यह कठिन समय नहीं है। यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।
‘यह सबसे कठिन समय नहीं है’ यह बताने के लिए कवयित्री ने कविता में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं:
(क) चिड़िया चोंच में तिनका लेकर उड़ने की तैयारी में है।
(ख) पेड़ से टूटकर नीचे गिरती पत्ती को सहारा देने के लिए हाथ तैयार है।
(ग) गाड़ी अपने गंतव्य तक जा रही है और बूढ़ी नानी अंतरिक्ष की कहानी सुना रही है।
(घ) कोई किसी के जल्दी घर लौट आने का इंतजार कर रहा है।
चिडि़या चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की मैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।
चिड़िया अपने सपनों का घोसला बनाने के लिए चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी कर रही है। वही अपने बच्चों और परिवार के लिए एक ऐसा ठिकाना बनाना चाहती है जहां वह उनके साथ सुकून से रह सके। वह पेड़ की ऐसी कोई डाल या सुरक्षित स्थान पर यह घोसला बनाएगी जहां कुछ समय के लिए उसे रहने भर की जगह मिल जाए।
कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई है। ‘अभी भी’ का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलने वाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?
‘अभी भी’ के प्रयोग से बनाए गए तीन वाक्य:
(क) दो दिन पहले ही घर की सफाई की थी पर अभी भी यहां धूल जमी हुई है।
(ख) पिछले सप्ताह ही कार की मरम्मत कराई थी पर अभी भी इसका इंजन ठीक से काम नहीं कर रहा।
(ग) मेरे पैर में काफी चोट है पर अभी भी मुझ में चलने की क्षमता है।
हाँ, इन वाक्यों में लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है।
‘नहीं’ और ‘अभी भी’ को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’ और ‘अभी भी’ के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं?
‘नहीं’ और ‘अभी भी’ को एक साथ प्रयोग करने से बने वाक्य।
(क) यहां कोई बस स्टॉप नहीं, इसलिए लोगों को अभी भी बस लेने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। (निरंतरता का भाव)
(ख) बिट्टू अभी तक गेंद लेकर नहीं आया, उसे अभी भी आने में काफी समय लग सकता है (प्रतीक्षा का भाव)
(ग) घर में बिल्कुल रोशनी नहीं है, बिजली आने का अभी भी को आसार नहीं। (निराशा का भाव)
घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाली किसी ऐसी कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश हो।
घर में बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाले ऐसे कई किस्से और कहानियां। इन्हीं में से एक है मनबुद्धी से बुद्धीमान बने बालक वरदराज की कहानी।
वरदराज नाम का एक मनबुद्धी बालक था। वरदराज पढ़ने में बहुत कमजोर था। इस वजह से सब उसका बहुत मजाक उड़ाते थे, कोई उसे मंदबुद्धि कहता तो कोई मूर्ख कहता था। उसके सभी सहपाठी जो उसके साथ पढ़ते थे वे आगे की कक्षा में पहुंच गए, लेकिन बालक वरदराज एक ही कक्षा में कई साल तक अटका रहा। उसे पढ़ाई लिखाई समझ में नहीं आती थी।
पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से शिक्षक उसे पसंद नहीं करते थे। अंत में उसे विद्यालय से यह कहकर निकाल दिया गया की वह पढ़ने लिखने में असमर्थ हैं। इसके बाद निराश माता-पिता ने वरदाराज को पढ़ने के लिए गुरुकुल भेज देया। वहां भी वरदराज का पढ़ाई में हाल ऐसा ही था।
शिक्षकों और सहपाठियों के तानों से परेशान एक दिन वरदराज कड़ी धूप में कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे बहुत प्यास लगी। वरदराज ने अपने आस-पास देखा तो दूर उसे एक कुँआ नजर आया। वरदराज उस कुएँ के पास पहुँचा। वहां वरदराज ने देखा कि कुएं की जगत पर रस्सी की रगड़ ने पत्थर पर भी निशान बना दिए हैं। इस घटना ने बालक वरदराज के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला। उसे समझ आ गया कि रस्सी की लगातार रगड़ से जब पत्थर में भी लकीरें पड़ सकती हैं तो बार-बार अभ्यास करने से उसे भी पढ़ना क्यों नहीं आएगा।
उस दिन के बाद वरदराज का जीवन एकदम बदल गया। वह पढ़ाई में ध्यान देने लगा, गुरुजी जो सिखाते वरदराज उसे ध्यान से सुनता, अपना पाठ याद कर गुरुजी को सबसे पहले सुनता और अपनी कक्षा में सबसे ज्यादा पढ़ाई करता था। बहुत जल्द वरदराज एक मूर्ख से बुद्धीमान बालक बन गया। आगे चलकर वह बालक संस्कृत के बहुत बड़े विद्वान् बनें और उन्होनें संस्कृत के तीन ग्रंथों की रचना की।
मध्यसिद्धान्तकौमुदी
लघुसिद्धान्तकौमुदी
सारकौमुदी
आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं, कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।
जब मैं घर से स्कूल जाता हूं तो मेरी प्रतीक्षा करने वाले घर की ही सदस्य होते हैं। शाम ढलने पर भी इसी तरह घरवाले मेरी प्रतीक्षा करते हैं। इस वक्त मेरे मन में कई तरह की बातें चल रही होती हैं।
(क) घरवाले मुझसे बहुत प्रेम करते हैं, इसलिए मेरे घर से बाहर रहने पर उनकी चिंताएं बढ़ जाती हैं।
(ख) वह मेरी जरूरतों का खास ख्याल रखते हैं।
(ग) उनके मन में चल रहा होता है कि कहीं मेरे साथ कोई अनहोनी न घट जाए।
(घ) मैं किसी तरह की मुसीबत में न फंस जाऊं जिससे घरवालों को पछताना पड़े।
(ड) घर से निकलते वक्त मैं खाने की जो सामग्री साथ लेकर गया था, मैंने वो खाई या नहीं।
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से क्या सचमुच कोई बस आती है जिससे खतरों के बाद भी बचे हुए लोगों की खबर मिलती है? आपकी राय में यह झूठ है या सच? यदि झूठ है तो कविता में ऐसा क्यों लिखा गया? अनुमान लगाइए, यदि सच लगता है तो किसी अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा के आधार पर कल्पना कीजिए कि वह बस कैसी होगी, वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे? इस संदर्भ को लेकर कोई कथा बना सकें तो बनाइए।
बड़े-बुजुर्गों की कहानियों में वर्षों से ऐसी काल्पनिक चीजों के नाम सुनने को मिलते रहे हैं, जिनका वास्तविक जीवन में कोई औचित्य नहीं है। अंतरिक्ष के पार से आने वाली बस भी इन्हीं काल्पनिक चीजों में से एक है। बाकी इस विषय पर विद्यार्थियों को एक बार जरूर सहपाठियों संग चर्चा करनी चाहिए और फिर उस चर्चा के आधार पर इस विषय के संबध में अपने विचार बना सकते हैं|