पाठ से
बच्चों ने मंच की व्यवस्था किस प्रकार की?
बच्चों ने सबसे पहले मिल-जुलकर एक मैदान जो फालतू पड़ा था उसमें पेड़ पौधे लगाए, जिससे वो जगह पहले से आकर्षक बन गई। इसके बाद उन्होंने वहीं पर मंच भी बना लिया।
पाठ से
पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा क्यों कर रहे थे?
पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा इसलिए कर रहे थे क्योकि जब नाटक बिगड़ गया था तो राकेश ने ही बात सँभाली। जब सारे दर्शक नाटक को खराब होता देख बिल्कुल शांत हो गए थे तो राकेश ने बिगड़ती स्थिति को संभाला जिससे दर्शकों को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं हुआ कि नाटक में किसी तरह की कोई गलती भी हुई है।
पाठ से
नाटक के लिए रिहर्सल की ज़रूरत क्यों होती है?
नाटक के लिए रिहर्सल की ज़रूरत इसलिए होती है, क्योकि नाटक को पेश करते समय बहुत सारे दर्शकों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई लोग घबराकर अपनी लाइन भूल जाते हैं। जब हम नाटक की कई बार रिहर्सल करते हैं तो उससे नाटक करने वाले की झिझक और घबराहट दूर हो जाती है। इसके अलावा जब आप नाटक को मंच पर पेश करते हैं और अगर उस समय एक भी गलती हो जाए तो उसे सुधारने का मौका नहीं मिलता। नाटक करने से पहले अभ्यास करने की जरूरत पड़ती है। कोई भी नाटक बिना तैयारी के अच्छे से पूरा नहीं हो सकता। आप अच्छे से रिहर्सल करते हैं तो आपके नाटक का महत्व पहले से ज्यादा बढ़ जाता है।
नाटक की बात
“जब नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार भी नए हों, मंच पर आकर डर जाते हों, घबरा जाते हों और कुछ-कुछ बुद्धू भी हों, तब तो अधूरी तैयारी से खेलना नहीं चाहिए।”
क) ऊपर के वाक्य में नाटक से जुड़े कई शब्द आए हैं; जैसे-अभिनय ,कलाकार और मंच आदि। तुम पूरी कहानी को पढ़कर ऐसे ही और शब्दों की सूची बनाओ।
शायर और शायरी
“सोहन बना था शायर।”
तुम किसी गज़ल को किसी पुस्तक में पढ़ सकते हो या किसी व्यक्ति द्वारा गाते हुए सुन सकते हो। इसमें से तुम्हें जो भी पसंद हो उस इकट्ठा करो। उसे तुम समुचित पर आवश्यकतानुसार गा भी सकते हो।
जगजीत सिंह गजल
- होठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो।
-चिट्ठी ना कोई संदेश, जाने वो कौनसा देश जहां तुम चले गए।
-कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे, तुने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
गुलाम अली
- हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह, सिर्फ इक बार मुलाकात का मौका दे दे, हम तेरे शहर में...
पंकज उधास
-चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
-चाँदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल
-न कजरे की धार, न मोतियों का हार
तुम्हारे संवाद
“श्याम घबरा गया। वह सहसा चुप हो गया।
उसके चुप होने से चित्रकार और शायर महोदय
भी चुप हो गए। होना यह चाहिए था कि दोनों
कोई बात मन की ही बनाकर बात आगे बढ़ा देते।”
अगर तुम श्याम की जगह पर होते, तो अपने मन से कौन से संवाद जोड़ते। लिखो।
अगर मैं श्याम की जगह होता तो मैं कुछ इस तरह के संवाद बोलता–
मैं संगीतकार हूँ। मेरा संगीत सुनना सभी पसंद करते हैं। इतना ही नहीं मेरे संगीत की मधुरता में लोग मुग्ध हो जाते हैं। जहां जहां मैं अपना संगीत सुनाने जाता हूँ, वहाँ भारी तादाद में लोग एकत्रित हो जाते हैं।
सोचो, ऐसा क्यों?
नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो-
“राकेश को गुस्सा भी आ रहा था और रोना भी।”
तुम्हारे विचार से राकेश को गुस्सा और रोना क्यों आ रहा होगा?
राकेश ने इस नाटक के लिए बहुत मेहनत की थी। जब उसने देखा कि मंच पर कलाकर सही से अभिनय नहीं कर पा रहे हैं। अपनी सारी मेहनत को जाया होता देख उसे गुस्सा आ रहा था और उसे यह सोच सोचकर रोना आ रहा था कि उसकी सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी।
सोचो, ऐसा क्यों?
नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो-
“राकेश मंच पर पहुँच गया। सब चुप हो गए, सकपका गए।”
तुम्हारे विचार से राकेश जब मंच पर पहुँचा, बाकी सब कलाकार क्यों चुप हो गए होंगे?
राकेश इस नाटक का निर्देशक था। पूरे नाटक के दौरान उसका मंच पर कोई काम नहीं था, लेकिन जब उसने कलाकारों को खराब अभिनय करते देखा तो वह मंच पर चला गया। बिना किसी किरदार के अचानाक राकेश को मंच पर देख सभी कलाकार चुप हो गए और सकपका गए।
सोचो, ऐसा क्यों?
नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो-
“दर्शक सब शांत थे, भौंचक्के थें।”
दर्शक भौंचक्के क्यों हो गए थे?
दर्शकों को लग रहा था कि पूरा नाटक बिगड़ चुका है। इसलिए वे सभी जोरों से हंस रहे थे, लेकिन जब राकेश ने आकर सब संभाल लिया और उन्हें मालूम हुआ कि नाटक बिगड़ा नहीं है तो वे सब शांत और भौंचक्के रह गए थे।
सोचो, ऐसा क्यों?
नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो-
“मैंने कहा था कि रिहर्सल में भी यह मानकर चलो कि दर्शक सामने ही बैठे हैं।”
राकेश ने ऐसा क्यों कहा होगा?
राकेश ने यह बात अपने कलाकारों को समझाने के लिए कही थी जिससे मंच पर चुप और ड़रे कलाकारों का मनोबल बढ़े और नाटक को संभाल लिया जाए। उसने इस बात को इतना तरीके के साथ कहा जिससे उन्हें यह बात समझ आ जाए और दर्शकों को मालूम भी न हो। उन्हें लगे कि जैसे यह नाटक का ही हिस्सा हो।
चलो अभिनय करें
कहानी में से चुनकर कुछ संवाद नीचे दिए गए हैं।
उन संवादों को अभिनय के साथ बोलकर दिखाओ।
क) चित्रकार महोदय हाथ में कूची पकड़े-आँखें
नचा-नचाकर, मटक-मटककर बोल रहे थे,
“अरे चमगादड़, तुझे क्या खाक शायरी करना
आता है। ज़बरदस्ती ही तुझे यह पार्ट दे दिया।
तुने सारा गड़वड़ कर दिया।”
ख) मोहन बोला, “मेरा तो दिल बहुत जोरों से धड़क रहा है।”
ग) राकेश पहुँचते ही एक कुर्सी पर बैठते हुए बोला, “आज मुझे अस्पताल में हाथ पर पट्टी बंधवाने में देर हो गई, तो तुमने इस तरह ‘रिहर्सल’ की है। ज़ोर-ज़ोर से लड़ने लगे।”
घ) चित्रकार महोदय ने हाथ उठाकर कहा, “देख, मुँह सँभालकर बोल।”
छात्र स्वयं हल करें|
शब्दों का फेर
“जब संगीत की स्वर लहरी गूँजती है तो पशु-पक्षी तक मुग्ध हो जाते हैं, शायर साहब!आप क्या समझते हैं संगीत को?”
