पाठ से
सलमा का पहला कदम बीमारी में ही क्यों बढ़ा था?
सलमा की उम्र उस वक्त बहुत कम थी जब भोपाल में गैस कांड हुआ था। इसी वजह से वो बचपन से ही बीमार रहने लगी थी। वह बताती है कि उसकी मां उससे गोद में जकड़कर जहांगीराबाद भागी थीं। सलमा ने अपनी याददाश्त का पहला कदम इस बीमारी में ही बढ़ाया था। उसे कई दिनों तक यही लगता रहा कि इस बीमारी की चपेट में आने के बाद अब वो इससे बच नहीं पाएगी। इस बीमारी की वजह से आज भी उसके शरीर पर निशान है।
पाठ से
सलमा अपनी अम्माँ से क्या कहती थी जिससे उसकी अम्माँ उसे मार देती थी
भोपाल गैस कांड की वजह से सलमा के पिता की मृत्यु हो गई थी। लेकिन सलमा की माँ यह बात मानने को तैयार ही नहीं थी कि उनके पिता अब यह दुनिया छोड़कर जा चुके हैं। सलमा की मां हर रोज अपनी पति की राह ताकती रहती थी। उन्हें होश में लाने के लिए जब कभी सलमा अपनी मां से कहती कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं है तो यह बात सुनकर मां काफी गुस्सा हो जाती और सलमा को मार देती।
पाठ से
सलमा ने ऐसा क्यों कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ?
बीमारी की चपेट में आने के बाद जब सलमा को आर्युवेदिक दवाइयों से आराम पड़ा तो उसके जीने की ख्वाहिश फिर जिंदा हो गई। उसके पांव के छाले सूखने लगे। बदन दर्द और गले से खून बहना भी बंद हो गया। उसके शरीर पर मौजूद लाल बड़े-बड़े निशान अब छोटे होने लगे थे। उसे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि वह अब ठीक होने लगी है। ऐसे में सलमा में एक बार फिर जीने की हसरत पैदा हो गई।
दुर्घटना
“मेरे अब्बू इस दुर्घटना के कारण खत्म हो गए, जब हम बहुत छोटे थे।”
ऊपर के वाक्य से पता चलता है कि सलमा के अब्बू किसी गैस दुर्घटना के कारण मर गए थे। दुर्घटना में कुछ लोगों को अपने शरीर के अंगों को गँवाना भी पड़ जाता है। तुम हवा, आग और पानी से होने वाली दुर्घटनाओं की एक सूची बनाओ। तुम इस सूची के आग यह भी लिखो कि इसमें क्या-क्या नुकसान होता है।
हवा, पानी और आग से होने वाली दुर्घटनाएं निम्नलिखित हैं-
1. दक्षिणी भारत के पूर्वी तट पर आए चक्रवाती तूफान नीलम के कारण कई लोग बेघर हो गए। इस तूफान की तेज हवाओं ने लाखों घर उजाड़े। इसकी तबाही का असर लाखों लोगों पर पड़ा था।
2. श्रीलंका में आई सुनाई में भी कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। समुद्र के करीब बसे कई गांव इसकी चपेट मे आए थे।
3. साल 1997 में उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी।
देखभाल
“हम उनसे कहते कि जब हम बड़े हो जाएँगे तो उनकी देखभाल करेंगे। इस वाक्य को पढ़ो और बताओ कि-
कौन किसकी देखभाल करना चाहता/चाहती है?
भापोल गैस त्रासदी में सलमा के पिता अपनी जान गंवा चुके थे। ऐसे में उसकी मां खुद को बेसहारा समझने लगी थी। उन्हें अभी भी यही लगता था कि सलमा के पिता जिंदा है। यह देखकर सलमा और उसकी बहन अपनी मां को समझाते थे कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह मां से यह भी कहती थीं कि पिता के जाने के बाद वह अपने भविष्य की चिंता न करें बड़ी होकर वे खुद उनका खयाल रखेंगी।
देखभाल
“हम उनसे कहते कि जब हम बड़े हो जाएँगे तो उनकी देखभाल करेंगे। इस वाक्य को पढ़ो और बताओ कि-
वह बड़ा/बड़ी होकर भी देखभाल करना क्यों चाहता/चाहती है?
