नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों?
वैसे तो इस नाटक में लैटरबक्स, खंभा और पेड़ सभी समझदार हैं लेकिन अगर किसी एक पात्र की बात करें तो मुझे सबसे ज्यादा बुद्धिमान कौआ लगा। लड़की को बुरे आदमी से बचाने में सबसे ज्यादा उसने दिमाग का इस्तेमाल किया। इस बात का कौआ नाटक के दौरान सबूत भी दे चुका है। पहली बार जब दुष्ट भिखारी लड़की को उठाने आता है तो वह भूत कहकर चिल्लाने लगता है। कौआ के इस कदम से भिखारी डरकर भाग जाता है। इसके बाद वह सभी के साथ मिलकर लड़की को उसके घर पहुंचाने की योजना में सबसे अधिक मदद करता है।
पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई?
अपना अकेलापन दूर करने के लिए पेड़ खंभे को लेकर आया था। शुरुआत में खंभे में इतनी अकड़ थी कि दोनों की दोस्ती नहीं हो पाई। एक दिन जोर से आंधी आई और पेड़ के ऊपर खंभा गिर पड़ा। खंभे के गिरने से पेड़ जख्मी तो हो गया था लेकिन उसने खंभे को बचा लिया। उस दिन खंभे का घमंड टूटा और उसके पश्चात दोनों के बीच दोस्ती हो गयी|
लैटरबक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?
लैटरबक्स को इसलिए लाल ताऊ कहकर पुकारते हैं क्योंकि उसका रंग लाल है। वह सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा है। वह अपने पेट से चिट्ठी निकालकर पढ़ता है और दुखी होता है। लैटरबक्स परीक्षित के स्कूल छोड़कर बंटे खेलने से परेशान है। वह कहता है कि अगर वह परीक्षित का हेडमास्टर होता तो परीक्षित के होश ठिकाने लगा देता| इस बात को सोच-सोचकर लैटरबक्स बहुत दुखी है।
लाल ताऊ किस प्रकार बाकी पात्रों से भिन्न हैं?
लाल ताऊ बाकी पात्रें से भिन्न है, क्योंकि-
(1) खंभे, पेड़ और कौआ की तुलना में लाल ताऊ सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा है।
(2) उसकी आवाज इतनी मधुर है कि कोई भी उसकी आवाज से प्रभावित हो जाता है।
(3) लैटरबक्स का रंग लाल है इसी वजह से उसे लोग लाल ताऊ कहकर बुलाते हैं।
(4) लड़की को पिता से मिलवाने के लिए वह आवाज लगाता है। वह प्रेक्षकों से कहता है कि
अगर किसी को भी इस लड़की के पापा मिल जाएं तो उन्हें जल्दी यहां लाएं।
नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रें में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगीं? लिखिए।
बच्ची को बचाने वाले सजीव पात्रों में कौए की निम्नलिखित बातें मजेदार लगीं-
(1) कौआ समझदार है। जब वह दुष्ट आदमी को लड़की के पास आता देखता है तो भूत कहकर चिल्लाता है। कौआ की आवाज सुनकर आदमी भाग जाता है।
(2) लैटरबक्स, खंभा और पेड़ के साथ कौआ भी लड़की को उसके पिता से मिलवाने की प्लानिंग करता है। पुलिस का लड़की की तरफ ध्यान कैसे जाए, इसके लिए वह खंभे को तिरछा झुका होने के लिए कहता है। वह कहता है कि ऐसा करने से पुलिस को लगेगा कि वहां पर कोई दुर्घटना हुई है। वह बच्ची को तुरंत लेकर जाएंगे और उसका घर ढूंढने में मदद करेंगे।
(3) लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए कौआ ‘कांव-कांव’ करते हुए दूसरों की चीजें उठाकर लाता है, जिससे लोगों का ध्यान लड़की पर जाए और वह अपने पापा से मिल सके।
क्या वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे?
सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर इसलिए नहीं पहुँचा पा रहे थे क्योंकि छोटी लड़की अपने घर का पता, गली का नाम और पापा का नाम भी नहीं बता पा रही थी। इसी कारण से सभी पात्र लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे|
अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाँ पहुँचने का रास्ता भी बताइए।
मेरे घर का पता- ई-10, सेक्टर 11, नोएडा है। मेरे घर आप मेट्रो, बस, टैक्सी अथवा पैदल चलकर भी पहुँच सकते हैं|
मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।
इस नाटक के लिए ‘कैसे घर पहुंचेगी ये छोटी बच्ची’ शीर्षक मुझे सही लगा। इस पाठ में बच्ची को उसके पिता से मिलवाने के लिए लैटरबक्स, खंभा, पेड़ और कौआ लगे हुए थे। सब यह चाहते थे कि बच्ची किसी भी तरह से अपने घर पहुंच जाए। इसी कारण से इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ रखा गया जोकि परिस्थिति के अनुसार उचित प्रतीत होता है|
क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं?
बच्ची के बारे में जानने के लिए पुलिस में जाकर सूचना दी जा सकती है। इसके अलावा लाउडस्पीकर से बच्ची की उम्र और नाम के अलावा उसके रंग-रूप की सूचनाएं देकर बच्ची के पापा को ढूंढा जा सकता है। इसके अलावा बच्ची की तस्वीर खींचकर अखबार में भी छपवाई जा सकती है।
अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में होगी? क्या वह पार्क/मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा?
मुझे लगता है कि जिस वक्त बच्ची को उस दुष्ट आदमी ने उठाया होगा उस वक्त वह अपने दोस्तों के साथ खेल रही होगी। पार्क के मैदान से उसका घर ठीक सामने रहा होगा। जैसे ही खेल खत्म करके सब बच्चे अपने घर को जा रहे होंगे तभी चोर ने बच्ची को उठा लिया होगा।
नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।
• समूह में चलना।
• एकजुट होकर बच्चा उठानेवालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
• अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।
इनसे अलग कुछ और उपाय-
(1) बच्चों को एक कोड देना चाहिए। अगर कोई भी उनके पास आकर यह कहता है कि आपके माता-पिता ने मुझे कहा है कि उसको स्कूल से लेकर आओ। तब बच्चा उससे वह कोड पूछे। ऐसा करने से काफी हद तक बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं।
(2) उन्हें अपने घर का पता या फोन नंबर जेब में अवश्य रखना चाहिए।
(3) बच्चों को कहीं भी अकेले भेजने से बचें। ऐसा करने से आप अनचाही मुसीबत से अपने बच्चे को सुरक्षित रख सकते हैं।
(4) माता-पिता को बिना बताए या साथ लिए ऐसे स्थानों पर नहीं निकलना चाहिए।
(5) अनजान व्यक्ति द्वारा दी प्रदान की जाने वाली खाने की चीजें लेने से बच्चों को मना करना चाहिए|
आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे ‘सड़क/रात का समय------दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।
रात का दृश्य मंच पर दिखाने के लिए-
(1) नेपथ्य में काले रंग का प्रयोग करेंगे, जिस पर तारे तथा बड़ा सा चांद एवं धुंधले बादल दिखाई दे रहे होंगे|
(2) पीछे से कुत्ते, गीदड़, बिल्ली आदि के भोंकने की आवाज आ रही होगी|
(3) इसके साथ ही चौकीदार की लाठी की खटखट तथा उसकी सीटी की आवाज भी बीच-बीच में आती रहेगी।
(4) इसके साथ ही दृश्य में किसी कुत्ते अथवा व्यक्ति को सोते हुए भी दिखा सकते हैं|
(5) बीच-बीच में पुलिस की गाड़ियों के हूटर की आवाज सुनाई देनी चाहिए।
पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिह्नों की ओर गया होगा। अगले पृष्ठ पर दिए गए अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिह्न लगाइए-
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफत याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहां गिरी थी वहां खड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थरथर कांपने लगते हैं।
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे बाप रे! वो बिजली थी या आफत! याद करते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और जहाँ बिजली गिरी थी, वहां खड्डा कितना गहरा पड़ गया था। खंभे महाराज! अब जब भी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है। अंग थरथर कांपने लगते हैं।
आसपास की निर्जीव चीजों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-
• चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
• कलम का कॉपी से संवाद
• खिड़की का दरवाजे से संवाद
चॉक का ब्लैकबोर्ड से संवाद
ब्लैकबोर्ड का चॉक से संवाद-
आज तुम यह बताओ कि बच्चों को कौन सा पाठ लिखकर समझाओगे?
