कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
आधी रात के गहरे अंधेरे में कोयल की हिलाकर रख देंने वाली कूक ने कवि को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। कवि जानना चाहता था कि आधी रात के गहरे अंधेरे में उसके कूकने का क्या कारण था। कोयल के साथ संवाद स्थापित कर वे उसके बेचैनी का कारण जानना चाहते थे। कवि जानना चाहते थे कि इतनी घनी रात में भी उसे नींद नहीं आ रही थी जिस कारण वह जग रही थी। क्या वह किसी को सन्देश देना चाहती है या कोई और कारण है जिसके कारण कोयल आधी रात को कूक रही है|
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?
कवि ने आधी रात में कोयल के कूकने की निम्न संभावनाएँ बतायी हैं|
कवि को लगता है कि उसका संसार लुट गया है या फिर कोयल किसी का संदेश लेकर आई होगी।
वह किसी दुख के बोझ से दबी हुई है जिससे वह अपने भीतर सहेजकर नहीं रख सकती इसीलिये आधी रात को कूक रही है|
कवि को ये भी लगता है कि कोयल वहाँ पर विद्रोह के बीज बोने आई होगी। कोयल ने गुलामी अत्याचार की आग की भयंकर लपटों को देखा है या उससे भी सारा देश एक कारागार के रूप में दिखाई देने लगा है।
शायद जेलों में स्वतंत्रता सेनानीयों द्वारा झेली जाने वाली यातनाओं के बदले कोयल अपनी सहानुभूति दिखाने आयी है|
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?
अंग्रेजी शासन की तुलना कवि ने तम अर्थात अंधकार के काले प्रभाव की है| अंग्रेजी शासन की प्रवृति ही अन्धकार की तरह है इसीलिये कवि उसकी तुलना अन्धकार से करता है|
अंग्रेजी शासन की तुलना इसलिए कि गई है क्योंकि वे देशवासियों पर अंग्रेज अनेक प्रकार के अत्याचार कर रहे थे| उस दौर में भारत पराधीन था और भारतीय अंग्रेजों के अत्याचार सहने के लिए मजबूर थे| इन्हीं सब कारणों की वजह से कवि ने अंग्रेजी शासन की तुलना तम से की है|
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन
कीजिए।
उस समय ब्रिटिश शासन का राज था| अंग्रेजों ने अपने राज में भारतीयों को दुखों एवं
अत्याचार के अतिरिक्त कुछ और नहीं दिया| उस दौर में जिन लोगों ने उनका विरोध करने
का निर्णय लिया उन्हें अंग्रेजों ने जेलों में ठूस दिया|
जेलों में देशभक्तों को भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता था। एक तंग कोठरी जिसमें ठीक से
रोशनी भी नहीं आ पाती थी, उस कोठरी में देशभक्त जो अंग्रेजों के खिलाफ
आजादी की जंग लड़ रहे थे, उन्हें उस कोठरी में रखा जाता था। जेलों में देशभक्तों की छाती
पर बैलों की तरह फीता लगाकर चूना आदि पिसवाया जाता था।
उनसे कोल्हु चलवाकर तेल निकलवाया जाता था; और पत्थरों की गिट्टियाँ
तुड़वाई जाती थी। जेलों में अंग्रेजी शासन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को भयंकर यातनाएँ
एवं दारुण कष्ट दिए जाते थे ताकि देशभक्त उन यातनाओं से भयभीत हो जाए तथा
अपने उद्देश्य से पीछे हट जाएं।
भाव स्पष्ट कीजिए_
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूं ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
(क) कोयल अ भाव अत्यंत मधुर और कोमल होता है| उसी प्रकार से प्राचीन काल में भारत भी एक वैभवशाली देश था और भारत के इसी वैभव का प्रतीक है| कवि ने कोयल को भारत के वैभव की रखवाली करने वाली कहकर उसको संवोधित कहकर उससे पूंछ रहा है कि अब भारत के वैभव को क्या हुआ|
(ख) यहाँ कवि ने अंग्रेजी शासनकाल में स्वतंत्रता सेनानियों पर अंग्रेज सरकार
द्वारा हो रहे अत्याचार के बारे में बताया है। जेलों में देशभक्तों की छाती पर बैलों की तरह
फीता लगाकर चूना आदि पिसवाया जाता था। उनके पेट से बांधकर हल जुतवाया जाता था।
उनसे कोल्हु चलवाकर तेल निकलवाया जाता था; और पत्थरों की गिट्टियाँ तुड़वाई जाती थी।
अंग्रेज सरकार देशभक्त उन यातनाओं से भयभीत हो जाए तथा अपने उद्देश्य से पीछे हट
जाएं परंतु देशभक्ति की भावना मिट नहीं पाते है। इस प्रकार अंग्रेज सरकार सेनानियों की उनका स्वाभिमान तथा देश के प्रति अभिमान को तोड़ नहीं पाते।
अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?
