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Reedh Ki Haddi

Class 9th Hindi कृतिका भाग 1 CBSE Solution
Exercise
  1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” यह कहकर अपने समय की तुलना…
  2. रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी…
  3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर…
  4. गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं।…
  5. “…….आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं……” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन…
  6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर…
  7. ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
  8. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?…
  9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।…
  10. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
  11. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?…

Exercise
Question 1.

रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” यह कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?


Answer:

यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है कि वह अपने बीते हुए समय को याद करता है, तथा उसे ही सही ठहराता है। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि एक खास उम्र के लोग अपने जमाने की खूबियों को याद करके नये जमाने को कोसते हैं। परंतु बीते हुए समय की तुलना वर्तमान समय से करना तर्क संगत नहीं है क्योंकि हर एक समय अपनी उस समय की परिस्तिथियों के अनुसार सही एवं सुखद होता है। इस तरह समय के साथ समाज में, जलवायु में, खान-पान में सब में परिवर्तन होता रहता हैं। हर समय परिस्थितियाँ एक सी नहीं होती हैं। यों भी हर ज़माने की अपनी स्तिथियाँ होती हैं जमाना बदलता है तो कुछ कमियों के साथ सुधार भी आते हैं।



Question 2.

रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?


Answer:

उमा के पिता रामस्वरूप, आधुनिक विचारों वाले तथा स्त्री शिक्षा के समर्थक थे, इसलिए वे अपनी पुत्री उमा को बी.ए. तक पढ़ाते हैं। उमा के विवाहयोग्य होने पर जब वे योग्य वर की तलाश कर रहे थे तब वही शिक्षा राह का रोड़ा बन गई थी। समाज में उठने-बैठने वाले गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर दोनों ही कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते थे। उन्हें दसवीं तक पढ़ी हुई बहू चाहिए थी। अधिक पढ़ी-लिखी लड़की उन्हें पसंद नहीं। रामस्वरूप अपनी बेटी की शादी के लिए उमा का बी.ए. पास होना छिपा रहे थे। आधुनिक समाज में सभ्य नागरिक होने के बावजूद उन्हें अपनी बेटी के भविष्य की खातिर रूढिवादी लोगों के दवाब में झुकना पड़ रहा था। यह विरोधाभास उनकी इस विवशता को प्रकट करता है।



Question 3.

अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?


Answer:

आज समाज में लड़की-लड़के को समानता का दर्जा दिया जाता है। लड़कियाँ किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं हैं। अतः लड़की कोई वस्तु या मूक जानवर नहीं है कि किसी के इशारे पर कार्य करे। शादी के रिश्ते के लिए रामस्वरूप उमा से जिस व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे वह कहीं से उचित नहीं था। एक तो वे अपनी पढ़ी-लिखी लड़की को कम पढ़ा- लिखा साबित कर रहे हैं और उसे सुन्दरता को और बढाने के लिए नकली प्रसाधन सामग्री का उपयोग करने के लिए कहते हैं जो अनुचित है। साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि उमा वैसा ही आचरण करे जैसा लड़के वाले चाहते हैं। परन्तु वे यह क्यों भूल रहे हैं कि जिस प्रकार लड़के की अपेक्षाएँ होती ठीक उसी प्रकार लड़की की पसंद-नापसंद का भी ख्याल रखना चाहिए। उसका भी अधिकार है कि जिसके साथ उसे जीवनभर रहना है उसके बारे में जाने। उसकी रुचियों, पसंद-नापसंद का भी सम्मान किया जाना चाहिए। इस प्रकार अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से इस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे, जो उचित नहीं था।



Question 4.

गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।


Answer:

मेरे विचार से दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं-गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन में भी बिजनेस खोज रहे थे वे इस तरह के आचरण से इस संबंध की मधुरताएँ तथा संबंधों की गरिमा को भी कम कर रहे थे। आधुनिक विचार रखने वाले तथा शिक्षा के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण रखने वाले रामस्वरूप ने बेटी उमा को उच्च शिक्षा दिलवाई ताकि उच्च शिक्षा प्राप्त होने पर उनकी बेटी का विवाह अत्यंत आसानी से हो जाएगा, पर अंततः उन्हें अपनी सोच बदलनी पड़ी। उधर गोपाल प्रसाद वकील होकर भी रूढ़िवादी विचारों वाले व्यक्ति हैं। उनका मानना है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लड़की घर के लिए अच्छी नहीं होती। इसलिए रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद से अपेक्षाकृत कम अपराधी हैं क्योंकि परिस्थितियों से विवश होकर उन्होंने झूठ बोला। हालाँकि झूठ बोलना भी अपराध है। रामस्वरूप जहाँ आधुनिक सोच वाले व्यक्ति होने के बावजूद कायरता का परिचय दे रहे थे। वे चाहते तो अपनी बेटी के साथ मजबूती से खड़े होते और एक स्वाभिमानी वर की तलाश करते न कि मज़बूरी में आकर परिस्तिथि से समझौता करते। इस प्रकार गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानना और रामस्वरूप का अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाना ये दोनों व्यक्ति समान रूप से अपराधी हैं| इनके अपराध में कोई अंतर नहीं है|



Question 5.