सलमा बहुत छोटी थी जब उसके पिता भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवा बैठे थे। सलमा की मां ने शुरू से ही काफी दुख उठाए थे। एक तो सिर से पति का साया उठ चुका था, ऊपर से बेटी की बीमारी की चिंता उन्हें खाए जा रही थी। ऐसे में सलमा को हमेशा अपनी मां की काफी चिंता रहती थी और वह अपनी मां से हमेशा कहती थीं कि चिंता करने की जरूरत नहीं। वह बड़ी होकर खुद उनका ख्याल रखेगी।
देखभाल
“हम उनसे कहते कि जब हम बड़े हो जाएँगे तो उनकी देखभाल करेंगे। इस वाक्य को पढ़ो और बताओ कि-
क्या वह छोटे होने पर देखभाल नहीं कर सकता/सकती है?
भोपाल गैस त्रासदी के वक्त सलमा की उम्र काफी कम थी। उसकी बीमारी का कारण भी यही घटना थी। इसलिए इतनी कम उम्र में बीमारी का शिकार होने के कारण वह अपनी मां का ख्याल नहीं रख सकती थी। हालांकि अपनी मां को मानसिक अवसाद से बचाने के लिए वह तब भी उन्हें काफी तसल्ली दिया करती थीं। वह कहती थीं कि एक दिन जब वह बड़ी हो जाएगी तो वह खुद मां का ख्याल रखेगी। यह सुनकर मां को काफी संतुष्टि मिलती होगी।
देखभाल
“हम उनसे कहते कि जब हम बड़े हो जाएँगे तो उनकी देखभाल करेंगे। इस वाक्य को पढ़ो और बताओ कि-
अगर वह छोटे होने पर भी देखभाल करेगा/करेगी तो क्या हो सकता है?
अगर वह कम उम्र में मां का ख्याल रखने का प्रयास करेगी तो न ठीक से ख्याल रख पाएगी और न ही बीमारी से निकलने के लिए खुद का ध्यान रख पाएगा। सलमा छोटी होने के साथ-साथ काफी बीमार भी थी। ऐसे में उसे भी आराम की जरूरत थी। जब वह खुद तंदुरुस्त रहेगी तभी तो आगे चलकर मां का सहारा बन पाएगी। इसलिए उसका बड़े होकर फिर अपनी माँ का ख्याल रखना ही तर्कसंगत कार्य है|
निबंध या संस्मरण
इस पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है, जिसे त्रासती को सहने वाली सलमा ने ‘वह सुबह कभी तो आएगी’ शीर्षक से लिखा है। अब तुम बताओ कि-
तुम इसे निबंध या संस्मरण में से क्या कह सकते हो और क्यों?
हम इसे संस्मरण ही कहेंगे क्योंकि सलमा ने अपनी आपबीती को याद करते हुए यह लेख लिखा है। इस लेख में उसने अपने जीवन के सारे दुखों को शब्दों में पिरोया है। वह अपने पिता के देहांत से लेकर अपनी बीमारी के बारे में जिक्र कर रही है। वह बता रही है कि एक घटना ने उनके परिवार का भविष्य किस तरह बिखेर कर रख दिया। इस घटना की वजह से ही सलमा सालों तक एक बीमारी से जंग करती रही। अतः इसे संस्मरण कहना ही ज्यादा उचित प्रतीत होता है|
निबंध या संस्मरण
इस पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है, जिसे त्रासती को सहने वाली सलमा ने ‘वह सुबह कभी तो आएगी’ शीर्षक से लिखा है। अब तुम बताओ कि-
अगर इसे कोई कहानी कहे तो क्या होगा?
अगर इसे कहानी कहा जाए तो इसमें से दर्द का वो भाव खत्म हो जाएगा जिसे सलमा लोगों तक पहुंचाना चाहती है। चूंकि कहानियां काल्पनिकता पर आधारित होती है, इस वजह से लोग उसकी सच्ची कहानी को ध्यानपूर्वक नहीं सुनेंगे। इसे कहानी कहे जाने पर सलमा के दर्द की आपबीती काल्पनिक किस्से-कहानियों की भीड़ में खोकर रह जाएंगे। अगर सलमा के दर्द को समाज के सामने उसी प्रकार से रखना है जैसा कि उसने महसूस किया है तो इसे कहानी के रूप में पेश करना तर्कसंगत नहीं होगा|
निबंध या संस्मरण
इस पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है, जिसे त्रासती को सहने वाली सलमा ने ‘वह सुबह कभी तो आएगी’ शीर्षक से लिखा है। अब तुम बताओ कि-
मान लो अगर तुम इसे लिखते तो इसका क्या शीर्षक देते और क्यों?
