कविता पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है उस चित्र को कागज पर बनाओ।
तुम्हें कविता का कोई शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोचकर लिखो।
साहसी चिड़िया
इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीजों से प्यार है?
चिड़िया को सभी चीजों से प्यार है। इन चीजों में अन्न, वन, एकांत और नदी से चिड़िया को बहुत प्यार है। यहां तक कि चिड़िया को खुद से भी बहुत प्यार है क्योंकि वह बहुत साहसी है।
आशय स्पष्ट करो-
(क) रस उंडेलकर गा लेती है
(ख) चढ़ी नदी का दिल टटोलकर जल का मोती ले जाती है
(क) इस लाइन में कवि का मतलब है कि चिड़िया में अपनापन कूट-कूटकर भरा है। जब वाह गाने लगती है तो मानो यह लगता है जैसे उसने अपना सारा अपनापन, प्यार उसी गाने में उड़ेल दिया हो|
(ख) इस लाइन में कवि कहना चाहता है कि चिड़िया को उफनती नदी के बारे में सबकुछ पता है। वह नदी के बीच से पानी की बूंद को अपनी चोंच में भरकर उड़ जाती है। चिड़िया को ऐसा करता देख लग रहा है कि वह नदी से दिल निकालकर अपने साथ लेती जा रही है।
कवि ने नीलीचिड़िया का नाम नहीं बताया है। वह कौन-सी चिड़िया रही होगी? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ देखो। इनमें ऐसे पक्षी भी शामिल हैं जो जाड़े में एशिया के उत्तरी भाग और अन्य ठंडे देशों से भारत आते हैं। उनकी पुस्तकों देखकर तुम अनुमान लगा सकते हो कि इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद इनमें से कोई एक रही होगी-
नीलकंठ, छोटा किलकिला, बड़ा पतरिंगा, कबूतर
पाठ के आधार पर ऊपर दिए गए शब्दों में से नीली चिड़िया नीलकंठ रही होगी।
नीचे कुछ पक्षियों के नाम दिए गए हैं। उनमें से अगर कोई पक्षी एक से अधिक रंग का है तो लिखो कि उसके किस हिस्से का रंग कैसा है। जैसे तोते की चोंच का रंग लाल और शहीर हरा है।
कविता का हर बंध ‘वह चिड़िया जो’ से शुरू होता है और मुझे बहुत प्यार है पर खत्म होचा है। तुम भी इन पंक्तियों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।
वह चिड़िया जो
चूं चूं करती मेरी आंगन में आती है
दाने चुगकर अपने घर को रोजाना लौट जाती है
मेहनत करके बच्चों का पेट पालती है
उस चिड़िया से मुझे प्यार है
वह चिड़िया जो
तिनका तिनका इकट्ठा करती
रोजाना घर की नींव रखती
सबके मन को भाता है उसका ये काम
उस चिड़िया पर मुझे बहुत प्यार है
तुम भी ऐसी कल्पना का सकते हो कि ‘वह फूल का पैधा जो-पीली पंखुड़ियों वाला-महक रहा है-मैं हूँ।’उसकी विशेषताएं मुझमें हैं......। फूल के बदले वह कोई दूसरी चीज भी हो सकती है जिसकी विशेषताओं को गिनाते हुए तुम उसी चीज से अपनी समानता बता सकते हो....ऐसी कल्पना के आधार पर कुछ पंक्तियां लिखो।
वह फूल का पौधा जो पीली पंखुड़ियों वाला महक रहा है वो मैं हूं। सुबह होती ही मेरी पंखुड़ियों की लालिमा और बढ़ जाती है। धूप की किरणें एक नया सवेरा और नया मकसद दे जाती हैं। रोज मर्रा की जिंदगी से फिर से गुफ्तगू हो रही है। वह पौधा जिसकी पंखुड़ियां महक रही है वो मैं हूं।
पंखों वाली चिड़िया
उपर वाली दराज
नीले पंखों वाली चिड़िया
सबसे ऊपर वाली दराज
यहाँ रेखांकित शब्द विशेषण का काम कर रहे हैं। ये शब्द ‘चिड़िया’ और ‘दराज’ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं, अतः रेखांकित शब्द विशेषण हैं और चिड़िया, दराज विशेष्य हैं। यहाँ ‘वाला/वाली’ जोड़कर बनने वाले कुछ और विशेषण दिए गए हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोड़ो।
………………………मोरोंवाला बाग़
………………………..पेड़ोंवाला घर
……………………….फूलोंवाली क्यारी
……………………….स्कूलवाला रास्ता
……………………….हंसनेवाला बच्चा
……………………...मूंछोंवाला आदमी
वह चिड़िया.....जुंडी के दाने रुचि से....खा लेती है। वह चिड़िया....रस उंड़ेलकर गा लेती है।
कविता की इन पंक्तियों में मोटे छापे वाले शब्द ध्यान से पढ़ो। पहले वाक्य में रुचि से खाने के ढंग की और दूसरे वाक्य में रस उड़ेलकर गाने की ढंग की विशेषता बता रहे हैं। अत यह दोनों क्रिया विशेषण है। नीचे दिए गए वाक्यों में कार्य के ढंग या रीति से संबंधित क्रियाविशेषण छांटो।
(क) सोनाली जल्दी-जल्दी मुंह में लड्डू ठूंसने लगी।
(ख) गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में चली गई।
(ग) भूकंप के बाद जन-जीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा।
(घ) कोई सफेद सी चीज-धप्प से आंगन में गिरी।
(ड.) टॉमी फुर्ती से चोर पर झपटा।
(च) तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
(छ) आज अचानक ठंड बढ़ गई है।
(क) जल्दी-जल्दी
(ख) लुढ़कती हुई
(ग) धीरे-धीरे
(घ) धप्प-से
(ड.) फुर्ती से
(च) सहमकर
(छ) अचानक