लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है?
इस पाठ में लेखक ने प्रकृति के अक्षर पत्थरों के टुकड़ों, पहाड़ों, समुद्रों, नदियों, जंगलों और जानवरों की हड्डियों को कहा है।
लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती कैसी थी?
लाखों करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती पर किसी भी जीव का कोई नामो निशान नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि इतने साल पहले धरती बहुत गरम थी जिस वजह से वहां पर जीवन नहीं था।
दुनिया का पुराना हाल किन चीजों से जाना जाता है? कुछ चीजों के नाम लिखो।
दुनिया का पुराना हाल समुद्रों, नदियों, चट्टानों पत्थर के टुकड़ों और जानवरों की हड्डियों से जाना जाता है।
गोल, चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है?
इस पाठ में गोल चमकीला रोड़ा अपनी आपबीती बताता है। वह कहता है कि कुछ वक्त पहले वह चट्टान से टूटा एक खुरदरा नुकीला पत्थर का टुकड़ा था। बरसात के मौसम में वह पानी के जरिए बहकर घाटी तक पहुंच गया। इसके बाद पहाड़ी नाले ने उसे दरिया तक पहुंचा दिया। इस पूरी प्रक्रिया की वजह से वह लुढ़कता और घिसता रहा। जिस वजह से वह गोल और चमकदार बन गया।
गोल, चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता है तो क्या होता? विस्तार से उत्तर लिखो।
गोल चमकीला रोड़ा जिस तरह से लुढ़कता और घिसता हुआ गोलाकार हो गया। उसी को ध्यान में रखकर देखा जाए तो अगर यह गोल चमकीला रोड़े को दरिया आगे ले जाता तो इसका स्वरूप धीरे-धीरे और छोटा होता चला जाता। एक समय ऐसा आता कि यह इतना छोटा हो जाता कि बालू के कण के बराबर हो जाता। इसका अपना अस्तित्व खत्म हो जाता और बालू के बाकी कणों में कहीं गुम हो जाता।
नेहरूजी ने इस बात का हलका-सा संकेत दिया है कि दुनिया कैसे शुरू हुई होगी। उन्होंने क्या बताया है? पाठ के आधार पर लिखो।
इस पाठ में नेहरू जी ने बताया कि लाखों करोड़ों साल पहले धरती इतनी गरम थी कि यहां पर जीवन नहीं था। फिर बदलाव आया और धीरे-धीरे पेड़ पौधे और जीव जंतु आए। इसके कई साल बाद मनुष्य की उत्पत्ति हुई।
लगभग हर जगह दुनिया की शुरूआत को समझती हुई कहानियाँ प्रचलित हैं। तुम्हारे यहाँ कौन-सी कहानी प्रचलित है?
दुनिया की शुरूआत को समझाती हुई हमारे यहाँ यह कहानी प्रचलित है कि पृथ्वी पर एक बार भयंकर प्रलय आया। इस प्रलय की वजह से पृथ्वी पर सबकुछ तबाह हो गया। पृथ्वी पर प्रत्येक बस्तु नष्ट हो गई, जीव-जंतु ख़त्म हो गए| कोई भी जीव जंतु नहीं बचा। चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी था। उस समय सिर्फ ऋषि मुनियों का अस्तित्व था वह भी इसलिए क्योंकि वह हिमालय के पास यज्ञ कर रहे थे। तभी गंधर्व कन्या सतरूप घर से बाहर आईं। गंधर्व कन्या को चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दिया। चारों तरफ इस तरह के हालात देखकर गंधर्व कन्या को अहसास हुआ कि अब यहां पर जीवन बचा नहीं है। तभी उसने देखा कि हिमालय की ओर से धुंआ उठ रहा है। जब सतरूपा ने पास जाकर देखा तो ऋषि यज्ञ कर रहे थे। प्रलय के बाद अकेले बचे दुखी ट्टषि को छोड़कर सतरूपा वापस नहीं गई। मनु और सतरूपा से उत्पन्न बच्चों को मनुज कहा जाने लगा। इस तरह दुनिया की एक नई शुरूआत हुई।
तुम्हारी पंसदीदा किताब कौन-सी है और क्यों?
मेरी पसंदीदा किताब धर्मवीर भारती की गुनाहों का देवता है। इसमें सुधा और चंदर की कहानी है जो मुझे अच्छी लगती है।
मसूरी और इलाहाबाद भारत के किन प्रांतों के शहर हैं?
मसूरी उत्तराखंड प्रांत का और इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का शहर है।
तुम जानते हो कि दो पत्थरों को रगड़कर आदि मानव ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या क्या उपयोग होता था?
