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Mera Chhota Sa Nijee Pustkaalay

Class 9th Hindi संचयन भाग 1 CBSE Solution
Exercise
  1. लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन क्यों हिचक रहे थे?
  2. ‘किताबों वाले कमरे’ में रहने के पीछे लेखक के मन में क्या भावन थी?…
  3. लेखक के घर कौन-कौन सी पत्रिकाएँ आती थी?
  4. लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शोक कैसे लगा?
  5. माँ लेखक की स्कूली पढ़ाई को लेकर क्यों चिंतित रहती थी?
  6. स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेजी की दोनों पुस्तकों ने किस प्रकार लेखक के लिए नई दुनिया के…
  7. ‘आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है’- पिता के इस कथन से…
  8. लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदने की पहली घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?…
  9. ‘इन कृतियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ’- का आशय स्पष्ट कीजिए?…

Exercise
Question 1.

लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन क्यों हिचक रहे थे?


Answer:

लेखक धर्मवीर भारती द्वारा प्रस्तुत रचना ‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ में लेखक ने अपनी बीमारी में स्वयं के साथ घटी घटनाओं का बड़ा ही सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। उनकी अचेतावस्था में डाक्टर द्वारा उन्हें होश में लाने हेतु बिजली का शॉक दिया गया। इससे उनके दिल का मात्र 40% अंश ही काम लायक बचा रह पाया। अब डाक्टर को उनकी ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता महसूस होने लगी। इस हेतु लेखक के पास मजबूत हृदय का ना होना लेखक को एक नकारात्मक तथ्य लगा। इस प्रकार लेखक का ऑपरेशन करने में सर्जन किसी अज्ञात आशंका से हिचकने लगे।



Question 2.

‘किताबों वाले कमरे’ में रहने के पीछे लेखक के मन में क्या भावन थी?


Answer:

लेखक के पिता ने बचपन में ही उन्हें पुस्तकों को पढ़ने की लत लगा दी थी। ऐसा उन्होंने लेखक को ‘बालसखा’ और ‘चमचम’ जैसी पुस्तक गिफ्ट स्वरूप देकर किया था। लेखक को धीरे-धीरे अच्छी-अच्छी पुस्तकों को पढ़ने की आदत लग गयी। पिताजी द्वारा उन्हें बचपन में किताबें रखने के लिए दिया गया अलमारी का छोटा खाना अब किताबों से भरा एक पूरा कमरा बन गया था। अस्पताल से लौटने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई के शौक को जारी रखने हेतु ‘किताबों वाले कमरे’ का चयन किया था। इस अवस्था में उनके पास करने के लिए कोई कार्य नहीं था और इसीलिये उनके पास काफी खाली समय बच रहा था और इसी खाली समय का सदुपयोग करने हेतु उन्होंने ‘किताबों वाले कमरे’ का चयन किया था।



Question 3.

लेखक के घर कौन-कौन सी पत्रिकाएँ आती थी?


Answer:

लेखक के घर आर्यमित्र, वेदोदम, सरस्वती,गृहिणी आदि पत्रिकाएं आती थीं। साप्ताहिक पत्रिका आर्यमित्र थी यानि सप्ताह में एक बार यह पत्रिका आती थी। सरस्वती तो आजतक भी प्रकाशित होती चली आ रही है। ये पत्रिकायें लेखक के पिताजी ही बाजार से खरीद कर लाते थे। उनकी अपनी आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। वास्तव में उस समय महात्मा गांधी के आह्वान पर अनेकों देशभक्तों ने सरकारी नौकरी को तिलांजलि दे दी थी। उनलोगों के द्वारा ऐसा करना महात्मा गांधी के हमारे देश को विदेशियों से मुक्त करने की दूरगामी सोच का ही एक अंग था। लेखक के पिताजी के मन में भी देशप्रेम की भावना जाग्रत होने पर उन्होंने अपनी नौकरी को ठोकर मार दी। उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी थी पर उन्होंने अपने घर में उपरोक्त पत्रिका लेना नहीं छोङा।



Question 4.

लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शोक कैसे लगा?


Answer:

लेखक को उनके पिताजी द्वारा पत्रिकाओं को देने पर उनको पढ़ने का शौक लगा। उनके घर में ‘सत्यार्थ प्रकाश’ और दयानंद सरस्वती की जीवनी पर किताबें भी आती थीं। इन किताबों में उन्हें भारतीय महापुरुष दयानंद सरस्वती के जीवन चरित्र और उनके दर्शन को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। अन्य पत्रिकाएं ‘बाल सखा’ और ‘चमचम’ भी उन्हें अपने पिताजी के माध्यम से ही पढने को मिली। उनके पिताजी ने इन पत्रिकाओं को सहेजकर रखने के लिए लेखक के लिए अपनी आलमारी का एक कोना खाली कर दिया। इस प्रकार उन्हें किताबों को सहेजकर रखने का शौक भी लग गया।



Question 5.

