पाठ से
दोनों गौरैयों को पिताजी जब घस से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे तो माँ क्यों मदद नहीं कर रही थी? बस, वह हँसती क्यों जा रही थी?
घर में दो गौरैया आ गई थीं। दोनों ने पंखे के ऊपर अपना घोसला बना लिया था। मां ने देखकर कहा कि अब तो ये यहां से नहीं जाएंगी। तब पिता जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने गौरैया को भगाने की ठानी। वो उठे और ताली बजाकर गौरैया को भगाने की कोशिश करने लगे। गौरैया भी पंखे के ऊपर बने अपने घोसले झांकतीं, चीं चीं करतीं और फिर सिर अंदर कर बैठ जातीं। ये नजारा देख मां को हंसी आ गई। मां, पिता जी की मदद नहीं कर रही थीं। उल्टा हंसे जा रही थीं। माँ नहीं चाहती थी कि गौरैया का घर उजड़े और इसीलिये वह पिताजी जब गौरैया को घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे तो उनकी मदद नहीं कर रही थी ताकि गौरैया का घोसला न उजाड़ जाए|
पाठ से
देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। माँ ने पिताजी से गंभीरता से यह क्यों कहा?
पिता जी ने गौरेयों को बाहर निकालने में काफी जद्दोजहद की। कभी वो रोशनदान से तो कभी दरवाजों के छेद से अंदर आ जातीं। पिता जी का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। तब मां बड़ी गंभीरता से बोलीं, देखो जी चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब ये यहां से नहीं जाएंगी। मां को पता था कि किसी का भी घर उजाड़ना अच्छी बात नहीं होती है। साथ ही अगर चिड़ियों ने अंडे दे दिए होंगे तब तो ऐसा करना बिल्कुल भी उचित नहीं था। मां समझ चुकी थी कि गौरैया अब घर से बाहर नहीं जाने वाली हैं। इसलिए उन्होंने पिता जी को गौरैया का घोंसला उजाड़ने से गंभीरता से मना कर दिया|
पाठ से
“किसी को सचमुच बाहर निकालना हो तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” पिताजी ने गुस्से मे ऐसा क्यो कहा? क्या पिताजी के इस कथन से माँ सहमत थी? क्या तुम सहमत हो? अगर नहीं तो क्यों?
दो गौरैयों ने घर के पंखे के ऊपर अपना घोसला बना लिया था। पिता जी के लाख भगाने के बावजूद वे हर रोज वहीं आकर बैठ जाती थीं। फिर एक दिन पिता जी ने ठानी कि अब गौरैयों का घोसला ही तोड़ देना चाहिए। इस पर पिता जी ने ये भी कहा कि अगर सच में किसी को बाहर निकालना हो तो उसका घर ही तोड़ दो। पिता जी के इस कथन से मां बिल्कुल सहमत नहीं थी। इसलिए वह बार बार पिता जी घोसला तोड़ने के लिए मना कर रही थीं। किसी का भी घर तोड़ना अच्छी बात नहीं है। मैं भी पिता जी के घोसला तोड़ने की बात से सहमत नहीं है। जिस तरह हमारा घर टूटने पर हमें बुरा लगेगा| उसी प्रकार गौरैया भी अपना घरौंदा टूटते हुए देख दुखी हो जाएंगी।
पाठ से
कमरे में फिर से शोर पर भी पिताजी अबकी बार गौरेया की तरफ़ देखकर मुसकुराते क्यो रहे?