अगर मैं इसे लिखता तो इसका शीर्षक 'पथरीला रास्ता’ या 'मेरा संघर्ष’ रखता। इसके पीछे की वजह ये है कि इसमें सलमा ने अपने दुखभरे जीवन की सच्चाई को उजागर किया है। उसने बताया है कि कैसे एक घटना ने उसके परिवार से सारी खुशियां छीन ली हैं। इसके बावजूद उसने जिंदगी की कठिनाइयों से हार नहीं मानी। सलमा ने आखिर तक जिंदगी से अपनी जंग जारी रखी और इस काबिल बनी कि बड़े होकर अपने परिवार को संभाल सके।
पंक्ति और शीर्षक
‘वह सुबह कभी तो आएगी’- यह इस पाठ का शीर्षक है। साथ ही यह साहिर लुधयानवी के ‘गीत’ की पंक्ति भी है। इस तरह तुम कुछ अन्य गीतों, कविताओं, लेखों, कहानियों और प्रसिद्ध लोगों के विचारों आदि की किसी पंक्ति का चयन कर उसकी सूची बनाओ जिस पर अपने विचारों को लिख सकते हो और वह तुम्हारे लेख के लिए सही शीर्षक हो सकता है।
1. कुछ पाने की हो आस-आस, कोई अरमां हो जो खास-खास आशाएं-आशाएं: सलीम-सुलेमान
2. रोके तुझको आंधियां या जमीन, आसमां, पाएगा जो लक्ष्य है तेरा: जावेद अख्तर
3. कर हर मैदान फतह- कर हर मैदान फतह: शेखर अस्तित्व
4. साथी हाथ बढ़ाना: साहिर लुधियानवी
5. हम होंगे कामयाब: गिरिजा कुमार माथुर
भेंट मुलाकात
तुम्हारी भेंट मुलाकात अक्सर कुछ ऐसे लोगों से भी होती होगी या हो सकती है जिनकी आँखें नहीं होती, जो बोल और सुन नहीं सकते। कुछ वैसे भी लोग होंगे या हो सकते हैं जो हाथ-पैर या अपने किसी अन्य अंग से सामान्य मनुष्य की तरह काम नहीं कर सकते।
अब तुम बताओ कि-
क) यदि तुम्हें किसी गूँगे व्यक्ति से कुछ समझना हो तो क्या करोगे?
ख) यदि तुम्हें किसी बहरे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे?
ग) यदि तुम्हें किसी अंधे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे?
घ) किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खेलने का अवसर मिल जाए जो चल फिर नहीं सकता हो तो क्या करोगे?
क) यदि हमें कोई गूंगा व्यक्ति मिले तो उसकी बात समझने के लिए हम कागज पर कुछ लिखकर उसकी हां या ना का मतलब समझ सकते हैं। इसके अलावा उसे कोई वस्तु दिखाकर उसके मन के विचारों को समझ सकते हैं। उससे बात करते वक्त हमें उसके चेहरे की रूपरेखा और हाथों के इशारों को बेहद करीब से समझना होगा। इसके अलावा उसे कई तरह के विकल्प दिखाकर हम उसकी राय को बेहतर तरीके से जान पाएंगे।
ख) यदि हमे किसी किसी बहरे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो हम उसे लेखन के माध्यम से अपनी बात समझा सकते हैं। इसके अलावा हाथ के इशारों से उससे अपनी बात कही जा सकती है। आप कोई पेंटिंग या वस्तु दिखाकर भी उसके साथ संपर्क कर सकते हैं|
ग) यदि हमें किसी अंधे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो हम हाथों के स्पर्श से उसके साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा आप खुलकर उसके साथ बातें कर सकते हैं। उसके साथ कोई ऑडियो क्लिप साझा कर सकते हैं। इतना ही नहीं यदि वह व्यक्ति ब्रेन लिपि द्वारा पढ़ने में सक्षम है तो उसे इस प्रकार की सामग्री उपलब्ध करवा सकते हैं।
घ) यदि हमें कोई ऐसा व्यक्ति मिले जो चल फिर नहीं सकता तो उसके साथ आप कई ऐसे खेलों का आनंद ले सकते हैं जिनके लिए दौड़ने या भागने की जरूरत नहीं है। ऐसें में आप उसके साथ शतरंज, लूडो, कैरम और ताश खेल सकते हैं। इस तरह के खेलों का वह व्यक्ति उतना ही आनंद ले पाएगा जितना आप। साथ ही इसमें उसके लिए किसी प्रकार का कोई जोखिम भी नहीं होगा।
उपाय
नीचे कुछ दर्घटनाओं के बारे मे लिखा हुआ है; जैसे-
क) सड़क दुर्घटना – सड़क पर होती है
ख) ट्रेन दुर्घटना -ट्रेन की पटरी पर होती है
ग) हवाई दुर्घटना - धरती या आसमान कहीं भी हो सकती है
घ) नौका दुर्घटना - जल में हो सकती है
इनके कारणों में मानवीय भूल, जानबूझकर और प्राकृतिक रूप से संबंधित कोई भी कारण हो सकता है। मान लो कि तुम्हारे आस-पास ऐसी कोई भी दुर्घटना घट जाती है तो तुम क्या-क्या करोगे?