कवि को लगता है कि आधी रात के गहरे अंधेरे में कोयल के कूकने का क्या कारण हैं। क्या उसने जंगल की आग की भयावहता देख ली है और इसलिए चीख रही है। क्या उसे कोई बहुत बड़ी पीड़ा सता रही हैयाउसे नींद नहीं आ रही है अथवा कोयल अंग्रेजों की कैद में स्वतंत्रता सेनानियों को देखकर द्रवित हो उठी है| इस प्रकार अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को अंदेशा है कि या तो वह पागल हो गई है अथवा वह बहुत उदास है|
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही हैं?
कवि को कोयल से दो बातों को लेकर ईर्ष्या हो रही है जिसमें से पहली हैं, कोयल के
लिए खुला आकाश है जिसकी कोई सीमा नहीं है, भरे पेड़ों की हरी-भरी शाखाओं पर रहने का
मौका मिलता है वहीँ कवि एक दस फुट के कमरे में बंद है। एक तरफ कोयल सारे आकाश में उड़ने के लिए आजाद है जबकि कवि के पास काल कोठरी का छोटा सा स्थान है। लोग
कोयल के गाने को मधुर गीत कहलाता है जबकि कवि का रोना भी एक गुनाह की तरह माना जाता है।
कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली हैं?
कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की अनेक मधुर स्मृतियां अंकित हैं जिसमें गाने को सकारात्मक तौर पर देखा जाता है। कोयल का गाना प्रेम, खुशी, सुख,
वसंत, आदि का प्रतीक होता है। हर रोज सुबह सवेरे उठकर लोगों को नींद से जगाती है एवं
उन्हें कार्य करने की ओर प्रेरित करती है| कोयल का कूकना मानो ऐसे लगता हैं जैसे सुबह
सवेरे घास के तिनकों पर सूर्य की किरणें गिरती थी तो ओस की बूंदें जगमगा उठती है और
तब झरनों और पर्वतों पर से गुजरते हुए सीधे कानों में सुनाई देती हैं।
परंतु जब कोयल आधी रात को जेल में गाती है तो कवि को लगता है कि कोयल के गाने के मायने बिलकुल अलग हो गये हैं और वह अपने गाने के पुराने मतलबों को मिटा रही है।
हथकडि़यों को गहना क्यों कहा गया है?