घर में दो गौरैयों ने पंखे पर अपना घोसला बना लिया था। पिता जी ने उन दोनों गौरैयों को भगाने की बहुत कोशिश की। पिता जी हर रोज कोशिश कर रहे थे। लेकिन गौरैया कहीं ना कहीं से फिर अंदर आ जाती थीं। एक दिन पिता जी ने सोचा कि गौरैया का घोसला तोड़ देते हैं तो फिर वो हमेशा के लिए चली जाएंगी। पिता जी ने जब घोसला तोड़ना शुरू किया तो उसके अंदर से चीं चीं की आवाजें आने लगी। उन नन्हीं गौरैयों को देख पिता जी का मन पसीज गया। उन्होंने घोसला तोड़ने का इरादा त्याग दिया। उन्होंने लाठी को एक ओर रख दिया। गौरैया उड़कर अपने बच्चों के पास आ बैठीं ये नजारा देख पिताजी गौरैयों की ओर देख सिर्फ मुस्कुराते रहे।
पशु-पक्षी और हम
इस कहानी के शुरू में कई पशु-पक्षियों की चर्चा की गई है। कहानी में वे ऐसे कुछ काम करते हैं जैसे मनुष्य करते हैं। उनको ढूँढ़कर तालिका पूरी करो।
क) पक्षी- घर का पता लिखवाकर लाये हैं|
ख) बूढ़ा चूहा-
ग) बिल्ली-
घ) चमगादड़-
ङ) चींटियाँ-
क. पक्षी- घर का पता लिखवाकर आए हैं।
ख. बूढ़ा चूहा- उसे चूल्हे के पीछे छिपकर बैठना पसंद है शायद उसे ठंडी ज्यादा लगती है।
ग. बिल्ली- मन आया तो अंदर आकर दूध पी गई। मन आया तो बाहर से ही फिर आऊंगी कहकर चली जाती है।
घ. चमगादड़- शाम होते ही दो-तीन चमगादड़ पंख फैलाकर कसरत करने लगते हैं।
ड. चीटियां- चीटियों की फौज तो घर में छावनी डाले हुए है।
मल्हार
नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो-
“जब हम लोग नीचे उतरकर आए, तब वे फिर से मौजूद थीं और मज़े से बैठी मल्हार गा रही थीं।”
क) अब तुम पता करो कि मल्हार क्या होता है? इस काम में तुम बड़ों की सहायता भी ले सकते हो।
ख) बताओ कि क्या सचमुच चिड़ियाँ ‘मल्हार’ गा सकती हैं?
ग) बताओ की कहानी में चिड़ियों द्वारा मल्हार गाने की बात क्यों कही गई है?
क. मल्हार संगीत का एक राग होता है। इसे मेघ मल्हार भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस राग को गाने से बारिश होने लगती है। ये राग कर्नाटक के संगीत में पाया जाता है। तानसेन और मीरा मल्हार राग में गाना गाने के लिए मशहूर थे|
ख. जब चिड़िया अपने बच्चों से घोसले में आकर मिलीं तो वो चीं चीं कर अपनी खुशी व्यक्त करने लगीं। उनकी आवाज को सुन ऐसा लगा कि वो मल्हार गा रही हों। चिड़िया मल्हाकर नहीं गा सकतीं लेकिन उनकी आवाज किसी राग से कम नहीं होती।
ग. पिताजी ने जब घोंसला तोड़ने का प्रयास किया तो रात में चिड़िया कहीं चली गयी थी लेकिन जब सुवह देखा तो वह वापस घोंसल में आ गयी थी और फिर से चहचहाने लगी साथ में चिड़िया के बच्चे भी चीं, चीं, कर रहे थे| इस प्रकार की सुन्दर ध्वनियों को सुनकर ही चिड़िया के मल्हार गाने की बात इस पाठ में कही गयी है|
पाठ से आगे
अलग-अलग पक्षी अलग-अलग तरह से घोंसला बनाते हैं। तुम कुछ पक्षियों के घोसलों के चित्र इकट्ठे करके अपनी कॉपी पर चिपकाकर शिक्षक को दिखाओ।
अंदर आने के रास्ते
पूरी कहानी में गौरेया, कहाँ-कहाँ से घर के अंदर घुसी थीं? सूची बनाओ।
ये पूरी कहानी दो गौरैयों पर आधारित है। एक घर के अंदर जाकर वे उस घर में लगे एक पंखे पर अपना घोसला बना लेती हैं। घर का मालिक जब इन दोनों को बाहर भगाने की कोशिश करता है तो ये किसी ना किसी रास्ते से अंदर आ जाती हैं। कभी दरवाजे से, कभी बंद दरवाजे के नीचे से और कभी रोशनदान के टूटे हुए शीशे से दोनों गौरैया अंदर आ जाती हैं।