“…….आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं……” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?


Answer:

गोपाल प्रसाद उमा की शिक्षा, उसके गुण, चाल-ढ़ाल तथा खूबसूरती के विषय में बार-बार जानना चाहते हैं, पर अपने बेटे के बारे में तनिक भी ध्यान नहीं देते हैं। शंकर का चरित्र अच्छा नहीं था। लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर काटते हुए वह पकड़ा जा चूका था। ये यह दर्शाता है कि उसका अपना निजी कोई व्यक्तित्व नहीं था। वह शरीर से कमजोर, झुककर तथा तन कर बैठा भी नहीं जाता था। वह शारीरिक रूप से भी समर्थ नहीं थी। शंकर में आत्मविश्वास की कमी थी। उपर्युक्त कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्न कमियों की ओर ध्यान दिलाना चाहती है।



Question 6.

शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।


Answer:

समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व, स्पष्टवादिनी तथा उच्च चरित्र वाली लड़की की जरूरत है। उमा चरित्रवान है, शिक्षित है। ऐसी लड़कियाँ ही गोपाल प्रसाद जैसे दोहरी मानसिकता रखने वालेए लालची और ढोंगी लोगों को सबक सिखा सकती है। उसके पिता रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद से उमा की शिक्षा की बात छिपा जाते हैं परंतु गोपाल प्रसाद के पूछने पर वह अपनी शिक्षा के बारे में दृढ़तापूर्वक बता देती है। इसके विपरीत शंकर स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है, परंतु वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी भी उच्च शिक्षा प्राप्त हो। ऐसी लड़कियों से ही समाज और देश प्रगति कर पाएगा जो आत्मविश्वास से भरी, निडर, शिक्षित एवं आधुनिक सोच वाली हों| अतः समाज को शंकर जैसे व्यक्तित्व की जरूरत नहीं है। शंकर जैसे व्यक्ति समाज को कोई दिशा नहीं प्रदान कर सकते हैं| समाज को तो उमा जैसी सोच वालों की आवश्यकता है जो समाज को एक नई दिशा प्रदान कर सकें और समाज की भावी पीढ़ी का नेतृत्व कर सकें|



Question 7.

‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।


Answer:

मानव में रीढ़ की हड्डी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। मानव शरीर को सीधा खड़ा होने के लिए रीढ़ की हड्डी का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। जिस प्रकार वैवाहिक रिश्तों में लड़का और लड़की दोनों का एक समान, प्रगतिशील सोच वाला और स्वतंत्र होना आवश्यक है| ठीक इसी प्रकार से समाज के चतुर्दिक विकास के लिए स्त्रियों का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। उनके स्वस्थ रिश्ते पारिवारिक शान्ति, अपनेपन और समृद्धि का कारण बनते है। समाज में नारी को उचित स्थान न मिल पाना, समाज की रीढ़ की हड्डी को कमजोर करता है। नारी की उन्नति तथा समाज में नारी को उचित स्थान दिए बिना समाज मजबूत नहीं हो सकता है। इस पाठ के जरिए यही बताने का प्रयास किया गया है कि नर और नारी दोनों को समान माना जाना चाहिए| उमा के विवाह के लिए रामस्वरूप जो रिश्ता तय करते हैं उस लड़के (शंकर) की कमर भी झुकी रहती है। उसकी शारीरिक बनावट भी बहुत अच्छी नहीं है| ऐसा लगता है कि उसकी बैकबोन (रीढ़ की हड्डी) झुकी हुई है। इसके अलावा शंकर के चरित्र की कमजोरी को भी रीढ़ की हड्डी न होने की बात कह कर उभारा गया है। नारी को कमतर समझ कर हम एक प्रगति शील समाज की कल्पना नहीं कर सकते। अतः ‘रीढ़ की हड्डी’ एक उचित शीर्षक है|



Question 8.

कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?


