कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?
कवि की माँ ने उनको बचपन में बहुत सारी सीख दी थी। उसमें से एक सीख यह भी थी कि उनकी माँ ने उन्हें दक्षिण की दिशा में पैर करके सोने के लिए मन किया था। उनकी माँ ने उनसे कहा था कि दक्षिण की दिशा में यमराज का वास होता है और अगर वह दक्षिण की दिशा में पैर करके सोयेंगे तो यमराज जी नाराज़ हो जाएंगे और यमराज को नाराज करना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं हैं क्योंकि यमराज मृत्यु के देवता होते हैं। कवि अपनी माँ के बहुत आज्ञाकारी पुत्र थे और उन्होंने माँ की ये बात जीवन-पर्यन्त याद रखी थी। इसलिए कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी कोई मुश्किल नहीं हुई।
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लांघ लेना संभव नहीं था?
कवि ने दक्षिण दिशा में बहुत भ्रमण किया था। जब भी वह दक्षिण दिशा में भ्रमण करते थे तो उनको अपनी माँ की सीख याद आती थी कि दक्षिण दिशा में मृत्यु के देवता यमराज का वास होता है। वह दक्षिण में दूर-दूर तक गए लेकिन जहाँ पर उनकी यात्रा ख़त्म होती वहां पर फिर से दक्षिण शुरू हो जाता क्योंकि कोई भी निश्चित बिंदु नहीं था जहाँ दक्षिण दिशा ख़त्म होती हो। कवि के अनुसार दक्षिण दिशा का छोर क्षितिज बहुत ही दूर था जिस पर पहुँच पाना असंभव था। इसलिए कवि ने दक्षिण दिशा को लांघ पाना असंभव बताया। यदि वह दक्षिण दिशा को लांघ पाते तो उनकी यमराज के घर को देखने की इच्छा पूर्ण भी हो जाती।
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
कवि के अनुसार अब हर दिशा दक्षिण दिशा इसलिए बन गयी है क्योंकि पहले और अभी की परिस्थितियों और सभ्यताओं में बहुत बदलाव आ चुका है। जब उनकी माँ ने उन्हें दक्षिण दिशा का बोध कराया था तब यमराज केवल दक्षिण दिशा में ही रहते थे लेकिन अब वे हर दिशा में शोषण और लालच के रूप में विराजमान हैं। आज हर एक व्यक्ति अपना काम निकलवाने के लिए दूसरे व्यक्ति का शोषण कर रहा है। सामाजिक और मानवीय मूल्य बदल गए है। लोगों का एक-दूसरे पर विश्वास नहीं रहा है। धन के लालच में लोग एक-दूसरे को हानि पहुँचाने के लिए भी तैयार हैं। सभ्यता का विकास गलत दिशा की ओर हो रहा है और अनैतिकता बढ़ती जा रही है। इन्हीं सब कारणों के मद्देनजर कवि ने हर दिशा को दक्षिण दिशा कहा है|
भाव स्वष्ट कीजिए-
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आंखों सहित विराजते हैं
पहले जमाने और वर्तमान में समाज की सोच में काफी अंतर आ चुका है। लोगों का जीवन भी अब सुरक्षित नहीं है। बदलती सोच से हम उन्नति तो कर रहे हैं लेकिन उसके साथ-साथ हिंसा और लालच भी बढ़ रहा है। जहाँ लोग शिक्षित हो रहे हैं वहीँ दूसरी ओर उनके अंदर घमंड और ईर्ष्या की भावना भी आ रही है। अपने हित के लिए वे दूसरों का अहित कर रहे हैं। ये बुरी आदतें और चीज़ें हर जगह और हर दिशा में यमराज के महल के रूप में फैल रही हैं और उसमें यमराज अपनी दहकती आँखों के साथ सभी दिशाओं में एक साथ विराजमान हैं। एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का शोषण करने में कोई ग्लानि महसूस नहीं होती है। अब हमारे समाज से एकता और सत्यता का महत्व भी ख़त्म होता जा रहा है| ये सभी बुराईयाँ आज हर एक दिशा में विद्यमान हैं|
कवि की मां ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती हैं। आपकी मां भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी-
(क) वह आपको क्या सीख देती हैं?
(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड=ती है? यदि हां तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?
(क) एक अच्छा नागरिक और नेक इंसान बनने के लिए मेरी माँ भी मुझे समय-समय पर सीख देती रहती है। मेरी माँ कहती है कि मुझे बड़ों का आदर करना चाहिए और कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। जब भी पढ़ने बैठूं तो मुझे पूरा ध्यान पढाई में ही लगाना चाहिए। मेरी माँ मुझे सही और गलत में अंतर भी बताती है। माँ ने मुझे सिखाया कि हमेशा सही रस्ते पर चलों और दूसरों की निंदा न करो क्योंकि हम सब एक ही भगवान के द्वारा बनाये गए हैं। नैतिक कार्य करो और अनैतिकता से दूर रहो। दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा अग्रसर रहो। मेरी माँ मुझसे कहती है कि हमेशा ईश्वर पर भरोशा बनाये रखो और अजनबियों से दूर रहो।
(ख) हाँ, मुझे अपनी माँ की हर सीख उचित जान पड़ती है क्योंकि प्रत्येक माँ अपने बच्चे का अच्छा ही चाहती है। वह कभी भी नहीं चाहती है कि उसके बच्चे कोई मुसीबत में पड़े। इसलिए माँ अपनी सीख से समय-समय पर अपने बच्चों की रक्षा भी करती है। माँ जानती है कि इस दुनिया में बहुत सारी बुराइयां हैं जिससे उसे अपने बच्चों को बचाना है। माँ से अच्छा गुरु अपने बच्चों के लिए कोई नहीं हो सकता है। इसलिए हर बच्चे को अपनी माँ की बात माननी चाहिए और उनके द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर ही चलना चाहिए। माँ हमे जो संस्कार देती है उसके द्वारा ही हम इस समाज में रहकर सही और गलत का फर्क कर पाते हैं और अपने भविष्य के लिए सही निर्णय ले पाते हैं।
कभी-कभी उचित-अनुचित के निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
कभी-कभी हम गलत निर्णय ले लेते है जिसके कारण हमे बहुत पछताना पड़ता है। इसलिए माँ हमेशा अपने बच्चों को ईश्वर का भय दिखाकर उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है। ईश्वर पर विश्वास करने से हमारे अन्दर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। जब भी हम कभी किसी मुसीबत में पड़ जाते है तो ईश्वर हमे उससे निकलने का मार्ग दिखाते है। ईश्वर पर हमें असीम आस्था रखनी चाहिए जिससे वह हमारी और हमारे परिवार की हमेशा रक्षा करे और हमें सुख और समृद्धि से परिपूर्ण रखें। ईश्वर का भय होने से हम कभी कोई अनैतिक कार्य नहीं करते हैं। असत्य और बुराई का दामन नहीं पकड़ते हैं और हमेशा मर्यादित जीवन जीते हैं।