अंदर आने के रास्ते
अब अपने घर के बारे में सोचो। तुम्हारे घर में यदि गौरेया आना चाहे तो वह कहाँ-कहाँ से अंदर घुस सकती है? इसे अपने शिक्षक को बताओ।
हमारे घर में दो कमरे और एक हॉल है। घर चारों से खुला खुला बना है। वैसे तो कमरों की खिड़कियां कभी कभी ही खुलती हैं। लेकिन अगर हॉल का दरवाजा खोल दें तो बाहर बैठे कबूतर अंदर जरूर आ सकते हैं। एक बार तो दो कबूतर घर के अंदर आ गए और पूरा दिन घर में ही उड़ उड़कर खेलते रहे। दरवाजे से दोनों को बाहर भगाने में काफी दिक्कत हुई।
कहने का अंदाज़
“माँ खिलखिलाकर हंस दीं।” इस वाक्य में ‘खिल-खिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं। इसी प्रकार नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर भी ध्यान दो। इन शब्दों से एक-एक वाक्य बनाओ।
क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
ख) “आज दरवाज़े बंद रखो,” उन्होंने हुक्म दिया।
ग) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो,” माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
घ) “किसी को सचमुच बाह निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए.” उन्होंने गुस्से में कहा
तुम इनसे मिलते-जुलते कुछ और शब्द सोचो और उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाओ।
क. टीचर ने मोहन को झिड़ककर कहा कि अपना होमवर्क ठीक से किया करो।
ख. राजा ने अपने सैनिकों को हुक्म दिया कि अपराधी को जेल में बंद कर दो।
ग. गंभीरता मनुष्य का सबसे बड़ा गुण होतो है।
घ. गुस्से में आकर आकाश ने अपना ही नुकसान कर लिया।
संकेत-धीरे से, जोर से, अटकते हुए, हकलाते हुए, फुसफुसाते हुए आदि।
किससे क्यों-कैसे
“पिताजी बोले, क्या मतलब? मैं कालीन बरबाद करवा लूँ?” ऊपर दिए गए वाक्य पर ध्यान दो और बताओ कि-
क) पिताजी ने यह बात किससे कही?
ख) उन्होंने यह बात क्यों कही?
घ) गौरेयों के आने से कालीन कैसे बरवाद होता?
क. गौरैयों ने घर में अपना घोंसला बना लिया था। इसे देखने के बाद मां ने कहा कि अब ये चिड़ियां यहां से नहीं जाने वाली। अब तक तो इन गौरैयों ने अंडे भी दे दिए होंगे। तब पिताजी ने गुस्साकर मां से कहा कि क्या मतलब मैं कालीन खराब करवा लूं।
ख. पिताजी ने ये बात इसलिए कही क्योंकि वो गुस्से में थे। घर में पहले से ही कई पक्षी, चूहे, बिल्ली और चीटी चिटियां थे। इसके बाद जब दो गौरैया घर में आ गई तो पिताजी का गुस्सा बढ़ गया। साथ ही मां ने भी यह बात बोल दी कि अब तो ये गौरैया यहां से नहीं जाने वालीं। तब पिताजी ने मां पर बिगड़ते हुए ये बात कही थी।
ग. घर में दो गौरैया ने अपना घोसला बना लिया था। घोसला पंखे के उपर था। उसके नीचे कालीन बिछी हुई थी। गौरैया घोसले के तिनके जमीन पर गिराती। इसके अलावा भी वो दिन भर गंदगी करती रहती| इन्हीं सब वजहों से कालीन के बरबाद होने का डर था|
सराय
“पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है।” ऊपर के वाक्य को पढ़ों और बताओ कि
क) सराय और घर में क्या अंतर होता है? आपस में इस पर चर्चा करो।
ख) पिताजी को अपना घर सराय क्यों लगता है?
