‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?
शहरवासी माटी वाली तथा उसके कनस्तर को अच्छी तरह पहचानते थे और इसके कई कारण थे-
1 वो टिहरी शहर में अकेली माटी वाली थी जो सभी के घरों में मिट्टी पहुंचाती थी।
2 अगर माटी वाली ना होती तो शहर के लोगों के घर में चूल्हा जलना मुश्किल हो जाता। चूल्हा जलाने के बाद लोग उसे लाल माटी से ही लीपते थे।
3 लाल माटी के बिना किसी का काम नहीं चलता था। पूरा शहर उसका ग्राहक था और साथ ही वो हंसमुख स्वभाव वाली भी थी इसी कारण सब लोगों से उसका एक बेहतर संबंध था|
4 वह पिछले कई सालों से शहर की सेवा कर रही थी। नए किराएदार भी अगर उसे एक बार देख लेते थे तो वो भी उसके ग्राहक बन जाते थे।
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
माटी वाली पूरे शहर के घरों में मिट्टी पहुंचाती थी। इसके लिए वो सुबह घर से निकलती और लौटते—लौटते रात हो जाती थी। इस बीच उसे मिट्टी के अलावा किसी अन्य बात के बारे सोचने का समय नहीं मिलता था। साथ ही वो एक गरीब बूढ़ी महिला थी। जो अपने पति के लिए दो रोटी भी कमाती थी। अपनी इसी दिनचर्या को वह नियति मानकर चले जा रही थी। ऐसे में माटी वाली के पास अच्छे और बुरे भाग्य के बारे में सोचने का समय नहीं था।
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
लेखक ने इस कहावत का पाठ में दो बार उल्लेख किया है। एक तब जब ठकुराइन उसे चाय और रोटी खाने को देती है। दूसरा तब जब माटी वाली अपने पति को खाना खिलाने के बारे में सोचती है। भूख और भोजन का आपस में गहरा सम्बन्ध है। स्वाद भोजन में नहीं बल्कि मनुष्य को लगने वाली भूख से होता है। भूख लगने पर रूखा-सूखा जैसा भी भोजन मिल जाए वही स्वादिष्ट लगता है। भूख न होने पर स्वादिष्ट भोजन भी बे-स्वाद लगता है।
‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’ मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
मालकिन माटी वाली को पीतल के गिलास में चाय देती है। तब माटी वाली पुराने पीतल के बर्तन को अभी तक संभाल के रखने पर मालकिन की तारीफ करती है। मालकिन का ऐसा कहने का मतलब है कि हमारे पुरखों ने बहुत संघर्ष के बाद चीजों को पाया है। अपना पेट काटकर कीमती चीजें जमा की होंगी। इन वस्तुओं का मूल्य हम धन से नहीं आँक सकते हैं। हम चाहे इन वस्तुओं में वृद्धि न कर पाएँ लेकिन इन वस्तुओं को कौडियों के दाम पर तो न बेचें। कुछ लोग स्वार्थवश इसे कम दाम में बेच देते हैं जो उचित नहीं है। हमें इनके पीछे छिपी भावना को समझना चाहिए।
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
जब ठकुराइन ने माटी वाली को दो रोटियां दीं तो उसने एक चुपचाप से अपने पास रखे एक कपड़े में छिपा ली। वहीं जब उसे दूसरे घर से दो और रोटियां मिलीं तो वो भी उसने रख लीं। ऐसे में घर लौटते समय उसके पास तीन रोटियां थीं। तब वो हिसाब लगाती है घर जाकर पति को दो रोटी दे दूंगी| पति की उम्र हो चली है इसलिए वो ज्यादा से ज्यादा एक या डेढ़ रोटी ही खा पाएंगे। बाकी बची डेढ़ रोटी वो खा लेगी। इससे पता चलता है कि माटी वाली की आर्थिक हालत बहुत खराब थी। वो माटी बेचकर जो कुछ कमाती उसी से उसका और पति का पेट भरता था।
आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
माटी वाली घर जाते समय एक पाव प्याज खरीद लेती है। उसके पास तीन रोटियां भी होती हैं। तब वो सोचती है कि घर जाकर जल्दी से प्याज की सब्जी बना देगी। इसके बाद ही पति को दो रोटियां सब्जी के साथ परोसेगी। इससे पता चलता है कि वो अपने पति को प्रेम करती है। रोटी के साथ सब्जी देखकर पति के चेहरे पर जो खुशी आएगी उसे देख माटी वाली को अच्छा लगेगा। हर रोज पति को सूखी रोटी खिलाना माटी वाली को अच्छा नहीं लगता। वह अपने पति के स्वाद एवं स्वास्थ्य दोनों के प्रति चिंता करती है। इसलिए वो ये सोचकर खुश है कि कम से कम आज तो पति को कोरी रोटियां नहीं परोसनी पड़ेंगी।
‘गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
एक दिन जब माटी वाली घर पहुंचती है तो देखती है कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। माटी वाली का एक अकेला सहारा छिन जाता है और उसे पति के अंतिम संस्कार की चिंता होती है। बांध टूटने से सारे शमशान पानी में डूब चुके थे। पुलिस वाले भी उसकी कोई मदद नहीं करते। वो अपने पति के शव को झोपड़ी में ही रखती है और खुद बाहर आकर बैठ जाती है। उसके पास से जब कोई गुजरता है तो दुःख के आवेश में वह यह वाक्य कहती है। क्योंकि इस वक्त उसका घर ही श्मशान बन जाता है। अब वो ये नहीं चाहती कि उसका घर भी उजड़ जाए। वो अपने घर को शमशान की तरह संबोधित करती है।
‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।
विस्थापन उसे कहते हैं जब कोई व्यक्ति अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह जाने पर मजबूर हो जाता है या उसे बलपूर्वक वहां से हटा दिया जाता है। गांव और शहरों में विस्थापन की समस्या बढ़ती जा रही है। विकास, रोजगार और अपर्याप्त सुविधाओं के कारण अक्सर लोगों को अपनी जड़ें छोड़कर दूसरी जगह विस्थापित होना पड़ता है। ये एक कष्टदायी प्रक्रिया होती है। गरीबों के लिए ये स्थिति और विकराल हो जाती है। दूसरे शहर या गांव जाने के बाद उन्हें रहने को घर नहीं मिलता। वो दर—दर भटकने पर मजबूर हो जाते हैं। इसीलिए माटी वाली भी अपने विस्थापन की बात सोचकर व्याकुल हो उठती है।