कविता से
गुड़िया को कौन, कहाँ से और क्यों लाया है?
कवि मेले में घूमने जाता है। तब उसे वहां बुढ़िया दिखती है जो खिलौने बेच रही थी। उन खिलौनों में कवि को एक गुड़िया बेहद पसंद आई। मोल भाव करने के बाद कवि ने उस गुड़िया को खरीद लिया| ये गुड़िया आंखें झपका सकती है और पिया पिया बोलती है।
कविता से
कविता मे जिस गुड़िया की चर्चा है वह कैसी है?
कवि ने जो गुड़िया खरीदी है वो आंखें झपका सकती है। गुड़िया की चुनरी सितारों से जड़ी है। उसकी काली आंखें बहुत सुंदर है। ये गुड़िया बेकार की चीजों से बनी है। इसके बावजूद कवि उसकी सुंदरता पर मोहित हो जाता है।
कविता से
कवि ने अपनी गुड़िया के बारे में अनेक बातें बताई हैं। उनमें से कोई दो बातें लिखो।
कवि ने जो गुड़िया खरीदी है उसकी विशेषता भी बताई है। कवि कहता है कि वो आंखें बंद एवं खोल सकती है और पिया पिया बोलती है। इसके अलावा उसकी काली आंखें हैं। उसने सितारे जड़ी चुनरी ओढ़ी है।
तुम्हारी बात
“खेल-खिलौनों की दुनिया में तुमको परी बनाऊँगा।” बचपन में तुम भी बहुत से खिलौनों से खेले होगे। अपने किसी खिलौने के बारे में बताओ।
बचपन में हमने बैट बॉल का खेल बहुत खेला है। इस खेल का नाम क्रिकेट होने के बावजूद हम इसे बैट बॉल ही कहते थे। चार लोग मिल गए, बस बैट बॉल खेलना शुरू कर देते थे। इस खेल में कोई नियम नहीं होता था। बॉल फेंकना और उसे बैट से मारना, यही नियम होता था। बॉल को कैच कर लो तो आउट हो जाते थे। मुझे ये बैट बॉल पापा ने लाकर दिया था। धानी रंग की बॉल और क्रीम कलर का बैट मेरा सबसे पसंदीदा खिलौना था। मेरी बॉल को कोई हाथ भी लगाता तो मुझे गुस्सा आता था। बैट बॉल मेरी थी इसलिए मैं ही पहले बैटिंग करता था। 8 साल बीत जाने के बाद भी वो बैट बॉल मेरे पास सुरक्षित रखा है।
तुम्हारी बात
“मौल-भाव करके लाया हूँ
ठोक-बाजकर देख लिया।”
अगर तुम्हें अपने लिए कोई खिलौना खरीदना हो तो तुम कौन-कौन सी बातें ध्यान में
रखोगे?
बाजार जाने पर हमेशा मेरी नजर खिलौने वाली कार पर रहती है। मैंने बहुत सी कारों को अपने घर पर इकठ्ठा किया हुआ है| जब भी कार खरीदने जाता हूं तो सबसे पहले उसकी कीमत पूछता हूं। फिर उसे हाथ में लेकर देखता हूं कि कहीं कुछ टूटा तो नहीं है। कार ठीक से चल रही है या नहीं। उसका कोई स्क्रू तो नहीं ढीला है। कार में नए जैसी चमक है या नहीं। कभी कभी दुकानदार पुरानी चीजें भी महंगे दामों पर दे देते हैं। इसके अलावा ये भी देखता हूं कि कार की प्लास्टिक अच्छी है या नहीं। गिरने पर टूटेगी तो नहीं। कार पसंद आने के बाद ही उसपर मोल भाव करता हूं। 100 रुपये की चीज को 80 रुपये के दाम में तुड़वा लेता हूं।
तुम्हारी बात
“मेले से लाया हूँ इसके
छोटी-सी प्यारी गुड़िया”
यदि तुम मेले में जाओगे तो क्या खरीदकर लाना चाहोगे और क्यों?