क) घर उसे कहते हैं जिसमें एक परिवार रहता है। वहीं सराय में बहुत से बाहरी लोग आकर बसते हैं। वो सराय में आ जा सकते हैं। सराय में रहने वाले लोग एक दूसरे को जानते नहीं हैं। सराय को धर्मशाला भी कहा जाता है।
ख. पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है। हम तो यहां मेहमान हैं। घर के आंगन में आम का पेड़ है। उस पर तरह तरह के पक्षी डेरा डाले हुए हैं। घर के अंदर बीसियों चूहे बसते हैं। रात भर बर्तन गिरते रहते हैं। एक चूहा अंगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है। शायद वो बूढ़ा है और उसे सर्दी ज्यादा लगती है। बिल्ली घर में रहती तो नहीं लेकिन उसे भी हमारा घर पसंद है। मन आया तो अंदर आकर दूध पी गई और ना मन आया तो बाहर से ही कह गई कि फिर आउंगी। शाम होते ही दो तीन चमगादड़ कमरों के आर पार पंख फैलाए कसरत करने लगते हैं। घर में छिपकलियां और बर्रे भी हैं। चीटियों ने तो छावनी ही बना रखा है।
गौरेयों की चर्चा
मान लो तुम लेखक के घर की एक गौरेया हो। अब अपने साथी गौरेया को बताओ कि तम्हारे साथ इस घर मे क्या-क्या हुआ?
मेरा पुराना घोंसला तोड़ दिया गया था और तब मैंने अपने लिए नया घोंसला बनाने के लिए जगह खोजनी शुरू की| तभी मुझे यह घर दिखा और वहाँ मैंने पंखे के ऊपर अपना घोंसला बना लिया| लेकिन बाद में मकान के मालिक को वहाँ पंखे के ऊपर हमारा घोंसला बनाना पसंद नहीं आया और उसने हमारे घोंसल को तोड़ने के अथक प्रयास किये| हमें भगाने की पुरजोर कोशिशें की लेकिन हमने भी ठान लिया था कि हम अपना घोंसला छोड़कर नहीं जाने वाले| इस घर के कुछ लोग हमारा घोंसला तोड़ने का विरोध भी कर रहे थे जैसे कि-माँ| अंत में घोंसला तोड़ने के अथक प्रयासों के बाद भी पिताजी को इसमें सफलता नहीं मिली और उन्होंने हमारा घोंसला न तोड़ने का निर्णय लिया|
कैसे लगे
तुम्हें इस कहानी मे कौन सबसे अधिक पसंद आया? तुम्हें उसकी कौन-सी बात सबसे अधिक लगी?
(क) माँ (ख) पिताजी (ग) लेखक (घ) गौरेया (ड) चूहे (च) बिल्ली (छ) कबूतर (ज) कोई अन्य/कुछ और
इस कहानी में मुझे मां का किरदार सबसे अच्छा लगा। मां को अपने घर की चिंता थी। घर में बहुत सारे अन्य जीव जन्तु थे। जैसे गौरैया, चीटी, चूहे, तोते, छिपकली आदि। मां को इन सभी से अपने घर को बचाना था लेकिन वो किसी को नुकसान भी नहीं पहुंचाना चाहती थी। मां ने पिताजी से कहा कि कई बार चूहे भगाने के लिए कहा लेकिन वो भी असमर्थ थे। जब घर में गौरैया आ गईं तो भी मां को चिंता हुई कि वो घर गंदा करेगी। उन्होंने पिताजी से बोला। पिताजी ने भी गौरैयाों को भगाने की कोशिश की थी। जब मां ने देखा कि गौरैयों ने घोसला बना लिया है तो वो उसे उजाड़ना नहीं चाहती थीं। इसी वजह से उन्होंने पिजाजी से कहा कि अब वो नहीं भागेंगी। अब तो उन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे।
माँ की बात
नीचे माँ के द्वारा कही गई कुछ बातें लिखी हुई हैं। उन्हें पढ़ो।
“अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। ”
“एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजें बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”
“देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब ये यहाँ से नहीं जाएँगी।”
अब बताओ कि-
क) क्या मां सचमुच चिड़ियों को घर से निकालना चाहती थीं?