इस संवाद को पढ़ो और बताओ कि-
क) कहानी में इसके बदले किसने, क्यों और क्या बोला? तुम उसको लिखकर बताओ।
ख) कहानी में शायर के बदले गाजर कहने से क्या हुआ? तुम भी अगर किसी शब्द के बदले किसी अन्य शब्द को प्रयोग कर दो तो क्या होगा?
क) इसके बदले संगीतकार ने अपनी बात भूल जाने और राकेश की बात को ध्यान से न सुनने पर कहा कि “जब संगीत की स्वर लहरी गूँजती है तो पशु-पक्षी तक मुँह की खा जाते हैं, गाजर साहब! आप क्या समझते हैं हमें गाजर साहब?”
ख) शायर के बदले गाजर कहने से शायर साहब गुस्से से लाल हो गए थे। अगर किसी शब्द की जगह कोई अन्य शब्द का प्रयोग किया जाए तो शब्द का अनर्थ भी हो सकता है।
तुम्हारा शीर्षक
इस कहानी का शीर्षक ‘नाटक में नाटक’ है। कहानी में जो नाटक है तुम उसका शीर्षक बताओ।
रिहर्सल का नाटक
समस्या और समाधान
कहानी में चित्रकार बना मोहन, शायर बना सोहन और संगीतकार बना श्याम अपनी-अपनी कला को महान बताने के साथ एक-दूसरे को छोटा-बड़ा बताने वाले संवादों को बोलकर झगड़े की समस्या को बढावा देते दिख रहे हैं। तुम उन संवादों को गौर से पढ़ो और उसे इस तरह बदलकर दिखाओ कि आपसी झगड़े की समस्या का समाधान हो जाए। चलो शुरुआत हम कर देते हैं; जैसे-‘चित्रकार कहात है उसकी कला महान’ के बदले अगर चित्रकार कहे कि ‘हम सबकी कला महान’ तो झगड़े की शायद शुरूआत ही न हो। अब तुम यह बताओ कि-
क) संगीतकार को क्या कहना चाहिए?
ख) शायर को क्या कहना चाहिए?
ग) तुम यह भी बताओ कि इन सभी कलाकारों को तुम्हारे अनुसार वह संवाद क्यों कहना चाहिए?
क) संगीतकार को कहना चाहिए था कि हम सभी की कला महान है लेकिन संगीत में एक ऐसी मधुरता होती है जो हर किसी के कानों को भा जाती है। फिर चाहे वो कोई जानवर भी क्यों न हो। संगीत की स्वर लहर से तो पशु-पक्षी तक मुग्ध हो जाते हैं।
ख) शायर को कहना चाहिए था कि हाँ संगीत में मधुरता होती है, वहीं चित्रकारी आँखों को अच्छी लगती है और मन को भाती भी है, लेकिन शायरी में तो शब्दों का ऐसा कलात्मक जादू है जो सीधा दिल को छू लेती है।
ग) सभी कलाकारों को ऐसा इसलिए कहना चाहिए, क्योकि हमें अपने साथ-साथ दूसरे की कला को भी तवज्जों देनी चाहिए। फिर चाहे वह संगीतकार हो, चित्रकार हो या शायर हो, सभी की कला महान है। ऐसा कहकर आप अपनी कला पर गौरवान्वित महसूस करेंगे।
वाक्यों की बात
नीचे दिए गए वाक्यों के अंत में उचित विराम चिन्ह लगाओ-
क) शायर साहब बोले उधर जाकर सुन ले न
ख) सभी लोग हँसने लगे
ग) तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो
घ) मोहन बोला अरे क्या हुआ तुम तो अपना संवाद भूल गए
क) शायर साहब बोले, उधर जाकर सुन ले न।
ख) सभी लोग हँसने लगे।
ग) तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो?
घ) मोहन बोला, “अरे! क्या हुआ, तुम तो अपना संवाद भूल गए।“