कवि ने गांव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है?
कवि ने गांव को ‘हरता जन मन’ इसलिए कहा है, क्योंकि-
1. गाँव का वातावरण अत्यंत मनमोहक है। यहाँ प्रकृति का सौंदर्य सभी लोगों के मन को अच्छा लगता है।
2. खेतों में दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई है, ऐसा लगता है धरती ने हरे रंग की मखमली चादर ओढ़ रखी है|
3. खेतों में गेंहू, सरसों, मटर आदि फसलें फल-फूल रही है।
4. वृक्षों पर विभिन्न प्रकार के फल, आम के पेड़ों पर मंजरियां आने से वातावरण महक रहा है।
5. गंगा के किनारे तरबूजों की खेती तथा तालाब में तैरते पक्षी गांव के सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं।
6. हरा-भरा गांव पन्ना (मरकत) के समान सुंदर है इसीलिए कवि ने गांव को ‘हरता जन-मन’ कहा है|
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन हैं?
कविता में शरद और वसंत ऋतु का वर्णन है। इसी ऋतु में पेड़ों के पत्ते गिरने शुरू होते हैं। उनमें नई-नई कोंपलें, शाखाएं, फल-फूल आने शुरू होते हैं। आमों में मंजरियाँ और सरसों पर पीले फूल आते हैं| खेतों में फसलें- गेंहू, मटर, सेम, अलसी के फलने-फूलने का समय यही होता है। इसी समय चारों ओर फूल खिलने लगते हैं तथा उन पर रंगबिरंगी तितलियां मंडराने लगती हैं। कटहल, जामुन के मुकुलित होने, अमरूद पकने, कोयल के मदमस्त होकर मधुर गाने का यही समय है।
गांव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है?
मरकत/पन्ना एक हरे रंग का रत्न होता है, मरकत के हरे रंग की तुलना गांव की हरयाली से की गयी है| गांव का वातावरण भी मरकत के खुले डिब्बे के समान हरा-भरा और चमकदार दिखाई देता है, इसलिए उसे मरकत के खुले डिब्बे सा खुला कहा कहा गया है।
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
अरहर और सनई में फलियां आने पर जब हवा चलती है तो हवा के उन फलियों से टकराने के कारण उन फलियों से हल्की-हल्की आवाज आती है। यह आवाज करधनी नामक आभूषण से आने वाली आवाज के समान होती है तब ऐसा प्रतीत होता है जैसे धरती ने अपनी कमर पर करधनी(कमर पर पहना जानेवाला आभूषण) बांध रखी है तथा उस करधनी में लगे घुंघरुओं से यह आवाज आ रही है साथ ही सनई और अरहर की फलियां उसे धरती की कमर में बंधी किंकिणियों जैसी लगती हैं।
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) बालू के सांपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हंसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए
भाव निम्नलिखित है-
(क) गंगा नदी के किनारे-किनारे निरंतर बाढ़ आने के कारण इसके किनारों पर रेत फ़ैली रहती है| गंगा के किनारे फैली इस रेत जैसे ही सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो वह चमक उठती है, रंग-बिरंगी दिखती है। पानी की लहरों एवं हवा के चलने के कारण इस रेत पर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ बन जाती हैं और ये रेत पर सांप के रेंगने के समान आक्रति जैसे दिखाई देती हैं|
(ख) हरियाली पर जब सर्दी की धूप पड़ती है तो ऐसा आभास होता है कि वह हंस रही है| सूरज की धूप भी नर्म और कोमल है। लगता है कि धूप और हरियाली दोनों आलस्य में भरकर सोये हुए है।
निम्न पंक्तियों में कौनसा अलंकार हैं?
तिनकों के हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक
पंक्तियों में निम्नलिखित अलंकार हैं -
1- हिल-हरित, रुधिर-रहा, यहाँ ‘ह’ और ‘र’ वर्ण की पुनावृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है|
2- हरे-हरे- पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
3- हरित-रुधिर-हरे रंग का रक्त। विरोधाभास अलंकार।
4- तिनकों के तन पर- रूपक और मानवीकरण अलंकार।
इस कविता में जिस गांव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
इस कविता में गंगा तटीय किसी गांव का जिक्र किया गया है। क्योंकि इसमें विस्तृत क्षेत्र पर फ़ैली हरियाली, हरे-भरे खेतों आदि की बात की गयी है तो इससे पता चलता है कि इसमें उत्तरी भारत के मैदानी इलाके का चित्रण हुआ है। उत्तरी भारत का मैदानी इलाका जिसे गंगा का मैदान भी कहते हैं इसी प्रकार का इलाका है जैसा वर्णन इस पाठ में किया गया है|
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
भाव- कविता में गांव के प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्धि का सुंदर एवं आकर्षक चित्रण किया है। कविता में कवि का प्रकृति के प्रति लगाव अथवा प्रेम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इसी कारण कवि ने इसमें प्रकृति का बहुत ही विस्तृत चित्रण किया है| कवि ने फसलों जैसे- मटर, सेम, सरसों, गेंहू, सब्जियों जैसे-गाजर, मूली, लौकी, टमाटर आदि फलों जैसे- आम, जामुन, कटहल, अमरूद, आंवला, पक्षियों जैसे- कोयल, बगुले आदि के अलावा ढाक, पीपल के पत्तों का गिरना आदि का सूक्ष्म चित्रण किया है।
भाषा- कवि ने तत्सम शब्दों की बहुलता वाली खड़ी हिंदी बोली का प्रयोग किया है। भाषा सरल, मधुर तथा प्रवाहमयी है और इसी कारण एक सामान्य व्यक्ति की समझ में आसानी से आ जाती है| पाठ में उपमा, रूपक, अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण आदि अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
आप जहां रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
मैं राजस्थान(अलवर) के एक गांव में रहता हूँ| यहाँ का मौसम सामान्य रहता है ना सर्दी में ज्यादा सर्दी और न गर्मी में ज्यादा गर्मी होती है| राजस्थान में अरावली पर्वत श्रृंखला है जिसकी ऊंचाई कम होने की वजह से मानसूनी हवाएं सीधी निकल जाती हैं| इसी करण यहाँ वर्षा कम होती है| यह सर्दियों में गेंहू, सरसों, कपास आदि फसलें उगाई जाती हैं और गर्मी में ज्वार, बजार, मक्का, मूंगफली, ग्वार आदि फसलें उगाई जाती हैं| वर्षा की कमी के करण फसलो की सिंचाई ट्यूबवेल से की जाती है। मुझे सर्दियों का मौसम तथा वसंत ऋतू अधिक पसंद है। इस समय तरह-तरह की फसलें और सब्जियां तैयार हो जाती हैं। फलों में अमरूद, केला, पपीता जैसे फल पककर तैयार होते हैं। पतझड़ में जिन पेड़ों के पत्ते गिर चुके हैं, उनमें नई-नई कोंपलें, फूल तथा फल आने शुरू हो जाते हैं। फूलों के खिलने, पक्षियों के कलरव तथा सर्दी-गर्मी कम होने से वातावरण मनोरम बन जाता है। बसंत ऋतु में गांव का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है, जब कोयल, मोर, पपीहा अपने गान सुनाते हैं|