ख) माँ बार-बार क्यों कह रही थीं कि ये चिड़ियाँ नहीं जाएँगी?
क) मां ने पहले पिताजी से कहा था कि गौरैया को निकाल दो तब पिताजी ने सुना नहीं। जब चिड़ियों ने घोसला बना लिया तो पिताजी उन्हें भगाने के लिए आतुर हो गए। फिर मां नहीं चाहती थीं कि उन गौरैयों का घर उजड़े। मां बार-बार पिताजी से कह रही थीं कि अब चिड़ियों को मत निकालो। उन्होंने अंडे दे दिए होंगे। पहले निकाल देते तो चली जातीं। मां नहीं चाहती थीं कि गौरैया घर से बाहर जाएं।
ख) जब घर में गौरैया आ गई तो भी मां को चिंता हुई कि वो घर गंदा करेंगी। उन्होंने पिताजी से बोला कि गौरैया को निकाल दो। पिताजी ने भी गौरैयों को भगाने की कोशिश की थी। जब मां ने देखा कि गौरैयों ने घोसला बना लिया है तो वो उसे उजाड़ना नहीं चाहती थीं। इसी वजह से उन्होंने पिजाजी से कहा कि अब वो नहीं भागेंगी। अब तो उन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। पहले निकाल देते तो भाग जातीं।
कहानी की चर्चा
तुम्हारे विचार से इस कहानी को कौन सुना रहा है? तुम्हें यह किन बातों से पता चला?
इस कहानी को लेखक सुना रहा है। जब ये घटना हुई तो लेखक उस समय बच्चा था। लेखक ने पिताजी और मां को कहानी का मुख्य किरदार बनाया। इसके अलावा उनकी कहानी में गौरैया, तोते, छिपकली, चूहे, चींटी, बिल्ली आदि भी शामिल हैं। लेखक ने कहानी का सजीव चित्रण किया है। सबकुछ लेखक की आंखों के सामने हुआ होगा।
कहानी की चर्चा
लेखक ने यह अनुमान कैसे लगाया कि एक चूहा बूढ़ा है और उसको सर्दी लगती है?
लेखक ने कहा कि एक चूहा हमेशा अंगीठी के पीछे बैठा रहता है। वो बूढ़ा है और उसे सर्दी ज्यादा लगती है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि बुजुर्ग लोगों को ज्यादा ठंड लगती है। वो हमेशा अपनी रजाई में घुसे रहते हैं। लेखक ने ऐसा नजारा कहीं ना कहीं जरूर देखा होगा इसलिए उसने चूहे के लिए भी ऐसा कहा।
शब्द की समझ
चुक - चूक
क) अब उनकी सहनशीलता चुक गई।
ख) उनका निशाना चूक गया
अब तुम भी इस शब्दों को समझो और उनसे वाक्य बनाओ।
1) सुख - सूख
(क)……………………………………………………………………………………………..
(ख) ……………………………………………………………………………………………..
2) धूल- धुल
(क)……………………………………………………………………………………………..
(ख) ……………………………………………………………………………………………..
3 सुना- सूना
(क)……………………………………………………………………………………………..
(ख) ……………………………………………………………………………………………..
1) सुख - सूख
(क) सुख- निरोगी काया होना सबसे बड़ा सुख है।
(ख) सूख- कड़ी धूप से कपड़े जल्दी सूख गए।
2) धूल- धुल
(क) धूल- आंधी की वजह से आंखों में धूल चली गई।
(ख) धुल- गंगा नदी में नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
3 सुना- सूना
(क) सुना- रामू बहुत बदमाश है इसलिए वो अपनी मां की बात को सुना-अनसुना कर देता है।
(ख) सूना- घर में बच्चे नहीं होते तो बहुत सूना-सूना सा लगता है।