निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
कवि के अनुसार ‘अग्नि पथ’ यानी एक ऐसा रास्ता जो अंगारों मतलब मुश्किलों और कठिनाइयों से भरा हुआ है। इस तरह कवि ने अग्नि पथ को संघर्षमयी जीवन के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। वह मानता है कि जीवन के लंबे सफर में कदम-कदम पर मुश्किलें और परेशानियां हैं। हर इंसान को अपने जीवन में कठिनाईभरे रास्ते पर चलकर सफलता हासिल करनी पड़ती है। जो रास्ता जितना मुश्किलों और कठिनाइयों से भरा होगा, मंजिल तक पहुंचने पर उसकी कामयाबी का सुख भी उतना ही ऊंचा होग।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
इस कविता में कवि इंसान को मुश्किलों का सफर तय करने और उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। वह कहता है कि ‘माँग मत’ यानी इंसान को अपने जीवन में सुख हासिल करने के लिए मांग करने की बजाये उनके लिए संघर्ष करना चाहिए। ‘कर शपथ’ के जरिए वह कहना चाहता है कि लक्ष्य प्राप्त करने के लिए इंसान को संघर्षपूर्ण चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। ‘लथपथ’ के जरिए कवि मुश्किलों से घबराकर पीछने हटने की बजाये खून में लथपथ रहकर भी उनका सामना करने की अपील कर रहा है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
इस पंक्ति में कवि ने कठिन रास्ते पर चलने वाले इंसान से छांव की इच्छा न रखने की बात कही है। इसके माध्यम से कवि कहना चाहता है कि मनुष्य को कठोर मार्ग पर चलते हुए राहत पाने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। मुश्किल सफर में मिलने वाला सुख इंसान को उसके लक्ष्य से भटका देता है। अग्नि पथ पर चलते हुए इंसान को दृढ़ संकल्प करना चाहिए और अकेले ही चुनौतियों से लड़ने की हिम्मत करनी चाहिए।
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
तू न थमेगा कभी
तू न मुडेगा कभी
ऊपर लिखी पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि कठिनाई भरे रास्ते पर चलते हुए इंसान को कभी डरकर रुकना नहीं चाहिए। भले ही रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आ जाएं। उनसे लड़े बिना कभी पीछे नहीं मुड़ना चाहिए। ऐसे में कई बार मुश्किलें तुम्हारा रास्ता रोकेंगी। तुम्हे बिना रुके, बिना मुड़े उनका सामना करते हुए आगे बढ़ना होगा। सफर में मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ने वाले इंसान को ही कामयाबी मिलती है।
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जीवन में सफलता पाने के लिए इंसान को कठिनाइयों से लड़ना ही पड़ता है। ऐसे कठिन रास्तों का सफर तय करते हुए इंसान को आंसू बहाने पड़ते हैं, पसीना बहाना पड़ता है। खून से लथ-पथ रहते हुए भी वह अपने कदम नहीं रोकता। कामयाबी के रास्ते में आने वाली ऐसी तमाम मुश्किलों से लड़कर भी लगातार आगे बढ़ने वाले इंसान ही सफल होते हैं।
इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
इस कविता का मूलभाव इंसान के संघर्षमयी जीवन पर आधारित है, जिसे कवि ने ‘अग्नि पथ’ का नाम दिया है। इस कविता के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि इंसान का जीवन तमाम मुश्किलों, कठिनाइयों से भरा हुआ है। उसके कदम-कदम पर चुनौतियों का पहाड़ है। जीवन की इस कठोर डगर पर चलने वाले इंसान को कभी मुश्किलों से घबराकर पीछे नहीं हटना चाहिए। इसमें कई बार मुश्किलें इंसान का रास्ता रोकेंगी। कई बार परेशानियां उसे डराकर थम जाने या मुड़ जाने के लिए विवश करेंगी, लेकिन लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक मुश्किलों से लड़ने वाले को ही अंत में जीत हासिल होती है। आंसू, पसीना बहाते हुए खून से लथपथ इंसान को कांटों पर चलकर सफलता का रास्ता तय करना पड़ता है।
‘जीवन संघर्ष का ही नाम है’ इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा का आयोजन कीजिए।
जीवन संघर्ष का ही नाम ही इसके माध्यम से कवि कहना चाहता है कि एक मनुष्य के जीवन में संघर्ष की परिस्थितियाँ आती ही रहती हैं| अतः मनुष्य को डटकर उनका सामना करना चाहिए और उसे कभी किसी परिस्थिति से डरकर भागना नहीं चाहिए क्योंकि जीवन में संघर्ष के क्षण तो आते ही रहते हैं| अगर मनुष्य संघर्ष करने से डर जाता है अथवा पीछे हट जाता है तो उसका जीवन सार्थक नहीं होगा| अतः मनुष्य को प्रत्येक परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए|
‘जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर थमना नहीं चाहिए’ इससे संबंधित अन्य कवियों की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
(1) लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, बार बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
- हरिवंश राय बच्चन
(2)चल तू अकेला
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला।
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश...
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय।
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला।
जब हर कोई वापस जाय...
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय...
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…
- रविंद्रनाथ ठाकुर
(3) संघर्ष हो जीवन
जीवन संघर्ष हो
जीवनदेखि थाकेर बस्छु नभन
जीवनदेखि हारेर मर्छु नभन।
जिन्दगी हो हार-जीत भइरहन्छ
बाधा पन्छाउँदै नदी बगिरहन्छ
हार भयो भनेर दुख नमान
रातपछि दिन हुन्छ हेर बिहान।
- श्याम तमोट