कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई हैं?
कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना करने के पीछे निम्न कारण हैं| ताकि लम्बे समय तक-
(1) मां का प्यार मिलता रहे।
(2) मां की छत्र-छाया में ही रहे।
(3) मां के इर्द गिर्द ही दुनिया रहे।
(4) दुनिया की हर बुराई से दूर रहे।
(5) मां के आंचल की छांव से कभी बाहर न आए।
कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है?
इस कविता में बच्ची हमेशा छोटी रहना चाहती है। वह चाहती है कि बस समय रुक जाए और उसकी दुनिया मां के आसपास ही रहे। उसे लगता है कि बड़े होने पर मां के आंचल की छांव से दूर हो जाएगी। इसी वजह से बच्ची कभी भी बड़ी नहीं होना चाहती। अगर मेरे नजरिए से देखें तो मैं भी हमेशा से यही चाहती थी। बड़े होने पर न केवल आपकी दुनिया में कई और लोग आ जाते हैं बल्कि कुछ बनने की होड़ में कई रिश्ते पीछे भी छूट जाते हैं। इसलिए मुझे भी कभी भी बड़े होना पसंद नहीं था।
आशय स्पष्ट करो-
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात।
इन लाइनों का अर्थ है कि बच्ची हमेशा मां की सबसे छोटी बेटी बनकर रहना चाहती है। उसे ऐसा लगता है कि बड़े हो जाने पर उसका मां से हाथ छूट जाएगा। वह मां से दूर हो जाएगी|
अपने छुटपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नजदीकी की कौन-कौन सी स्थितियाँ बताई गई हैं?
मां से लाड़ करना, मां की गोद में सिर रखकर सो जाना, मां से कहानियां सुनना, कहीं भी जाना तो उनका हाथ से पल्ला पकड़े रहना, मां के हाथ से खाना खाना, बाल झड़वाना जैसी स्थितियां कविता में बताई गई हैं।
तुम्हारी माँ तुम लोगों के लिए क्या-क्या काम करती हैं?
मेरी मां हम लोगों के लिए ये सारे काम करती हैं-
(1) हमारा मनपसंद खाना बनाना
(2) हमारी हर जरूरत का ख्याल रखना
(3) हर परेशानी से बचाना
(4) खाने का ध्यान रखना
(5) सेहत की तरफ खास ध्यान देना
(6) साफ कपड़े है कि नहीं इसका भी ध्यान रखना
(7) तबीयत खराब में दिन रात एक कर देना
यह क्यों कहा गया है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है?
छोटी उम्र में जिन कामों के लिए बच्चे मां पर निर्भर करते हैं बड़े होने पर वह सारे काम खुद करने पड़ते हैं। मां के प्यार में कोई कमी नहीं आती वह आपका उतना ही ख्याल रखती हैं। फिर भी कुछ चीजें जैसे कि अपने आप खाना खाना, अपने कपड़ों का खुद ध्यान रखना। इसी वजह से बच्ची को लगता है कि मां बड़ा बनाकर बच्ची को छलती है।
उन क्रियाओं को गिनाओ जो इस कविता में माँ अपनी बच्ची या बच्चे के लिए करती है?
