निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
शुद्ध सोने में कोई मिलावट नहीं होती, लेकिन गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है। शुद्ध सोने की तुलना में गिन्नी का सोना अधिक मजबूत और उपयोगी होता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रैक्टिकल आइडियलिस्ट किसे कहते हैं?
जो लोग शुद्ध आदर्श में थोड़ी व्यावहारिकता मिलाकर काम चलाते हैं, उन्हें प्रैक्टिकल आइडियलिस्ट कहते हैं। इनका समाज पर गलत असर पड़ता है और ये लोग केवल अपने हानी-लाभ के बारे में सोचते हैं। ऐसे में समाज का स्तर गिर जाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
शुद्ध आदर्श वैसा आचार विचार है जिसने इसका पालन करने वालों का उत्थान तो किया ही है साथ में अन्य लोगों का भी उत्थान किया है। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
जापानियों ने अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के चक्कर में अपने दिमाग को और तेज दौड़ाना शुरु कर दिया ताकि जापान हर मामले में अमेरिका से आगे निकल सके। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात कही है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
जापानी में चाय पीने की विधी को चा-नो-यू कहते हैं, जिसका अर्थ है-‘टी सेरेमनी’ और चाय पिलाने वाला ‘चाजीन’ कहलाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है वहाँ गजब की शांति होती है। माहौल इतना शांत होता है कि पानी के खलबलाने की आवाज भी सुनाई देती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
शुद्ध सोना बहुत कीमती होता है। ताँबे के साथ मिलकर यह ताँबे के महत्व को बढ़ा देता है जबकी दूसरी ओर ताँबा सोने की कीमत को घटा देता है। शुद्ध आदर्श जब व्यावहारिकता के साथ मिलता है तो इससे व्यावहारिकता की कीमत बढ़ जाती है लेकिन व्यावहारिकता अकेले उतनी प्रभावी नही होती जैसे की अकेले ताँबा उतना प्रभावी नहीं होता| इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?
चाजीन ने टी-सेरेमनी से जुड़ी सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से की। यह सेरेमनी एक पर्णकुटी में पूर्ण हुई। चाजीन ने बड़े अदब से मेहमानों का स्वागत किया और उन्हें बैठने की जगह दिखाई। फिर उसने अंगीठी जलाई और उसपर चायदानी रखी। इसके बाद उसने बरतनों को चमकाया। यह सारी क्रियाएँ उसने गरिमापूर्ण ढ़ंग से पूरी की।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
‘टी-सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
‘टी सेरेमनी’ में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया था इसके पीछे कारण यह था कि एक तो यह स्थान बहुत छोटा होता है दूसरा इस सेरेमनी का उद्देश है-शांतिमय वातावरण में वाक्य विताना होता है| टी सेरेमनी में शांति का अत्यधिक महत्व होता है। अधिक आदमियों के आने से शांति के स्थान पर अशांति का माहौल बन सकता है, इसलिए तीन से अधिक आदमियों को यहाँ प्रवेश नहीं दिया जा सकता।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि जैसे उसके दिमाग की गति मंद हो गई हो। उसे लगा कि उसके दिमाग की रफ्तार बंद हो चुकी थी। उसे लगा कि मानों वह अनंतकाल से जी रहा है। वह भूत और भविष्य दोनों का चिंतन न करके वर्तमान में जी रहा हो। उसे वह पल सुखद लगने लगे।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
गांधी जी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।