अंग्रेजों के काल में कोई भी स्वतंत्रता सेनानी किसी अपराध के कारण हथकड़ियाँ नहीं पहनता है जबकि वह हथड़ियाँ इसलिए पहनता था क्योंकि उसे अपने देश की आबरू बचानी थी। हथकड़ियों ने देशभक्तों को जकड़ दिया गया था, जो उनके लिए गहने के समान थे। उन्हें वे हाथकड़ियाँ सदा याद करवाती थी कि जिस प्रकार वे बंधे हुए हैं उसी प्रकार सारा देश ब्रिटिश सरकार की गुलामी के बंधनों में जकड़ा हुआ है। इससे उनके मन में देशभक्ति का भाव जागृत होता था। इसलिए यहाँ पर हथकड़ियों को गहना कहा गया है।
‘काली तू---- ए आली!’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
कवि ने अपनी पंक्तियों में काली विशेषण का प्रयोग अति सुंदर ढंग से किया है|
प्रस्तुत पंक्तियों में ‘काली’ शब्द का उपयोग अलग-अलग अर्थों में किया गया है। एक ओर कोयल का रंग काला है तो रात भी काली है अर्थात जब अंग्रेज सरकार भारतीयों पर गुलामी का पहर डाल रही थी
वही स्वातंत्र्य सेनानी को चोर -लुटेरों के साथ काली काल कोठरी में बंद किया गया था जहाँ
कालकोठरी भी काली थी। साथ ही काली शब्द का प्रयोग अंग्रेजों की काली सोच को प्रदर्शित करने के लिए भी किया गया है|
कालकोठरी में कैदियों की टोपी, कंबल और उनको बंधी गयी जंजीर भी काली था| इस प्रकार से इस पाठ में काली शब्द का प्रयोग अनेक अर्थों में किया गया है|
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
(ख) तेरी गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी, बाज रही तिस पर रणभेरी!
कवि ने अपने अंदर और बाहर की बेचैनी को इस वाक्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया है| यहाँ कवि स्वतंत्रता संघर्ष में सेनानियों द्वारा झेली जा रही यातनाओं के बारे में बात कर रहा है|
इसमें तत्सम शब्द युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है| दावानल की ज्वाला में रूपक अलंकार है| साथ ही दी गयी काव्य पंक्ति प्रश्न शैली में है|
(ख) यहाँ कवि अपने और कोयल जे जीवन एवं जीवन से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के बीच अंतर की बात कर रहा है| वह बताता है कि कोयल का जीवन किस तरह से बेहतर है जबकि उसके जीवन में अनेक परेशानियाँ हैं|
यहाँ तत्सम शब्दों युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है| साथ ही मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है| गुनाह जैसे उर्दू फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग ही हुआ है|
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?
जब कवि जेल में था तो वह पूरे दिन में अनेक पक्षियों की आवाजें सुनता था लेकिन यहाँ उसने केवल कोयल की ही बात की है इसके पीछे अनेक कारण हैं| कोयल की एक अपनी विशिष्ट पहचान होती है। कोयल का मधुर गाना प्रेम, खुशी, सुख, वसंत, आदि का प्रतीक होता है। कोयल का काला रंग उसकी सुरीली आवाज के साथ एक अजीब से मेल को दर्शाता है। कोकिला की आवाज़ अन्य पक्षियों से अधिक मधुर तथा अलग होती है। आधी रात के गहरे अंधेरे में कोयल की हिलाकर र```ख देंने वाली कूक ने कवि को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। उसे ऐसा लगा कि उसकी तरह कोयल भी स्वयं को देश रूपी जेल में अनुभव कर रही है। ऐसा लग रहा था जैसे कोयल बाहर रो रही थी और कवि जेल के भीतर। इन्हीं विशेषताओं के कारण कवि ने कोयल को चुना होगा।
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?
अंग्रेज सरकार स्वतंत्रता सेनानी को भारत में उनके शासन एवं उनके अस्तित्व के लिए खतरा समझती थी| इसीलिये वह स्वतंत्रता सेनानियों को भी अपराधियों के समान समझती थी| स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भी वैसा ही सलूक किया जाता था जैसे चोर ,डाकू और लुटेरों के साथ किया जाता था। जेलों में अंग्रेजी शासन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को भयंकर यातनाएँ एवं दारुण कष्ट दिए जाते थे ताकि देशभक्त उन यातनाओं से भयभीत हो जाए तथा अपने उद्देश्य से पीछे हट जाएं। चोर, डाकू लुटेरों के द्वारा गिने चुने लोगों की ही धन संपत्ति छीनी जाती है। परंतु स्वतंत्र सेनानी तो अंग्रेज सरकार को ही जड़ से उखाड़ देना चाहते थे। वे अंग्रेजों के शासन के लिए खतरा बन रहे थे। इसलिए स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक सा व्यवहार किया जाता होगा।