बचपन से ही मेले में जाकर झूला झूलना और खिलौने खरीदने का शौक रहा है। हमारे घर के पास नवरात्र के दिनों में एक भव्य मेला लगता है। ये मेला एक हफ्ते तक चलता है। हम हर बार वहां जाकर कुछ चीजें जरूर खरीदकर लाते हैं। इसमें गुब्बारे, दूरबीन, धनुष बाण, स्टीमर और बायोस्कोप सबसे पसंदीदा खिलौने हैं। इस स्टीमर की खास बात ये होती है कि इसके अंदर आग लगाने से ये पानी में चलती है। अगर इस बार में मैं मेले में गया तो नई कार जो रिमोट से चलती जो खरीदकर लाना चाहूँगा क्योंकि कुछ दिन पहले मेरा दोस्त सुमित बाजार से वह गाड़ी खरीदकर लाया था और मुझे वो रिमोट वाली गाड़ी बहुत अच्छी लगी|
मेला
भारत में अनेक अबसरों पर मेले लगते हैं। कुछ मेले तो पूरी दुनया मे प्रसिद्ध हैं।
तुम अपने प्रदेश के किसी मेले के बारे में बताओ। पता करो कि वह मेला क्यों लगता है? वहाँ कौन-कौन से लोग आते हैं और वे क्या करते हैं? इस काम मे तुम पुस्तकालय या बड़ों की सहायता ले सकते हो।
मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। यहां सबसे प्रसिद्ध मेला कुंभ मेला है जो इलाहाबाद में लगता है। 6 महीने में अर्द्ध कुंभ लगता है और 12 साल में महाकुंभ लगता है। ये मेला प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे होता है। ये मेला सरकार की तरफ से श्रद्धालुओं के लिए लगाया जाता है। मेले पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है। कहा जाता है कि इस जगह पर अमृत गिरा था और मान्यता है कि यहां गंगा में नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं। इस वजह से मेले के दौरान यहां हजारों श्रद्धालू उमड़ते हैं। प्रयागराज गंगा के संगम के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। कुंभ के मेले के दौरान साधुओं, किन्नरों, श्रद्धालुओं और सेलेब्रिटीज के लिए अलग अलग आगमन और निकासी की व्यवस्था होती है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो कोई नया शहर बसा दिया गया हो। यहां अलग अलग राज्यों से लोग आते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों की मशहूर चीजें यहां बिकती हैं।
मेला
भारत में अनेक अबसरों पर मेले लगते हैं। कुछ मेले तो पूरी दुनया मे प्रसिद्ध हैं।
तुम पुस्तक-मेला, फ़िल्म-मेला और व्यापार-मेला आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करो और बताओ कि अगर तुम्हें इनमें से किसी मेले में जाने का अवसर मिले तो तुम किस मेले में जाना चाहोगे और क्यों?
सांस्कृतिक मेलों के अलावा अब कई तरह के मेले प्रसिद्ध हो गए हैं। इसमें पुस्तक मेला, फिल्म मेला और व्यापार मेला प्रमुख है। अगर मुझे मौका मिला तो मैं पुस्तक मेले में जाना पसंद करूंगा। क्योंकि यहां ज्ञान की ढेरों पुस्तकें मिलती हैं। कई ज्ञानी और कविजन अपना स्टॉल लगाते हैं। यहां ज्ञानवर्धक बातें सीखने को मिलती हैं। मुझे उपन्यास पढ़ना अच्छा लगता है। इसलिए मैं कई प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकें खरीदूंगा। अपने साथ और भी दोस्तों को ले जाऊँगा। जिससे वो भी अच्छी किताबें खरीद अपना ज्ञान बढ़ा सकें।
कागज़ के फूल
कागज़ से तरह-तरह के खिलौने बनाने की कला को ‘आरिगैमी’ कहा जाता है। तुम भी कागज़ के फूल/वस्तु बनाकर दिखाओ।
बच्चे स्वयं से इस करके देखें|
घर की बात
तुम्हारे घर की बोली में इन शब्दों को क्या कहते हैं?
क) गुड़िया
ख) फुलवारी
ग) नुक्कड़
घ) चुनरी
गुड़िया - गुड़िया
फुलवारी - फुलवारी
नुक्कड़ - गली
चुनरी – ओढ़नी
मैं और हम
मैं मेले से लाया हूँ इसको
हम मेले से लाए हैं इसको
ऊपर हमने देखा कि यदि ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ रख दें तो हमें वाक्य में कुछ और शब्द भी बदलने पड़ जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, दिए गए वाक्यों को बदलकर लिखो।
क) मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूँ।
हम आठवीं कक्षा..................................।
ख) मैं जब मेले मे जा रहा था तब बारिश होने लगी।
...........................................................।
ग) मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगी।
..................................................।
क. हम आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं।
ख. हम जब मेले में जा रहे थे तब बारिश होने लगी।
ग. हम तुम्हें कुछ नहीं बताएंगे।
शब्दों की दुनिया
दिए गए शब्दों के अंतिम वर्ण से नए शब्द का निर्माण करो-