क) क्या तुम स्वयं को बचाओगे?
ख) किसी और को बचाओगे?
ग) किसी अन्य को बचने और बचाने का उपाय बताओगे?
घ) किसी अन्य को उस दुर्घटना के बारे मे बताओगे और बुलाओगे?
ङ) क्या तुम चुपचाप रह जाओगे?
इसमें तुम जो भी करना चाहते हो, उसका कारण भी बताओ।
क) हां, यह स्वभाविक है। निश्चित ही पहले आपको खुद के बारे में सोचना होगा। अगर आप खुद को ही नहीं बचा पाओगो तो दूसरों की रक्षा करने का तो सवाल ही नहीं होता। इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि पहले हम स्वंय की रक्षा करेंगे इसके बाद किसी दूसरे की रक्षा के बारे में सोचेंगे।
ख) यदि हम खुद खतरे से बाहर निकल जाते हैं तो अवश्य ही हमें दूसरे की रक्षा करनी चाहिए। यदि हम किसी कारण दूसरे की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो उसे उस दुर्घटना या त्रासदी से बाहर आने या बचने के उपाय बताएंगे। इसके अलावा उसे मुसीबत से बाहर निकालने के लिए हर संभव मार्ग खोजेंगे। ऐसी परिस्थितियों में कई बार पुलिस या सहायक दल की मदद भी ली जा सकती है।
ग) हां दुर्घटना स्थल पर फंसे किसी भी व्यक्ति की मदद करने के लिए उसे उपाय बताना जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में वो व्यक्ति घबराएगा नहीं और आपकी उपायों को जानकर खतरे से भी बाहर आ पाएगा।
घ) वैसे तो दुर्घटना स्थल पर किसी दूसरे व्यक्ति को बुलाना सही नहीं है,लेकिन अगर सहयोग की जरूरत हो और आपको लगे कि कोई व्यक्ति आपको या किसी अन्य को उस घटनास्थल से मुक्त करा सकता है तो निश्चित ही आपको किसी की मदद लेनी चाहिए। हालांकि ध्यान रहे कि ऐसे में किसी दूसरे की जान को भी जोखिम न खड़ा हो जाए।
ड) ऐसी परिस्थितियों में कभी शांत नहीं रहना चाहिए। शांत रहने की बजाए शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा कर लेना चाहिए। ताकि कोई आपकी मदद को आगे आ सके। लोगों की भीड़ देखकर आपको भी हौसला मिलेगा और आप खुद उस मुसीबत से बाहर आने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा शोर सुनकर घटना स्थल पर पहुंचने वाले लोग भी तरह-तरह जुगत लगाकर आपको बचाने का प्रयास करेंगे।
शब्द प्रयोग
मेरा गला और आँखें सूज जाती है, मेरा चेहरा सूजन की वजह से बड़ा रहता है।
ऊपर के वाक्य में सूज और सूजन शब्द का प्रयोग सार्थक ढंग से हुआ हे। इसके साथ सूजना शब्द का प्रयोग भ किया जा सकता है। तुम भी अपने ढंग से कुछ ऐसे शब्दों की सूची बनाओ जिनके रूप में थोड़ा बहुत अंतर हो तभी सार्थक ढंग से उसका प्रयोग किया जा सकता है; टूट, टूटना, टुटन आदि
घेर, चल, फैलना, जम, लिख, बना
चलना, फैल, जमना, लिखना, घेरना, बनाई
घिरावट, चलन, जमावट, लिखावट, बनावट