Answer:

कथावस्तु के आधार पर निःसंदेह सबसे सशक्त पात्र बनकर जो उभरता है वह उमा ही है। इसलिए उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र है। वास्तव में इस एकांकी में रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद, शंकर तथा उनका नौकर तथा महिला पात्रों में प्रेमा तथा उमा हैं। इनमें से रामस्वरूप तथा गोपालदास एकांकी के अधिकांश भाग में उपस्थित रहते हैं, किंतु इनमें से कोई भी चारित्रिक रूप से आकर्षित नहीं कर पाता है। रामस्वरूप परिस्थितियों के अधीन हो समझौता कर लेते हैं तो गोपाल प्रसाद में अनुकरणीय चरित्र या गुणों का अभाव दिखता है। शंकर दोहरे व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। उसमें समाजोपयोगी तथा समाज का आदर्श व्यक्ति बनने की योग्यता नहीं है। इनमें उमा बी.ए. पास सुशिक्षित लड़की है जो चरित्रवान, साहसी, अपनी बात को दृढ़तापूर्वक कहने वाली है। वह अपनी तथा समाज में नारियों की सम्मानजनक स्थिति के लिए चिंतित दिखती है। उमा की उपस्थिति भले थोड़े समय के लिए थी परन्तु उसके विचारों से प्रभावित हुए बिना हम नहीं रह पाते हैं। वह हमें बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करती है। उसकी उपस्थिति नारी-समाज को एक नई सोच और दिशा प्रदान करती है।



Question 9.

एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।


Answer:

‘रीढ़ की हड्डी” एकांकी में रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों ही पुरुष पात्रों में प्रमुख हैं। वे एकांकी के अधिकांश भाग में उपस्थित रहते हैं।

रामस्वरूप- रामस्वरूप इस एकांकी के प्रमुख पुरुष पात्र हैं। आधुनिक और प्रगतिशील विचारधाराओं से संपन्न परन्तु एक मजबूर पिता हैं। वे आधुनिक विचारों को महत्त्व देने वाले तथा उच्च शिक्षा के समर्थक हैं। वे अपनी बेटी उमा को बी.ए. तक पढ़ाते हैं। वे एक तरफ़ तो स्त्री-शिक्षा के समर्थक है परन्तु बेटी के विवाह के समय यही शिक्षा वे छिपाने का प्रयास करते हैं जिससे उनकी विवशता तथा कायरता झलकती है।


गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं पर शिक्षा के मामले में दोहरी राय रखते हैं। गोपाल प्रसाद निहायती चालाक बड़बोले-लालची और पढ़े-लिखे होने के बावजूद स्त्री-पुरुष की समानता में अविश्वास रखनेवाले व्यक्ति के रूप में उभरते हैं। वे लड़कों के लिए उच्च शिक्षा का समर्थन करते हैं जबकि लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा के खिलाफ हैं| इसी कारणवश वे अपने मेडिकल में पढ़ने वाले बेटे का विवाह कम पढ़ी-लिखी लड़की से करवाना चाहते हैं। वे विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को भी बिजनेस मानते हैं इससे उनका लालची स्वभाव पता चलता है।



Question 10.

इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।


Answer:

रीढ़ की हड्डी एक उदेद्श्यपूर्ण एकांकी है। इस एकांकी के उदेद्श्य निम्नलिखित हैं-

1. यह एकांकी स्त्री-पुरुष समानता की पक्षधर है।


2. समाज में लड़कियों को समुचित सम्मान न मिलने की समस्या को समाज के सामने लाना।


3. लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना।


4. उन लोगों की मानसिकता को उजागर करना जो लड़कियों को समाज में सम्मानजनक स्थान नहीं देना चाहते हैं।


5. स्त्री -शिक्षा के प्रति दोहरी मानसिकता रखने वालों को बेनकाब करना।


6. स्त्री को भी अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी देना।


7. लड़कियों के विवाह के समय उनके माता-पिता को दबाया जाना तथा उन्हें अनुचित समझौता करने पर विवश किया जाना।



Question 11.

समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?


Answer:

समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हम निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं –

1. ‘हमें महिलाओं को हीन दृष्टि से नहीं देखना चाहिए ’ इस बात को जन-जन तक पहुँचाना चाहिए।


2. स्त्री शिक्षा में हमें योगदान देना चाहिए।


3. अपने समय की महान एवं विदुषी स्त्रियों का उदाहरण समाज में प्रस्तुत करना चाहिए।


4. उनके मान-सम्मान को ध्यान में रखकर अश्लील हरकतें करने वालों को समझाने का प्रयास करना चाहिए।


5. मीडिया आदि द्वारा उसके अस्तित्व की गरिमा बनी रहे यह देखना चाहि|


6. लड़के और लड़की को समान अधिकार मिलने चाहिए।


7. महिलाओं को अपनी इच्छा अनुसार हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।