समाज में बढी इस जागरुकता के आधार पर ही आने वाले समय में समाज में किसी भी व्यक्ति के भलमनसाहत की कसौटी उनके पूजा-पाठ आदि पर निर्धारित नहीं मानते हैं। वे बल्कि इसे उस व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ किये गये व्यवहार पर आधारित होना मानते हैं।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।
लेखक प्रस्तुत पंक्तियों में हमें भविष्य में सामाजिक और धार्मिक कसौटी के पूरी तरह बदल जाने के बारे में आगाह कर रहा है। उनका इस संबंध में हमें अपने द्वारा ही हमारे व्यक्तित्व को दूसरों के परिपेक्ष्य में और दूसरों का हमारे परिपेक्ष्य में आकलन परस्पर अच्छे आचरण द्वारा निर्धारित होना अनुकूल मानना है। वे अब और आगे स्वार्थी लोगों द्वारा धर्म का धंधा चला पाने की संभावना से इंकार कर रहे हैं। वे समाज में सिर्फ सदाचरण रखने वाले लोगों के भले माने जाने की बात हमसे कह रहे हैं| यानी भविष्य में लोगों का पूजा पाठ अथवा धार्मिक धंधा नहीं देखा जाएगा बल्कि उनकी भलमनसाहत ही उनके आचरण की कसौटी होगी|
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्य कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!
लेखक प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर के प्रिय लोग केवल मनुष्यत्व की भावना रखने वाले लोगों को मान रहे हैं। वे धर्म का गोरखधंधा करने वाले लोगों को ईश्वर का प्रिय पात्र मानने से इंकार कर रहे हैं। इस बारे में उनका साफ मानना है कि ईश्वरत्व की महिमा ऐसे लोगों द्वारा गलत ढंग से परिभाषित करने पर कम ना होगी और ऐसे लोग ईश्वर को प्रिय भी नहीं हैं यहां तक कि ईश्वर को इनके द्वारा प्रशंसा भी नापसंद है। ये लोग ईश्वर को केवल और केवल अपनी पशुता छोङने पर ही प्रिय होंगे। ईश्वर की ओर से लेखक का ऐसे लोगों को अपनी पशुतुल्य मानसिकता को छोङकर मनुष्यता को अपनाने का आह्वान किया गया है।
उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए-
धर्म
ईमान
साधारण
स्वार्थ दुरुपयोग
नियंत्रित
स्वाधीनता
निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द लिखिए-
ला, बिला, बे, वद, ना, खुश, हर, गैर
ला- लाङला, लापरवाह
बिला- बिलावजह, बिलानागा बे- बेबुनियाद, बेअसर वद- बदनीयती, बदनामी ना- नापसंद, नालायक खुश- खुशफहमी, खुशनुमा, हर- हर्ष, हरदम गैर- गैरजमानती, गैरकानूनी
उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए-
उदाहरणः देव + त्व – देवत्य
मनुष्य+त्व= मनुष्यत्व
पशु+त्व= पशुत्व
मनुज+त्व= मनुजत्व
दानव+त्व= दानवत्व
राक्षस+त्व= राक्षसत्व
निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरणः चलते-पुरज़े
समझता-बूझता
पढे-लिखे
दीन-हीन
नित्य-प्रति
पंच-वक्ता
पूजा-पाठ
स्वार्थ-सिद्धि
ला-मजहब
‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण- आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।
(क) आज भी दुनिया में अच्छे लोग हैं।
(ख) मेरे साथ महेश भी जायेगा।
(ग) वहां रमेश के जाने की भी संभावना है।
(घ) तुम्हारे बिना मैं भी एकेला हो जाउंगा।
(ङ) मेरे कहने पर भी वह राजी नहीं हुआ।
“धर्म एकता का माध्यम है” इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए-
धर्म एकता का माध्यम है यह सत्य है| प्राचीनकाल से ही धार्मिक पहचान लोगों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है| समाज में भिन्न लोग धार्मिक आधार पर एक दूसरे से जुड़ाव महसूस करते हैं| धार्मिक मूल्य उस धर्म से जुड़े लोगों को सामाजिक, आर्थिक एवं सैद्धांतिक तौर पर एक दूसरे से जोड़ते हैं और वे लोग आपस में जुड़ाव महसूस करते हैं| संक्षेप में कहें तो धर्म समाज एवं लोगों में एकता स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है|