मां द्वारा बच्चे या फिर बच्ची के लिए ये क्रियाएं की जाती हैं-
(1) बच्चों को नहलाना
(2) अपने हाथ से खाना खिलाना
(3) पढ़ाई की तरफ ध्यान आकर्षित कराना या फिर थोड़ी बहुत चीजें सिखाते रहना
(4) बच्चों को गोद में सुलाना
(5) प्रेरणादायक कहानियां सुनाना
(6) उन्हें कपड़े पहनाना
(7) स्कूल के लिए खुद तैयार करना
(8) लंच बॉक्स तैयार करना
इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात क्यों कर रहा है? चाँद के उदित होने की कल्पना करो और अपनी कक्षा में बताओ।
आकाश में चांद का निकलना बच्चों को बहुत अच्छा लगता है। बच्चों को ऐसा लगता है कि यह कोई खेलने की चीज है जिस वजह से वह माता-पिता से उसे हाथ में लेने की जिद करने लगते हैं। इसलिए कविता में कवि ने चंद्रोदय दिखाने की बात कही है।
सूरज के ढलने के बाद चंद्रमा के निकलने के वक्त आसमान की छटा देखने लायक होती है। एक तरफ सूरज अस्त हो रहा होता है तो वहीं चांद आसमान में उजागर हो रहा होता है। चंद्रमा की चांदनी से सारा आकाश बेहद सुंदर लगता है। चंद्रमा की शीतलता आंखों को ठंडक और मन को सुकून प्रदान करती हैं।
इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी माँ का चित्र तुम्हारे मन में उभरता है। वह बच्ची और क्या-क्या कहती होगी? क्या-क्या करती होगी? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।
कविता के आधार पर इतना तो साफ है कि बच्ची मां को एक पल के लिए अकेले नहीं रहने देती होगी। वहां 24 घंटे मां के साथ साएं की तरह रहती होगी। जहां-जहां मां होती होंगी वहीं पर बच्ची भी रहती होगी। बच्ची बोलने वाली भी लगती है यानी कि वह दिनभर अपनी मां से न जाने कौन-कौन से सवाल करती रहती होगी। कुछ सवाल का जवाब तो खुद दे देती होंगी बाकि सवालों के जवाब के लिए उसे अपने पति यानी कि बच्ची के पिता के पास भेज देती होंगी। पिता भी बच्ची के कुछ सवाल का जवाब देते होगें और फिर बाद में बच्ची के लिए कॉर्टून नेटवर्क लगा देते होंगे। इस तरह से बच्ची मां और पिता दोनों को अपने में उलझाए रहती होगी।
माँ अपना एक दिन कैसे गुजारती है? कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती हैं- जैसे- मेहमानों के आ जाने पर, घर के किसी के बीमार पड़ जाने पर या त्योहार के दिन। इन अवसरों पर माँ की दिनचर्या पर क्या फर्क पड़ता है? सोचो और लिखो।
मेहमानों के घर आ जाने पर या फिर परिवार में किसी की तबीयत खराब हो जाने पर मां पर काम का बोझ ज्यादा बढ़ जाता है। वह दिनभर काम में इतनी बिजी रहती हैं कि उन्हें बिल्कुल भी आराम करने का वक्त नहीं मिलता। मेहमानों को लिए नाश्ता, दिन में आए हैं तो लंच या फिर रात में आए हैं तो डिनर कराकर ही मां मेहमानों को जाने देती हैं। इस वजह से खाने की तैयारी करना, एक सूखी सब्जी, एक रसे की सब्जी, रोटी, पुलाव, सलाद, रायता आदि बनाना। मेहमानों को जाने पर घर समेटना। वहीं अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो पहले तो शख्स का ध्यान रखना। घर में उस वक्त दो खाने की वैराइटी बनती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मरीज को गरिष्ठ खाना नहीं दे सकते। इसलिए डॉक्टर के बताए अनुसार मरीज के लिए खाना बनाना उसके बाद परिवार के बाकी सदस्यों के लिए खाना बनाना। इस तरह से इन दोनों परिस्थितियों में मां पर काम का बोझ बहुत पड़ जाता है।
नीचे दिए गए शब्दों में अंतर बताओ, उनमें क्या फर्क है?
कविता में ‘दिन-रात’ शब्द आया है। ‘दिन-रात’ का विलोम है। तुम ऐसे चार शब्दों के जोड़े सोचकर लिखो जो विलोम शब्दों से मिलकर बने हों। जोड़ों के अर्थ को समझाने के लिए वाक्य भी बनाओ।
कक्षा में बच्चों को उनकी मरजी से दो समूहों में रखें-
(क) एक समूह में वे जो छोटे बने रहना चाहते हैं।
(ख) दूसरे समूह में वे जो बड़े होना चाहते हैं।
• इन दोनों समूहों के सभी बच्चे एक-एक करके बताएँगे कि वे क्यों छोटा बने रहना चाहते हैं या क्यों बड़ा होना चाहते हैं?
विद्यार्थी कक्षा में इस गतिविधि को करें|