माँ लेखक की स्कूली पढ़ाई को लेकर क्यों चिंतित रहती थी?


Answer:

लेखक की मां का उनकी स्कूली पढाई हेतु चिंतित रहने का एकमात्र कारण लेखक का गैरविषयी पुस्तकों को पढकर उनके असांसारिक हो जाने की आशंका था। वास्तव में लेखक अपने विषय संबंधी पुस्तकों को ना पढकर अपना अधिकतर समय अन्य पुस्तकों को पढकर ही बिताया करते थे। ये पुस्तक उन्हें उनके पिताजी द्वारा दी गयी होती थी| इन सबको लेखक को पढता हुआ देखकर उनकी मां चिंतित रहा करती थीं कि कहीं उनका बेटा इन पुस्तकों की आदर्शवादी बातों में आकर घर से भागकर असांसारिक न बन जाए|



Question 6.

स्कूल से इनाम में मिली अंग्रेजी की दोनों पुस्तकों ने किस प्रकार लेखक के लिए नई दुनिया के द्वार खोल दिए?


Answer:

स्कूल से इनाम में मिलीं अंग्रेजी की दो पुस्तकों ने लेखक के लिए नई दुनिया के द्वार खोल दिये। इन दो पुस्तकों में एक पक्षियों के बारे में जानकारी से भरपूर थी। इसमें पक्षियों की जाति से लेकर उसके बारे में हर जानकारी थी। दूसरी पुस्तक समुद्र में चलने वाले जहाजों के बारे में जानकारियों से भरी हुई थी। इन पुस्तकों में समुद्र और आकाश दोनों के बारे में काफी जानकारी भरी थीं। इस प्रकार इन दो पुस्तकों ने लेखक के लिए नयी दुनिया के द्वार खोल दिये।



Question 7.

‘आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का। यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है’- पिता के इस कथन से लेखक को क्या प्रेरणा मिली?


Answer:

पिता के उक्त कथन से लेखक को काफी प्रेरणा मिली। उनके लेखक को उक्त बात कहने से वास्तव में लेखक के बाल मन में प्रसन्नता और जिम्मेदारी दोनों का अहसास कराना था| उन्हें इन रोचक किताबों को पढकर प्रसन्नता हुई। इसके साथ ही उनके पिताजी ने उन्हें इन पुस्तकों को रखने के लिए अपनी आलमारी का एक कोना भी दे दिया था। यह स्थान अपनी पुस्तकों के लिए पाकर लेखक का बाल मन इन्हें पढने को लेकर काफी उत्साहित हो गया। वह अपने पिता द्वारा दी गयी पुस्तकों को पढने लगा और इनमें रोचक और प्रेरणादायी कहानियों को पढकर उसमें संस्कार के बीज पड़ने लगे जो उनके लिए प्रेरणादायी सिद्ध हुए।



Question 8.

लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदने की पहली घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?


Answer:

लेखक द्वारा पहली पुस्तक काफी आर्थिक अभाव की स्थिति में खरीदी गई थी। वास्तव में लेखक का परिवार उनकी बाल्यावस्था में काफी आर्थिक तंगहाली की स्थिति से गुजर रहा था। महात्मा गांधी के आह्वान पर उनके पिता के सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उनके पास अपने बच्चे की स्कूल फीस भरने के पैसे भी कम पड़ रहे थे। इन परिस्थितियों में उनके विद्यालय से जुड़े एक ट्रस्ट से कक्षा के सत्र में उन्हें मिले पैसों से उन्होंने पैसे बचाकर फिल्म देवदास से प्रेरणा लेकर अपनी पहली पुस्तक शरतचन्द्र द्वारा रचित ‘देवदास’ खरीदी।



Question 9.

‘इन कृतियों के बीच अपने को कितना भरा-भरा महसूस करता हूँ’- का आशय स्पष्ट कीजिए?


Answer:

लेखक को अपनी बीमारी के उपचार के बाद कुछ दिन घर पर रहकर आराम करने का अवसर मिला। इस खाली समय में लेखक को स्वयं के बारे में पर्याप्त रुप से सोचने का अवसर मिला। ऐसे ही किसी समय में उन्होंने स्वयं को किताबों के बीच पाकर ऐसी सोच से मुक्ति पा ली। वास्तव में उनकी स्मरणशक्ति ही उन्हें उनके द्वारा संकलित पुस्तकों के बारे में रह-रह कर याद दिलाकर उन्हें भरा-भरा महसूस करा रही थी।