चॉक- अरे मुझे क्या पता? थोड़ी देर में सामाजिक विषय वाली टीचर आएंगी। मैंने उन्हें कल कहते हुए सुना था कि आज शायद वह आने वाले चुनाव के बारे में बात करें।
ब्लैकबोर्ड- अरे हां! मैं तो बिल्कुल भूल ही गया था। लोकसभा चुनाव के लिए पहली वोटिंग 11 अप्रैल को है।
चॉक- तुम्हें तो सब पता है। अब ये बताओ कि तुम किस पार्टी को अपना मत दोगे?
ब्लैकबोर्ड- तुम्हें पता नहीं है क्या वोट देकर बताते नहीं है। इसलिए मैं तुम्हें क्यों बताऊं कि मैं किसे वोट दूंगा। जो पार्टी जीतेगी समझ जाना मैंने उसे ही वोट दिया है। तुम्हें 23 मई का इंतजार करना पड़ेगा जिस दिन मतों की गणना होगी।
कलम का कॉपी से संवाद-
कॉपी- (कलम देखकर) साल भर मेरे ऊपर बच्चे लिखते रहते हैं बहुत थकान महसूस हो रही है।
कलम- अरे! परेशान मत हो। अगले महीने से बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां हो जाएंगी। तब तुम्हें और मुझे दोनों को कुछ दिनों के लिए आराम मिल जाएगा।
कॉपी- यार मैं तो अभी से सोच-सोचकर खुश हो रहा हूं।
खिड़की का दरवाजे से संवाद-
खिड़की- (दरवाजें से) हर साल ये लोग मेरा रंग बदल देते हैं। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। तुम क्या सोचते हो?
दरवाजा- मुझे तो अच्छा लगता है। कम से कम हर साल नए तो लगने लगते हैं। जो बात नए पेंट में आती है वह पुराने दरवाजों में कहां आएगी।
खिड़की- वैसे तो तुम ठीक ही कह रहो हो। बस मैं यह चाहती हूं कि एक बार पेंट करवाने से पहले मुझसे यह जरूर पूछ लें कि मुझे कौन सा रंग पसंद है। ऐसा करने से वह भी खुश और मैं भी।
उपर्युक्त में से दस-पंद्रह संवादों को चुनें, उनके साथ दृश्यों की कल्पना करें और एक छोटा-सा नाटक लिखने का प्रयास करें। इस काम में अपने शिक्षक से सहयोग लें।
खिड़की (दरवाजे से)- आज मेरे घर मेहमान आने वाले हैं?
दरवाजा- कौन हैं वो?
खिड़की- उनका नाम कलम और कॉपी है। बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां होने वाली हैं। इसलिए वह ऋषिकेश घूमने आने वाले हैं।
खिड़की- तुम भी जल्दी से आ जाओ। घंटी बजी है, लगता है आ गए वो लोग।
दरवाजा- हां, ठीक है आता हूं मैं भी।
खिड़की- आइए-आइए, स्वागत है आपका। सफर में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
कलम- अरे! कोई दिक्कत नहीं हुई। जैसे ही हम लोगों ने ऋषिकेश में कदम रखा, मन को सुकून मिला।
कॉपी- मैं तो कब से आना चाहती थी लेकिन मौका ही नहीं मिल पा रहा था। सही में यह बहुत सुंदर जगह है। कम से कम कुछ दिन दिमाग को शांति मिलेगी।