उस युग में पत्थरों से औजार बनाए जाते थे जोकि जानवरों के शिकार में काम आते थे| खेती एवं अन्य कार्यों को करने के लिए पत्थरों से मजबूत औजार बनाए जाते थे साथ ही रहने के लिए घर बनाने में भी पत्थरों का उपयोग किया जाता था|
हर चीज के निर्माण की एक कहानी होती है, जैसे मकान के निर्माण की कहानी-कुरसी, गद्दे, रजाई के निर्माण की कहानी हो सकती है। इसी तरह वायुयान, साइकिल अथवा अन्य किसी यंत्र के निर्माण की कहानी भी होती हैं कल्पना करो यदि रसगुल्ला अपने निर्माण की कहानी सुनाने लगे कि वह पहले दूध था, उसे दूध से छेना बनाया गया, उसे गोल आकार दिया गया। चीनी की चाश्नी में डालकर पकाया गया। फिर उसका नाम पड़ा रसगुल्ला।
तुम भी किसी चीज के निर्माण की कहानी लिख सकते हो, इसके लिए तुम्हें अनुमान और कल्पना के साथ उस चीज के बारे में कुछ जानकारी भी एकत्र करनी होगी।
मैं अरहल की दाल हूं। पहले मैं खेत में थी वहां से कटाई करके मुझे मशीनों द्वारा साफ किया गया। उसके बाद बाजार में पहुंची फिर किसी ने पैकेट के रूप में मुझे खरीदकर अपने घर ले आया। मुझे कूकर में डालकर पानी से अच्छी तरह साफ किया। इसके बाद नमक,लाल मिर्च और हल्दी डालकर सीटी लगाई। कढ़ाई में देसी घी में जीरा, लहसुन से मुझे छौंका गया और कटोरी में डालकर खाने के लिए सर्व किया गया।
‘इस बीच वह दरिया में लुढ़कता रहा।’ नीचे लिखी क्रियाएं पढ़ो। क्या इनमें और ‘लुढ़कना’ में तुम्हें कोई समानता नजर आती है?
ढकेलना, गिरना, खिसकना
इन चारों क्रियाओं का अंतर समझाने के लिए इनसे वाक्य बनाओ।
इन चारों क्रिया शब्दों के अर्थ में बहुत अंतर है।
चमकीला रोड़ा- यहाँ रेखांकित विशेषण ‘चमक’ संज्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोड़ने पर बना है। निम्नलिखित शब्दों में यही प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएँ लिखो-
पत्थर ------------------- काँटा -------------------
रस --------------------- जहर ---------------------
‘जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।’
यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम ‘जब ----तो (तब)’ कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं। योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं। नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक एक वाक्य बनाओ।
(क) कृष्णन फिल्म देखना चाहता है -------------------- मैं मेले में जाना चाहती हूं।
(ख) मुनिया ने सपना देखा ---------------- वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब ----------- दुर्गापुर जाएँगे --------------- जालंधर।
(घ) सब्जी कटवाकर रखना --------------- घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(घ) --------------मुझे पता होता कि शमीना बुरा जाएगी ------------ मैं यह बात न कहती।
(च) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है ----------------- अनाज महँगा है।
(छ) विमल जर्मन सीख रहा है ------------- फ्रेंच।
बल्कि / इसलिए / परंतु / कि / यदि / तो / न कि / या / ताकि
(क) कृष्णन फिल्म देखना चाहता है परंतु मैं मेले में जाना चाहती हूं।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब या तो दुर्गापुर जाएँगे या जालंधर।
(घ) सब्जी कटवाकर रखना ताकि घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(घ) यदि मुझे पता होता कि शमीना बुरा मान जाएगी तो मैं यह बात न कहती।
(च) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है इसलिए अनाज महँगा है।
(छ) विमल जर्मन सीख रहा है न कि फ्रेंच।
वाक्य में प्रयोग
पास के शहर में कोई संग्रहालय हो तो वहां जाकर पुरानी चीजें देखो। अपनी कक्षा में उस पर चर्चा करो।
लखनऊ में कई साल पहले मैं एक संग्रहालय में गई थी। वह संग्रहालय उस वक्त इमाम बाड़े के पास ही था। उस संग्रहालय में कई तरह की पेटिंग्स लगी हुई थी। उन पेटिंग्स के जरिए गुलामी की जंजीरे तोड़कर देश किस तरह आजाद हुआ यह दिखाने की कोशिश की गई थी। मैं उस वक्त बहुत छोटी थी। इस संग्रहालय को देखने के लिए मैं पेरेंट्स के साथ आई थी।
एन.सी.आर.टी. की श्रव्य श्रृंखला ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’।
जवाहर लाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा गांधी को खत लिखा करते थे। यह वक्त सन 1928 का था। उस वक्त इंदिरा मसूरी में थीं और जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद में। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी को करीब 31 पत्र लिखे। इन पत्रों में नेहरू जी ने इंदिरा के सवालों का जवाब देने की कोशिश की। इन पत्रों को लेकर लोग पुस्काएं छापना चाहते थे। नेहरू और इंदिरा का ये पत्राचार चर्चा का विषय बन गया था। नेहरू जी को समझ नहीं आ रहा था कि पत्रों को पुस्तिका में छपवाएं या नहीं तब उन्होंने गांधी जी से राय ली। गांधी जी ने इन पत्रों को पढ़ा और पुस्तिका में छपने को कहा। गांधी ने जी ने कहा पत्र बहुत अच्छे हैं। तुमने हिंदी में लिखा होता तो ज्यादा अच्छा रहता। इस बात का ध्यान रखना कि इसका हिंदी में भी प्रकाशन हो।
एन.सी.आर.टी. का श्रव्य कार्यक्रम ‘पत्थर और पानी की कहानी’।
विद्यार्थी स्वयं से करें|
‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ पुस्तक पुस्तकालय से लेकर पढ़ो।
विद्यार्थी पुस्तकालय से लेकर पढ़ें|