गांधी जी में नेतृत्व की अदभुत क्षमता थी। वे सभी लोगों को साथ लेकर चलते थे। वे अपने आदर्शों में व्यावहारिकता को नहीं मिलने देते थे, बल्कि व्यावहारिकता में आदर्श मिलाते थे। गांधीजी ने अफ्रीका में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को इकट्ठा किया था। जब वे भारत आए थे तब तक स्वाधीनता संग्राम की लहर पूरे भारत में नहीं फैल पाई थी। गांधीजी के अथक प्रयासों के कारण पूरे भारत की जनता उनके साथ हो गई थी। असहयोग आंदोलन और नमक आंदोलन की अपार सफलता से पता चलता है कि उनमें नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। और इसी अदभुत क्षमता के बल पर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
आपके विचार में कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
आज व्यावहारिकता का जो स्तर है, उसमें आदर्शों का पालन नितांत आवश्यक है। व्यवहार और आदर्श दोनों का संतुलन व्यक्तिव के लिए आवश्यक है। आज की कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली जिंदगी में अधिकतर लोगों को ऐसा लगने लगा हि की आज आदर्श बेमानी हो गए हैं और व्यावहारिकता ही हमें जीत की तरफ ले जा सकती है। लेकिन जो लोग वाकई सफलता के शिखर पर पहुँचे हैं, उनके उदाहरण से हम देख सकते हैं कि आदर्श का आज भी उतना ही महत्व है जितना पहले था।
शाश्वत मूल्य ऐसे मूल्य होते हैं जो पैराणिक समय से चले आ रहे हैं, वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी उतने ही प्रासंगिक रहेंगे, ऐसे मूल्य शाश्वत मूल्य कहलाते हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
अपने जीवन की किसी घटना का उल्लेख कीजिए जब-
(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
(1) एक बार मैंने फुटपाथ पर बैठे एक भूखे बच्चे को अपना टिफिन दे दिया था। उस दिन मुझे भूखा रहना पड़ा और शुरू में ऐसा लगा कि मुझे इससे हानि हुई लेकिन अंदर से एक असीम सी संतुष्टि का अहसास हुआ। मुझे लगा कि मुझे अपना भोजन दूसरे को देकर लाभ ही हुआ।
(2) मुझे हमेशा से पसंद है कि जब मैं नई क्लास में जाऊँ तो मेरे लिए नई किताबें खरीदी जाएं। लेकिन कक्षा 9 में प्रवेश के समय मुझे एक मित्र की पुरानी किताबें आधे दाम पर मिल गईं। मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा, लेकिन बचत करने के खयाल से मैंने उसकी सारी किताबें खरीद लीं। इससे मुझे फायदा हुआ।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
‘शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना’, गाँधी जी के आदर्श और व्यवहार में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
गांधीजी ताँबे में सोना मिलाने वाले इंसान थे। इससे वे ताँबे की कीमत बढ़ा देते थे। वे व्यावहारिकता में आदर्शों को मिलाते थे। इसे समझने के लिए हम नमक आंदोलन का उदाहरण ले सकते हैं। आंदोलन का उद्देश्य था अंग्रजों को यहाँ की जनता की ताकत दिखाना। नमक एक मामूली सी चीज है लेकिन इसे हिंदुस्तान का हर आदमी अपनी जिंदगी में प्रतिदिन इस्तेमाल करता है। इससे हिंदुस्तान का हर अमीर गरीब प्रभावित होता है। नमक जैसी मामूली चीज को गांधीजी ने अपना हथियार बना लिया। जो अंग्रेज पहले गांधीजी के नमक आंदोलन की योजना पर हँस रहे थे, वे उस आंदोलन की सफलता को देखकर गांधीजी का लोहा मान गए थे। इससे उनके आम व्यक्तियों के जीवन में व्यावहारिकता के महत्त्व का पता चलता है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्व है?
जीवन में आदर्शवादिता और व्यावहारिकता दोनों का महत्व है। ‘व्यावहारिकता’ हमें अवसरवादिता का पाठ पढ़ाती है। अवसरवादी व्यक्ति सदा अपना हित देखता है। वह प्रत्येक कार्य अपना लाभ-हानि देखकर ही करता है। व्यावहारिक लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी से भी समझौता कर लेते हैं। लेकिन प्रैक्टिकल आइडियलिस्ट की तरह हमें व्यावहारिकता में आदर्शवादिता मिलाने से बचना चाहिए। इसकी जगह हमें गांधीजी की तरह व्यावहारिकता में आदर्शवादिता मिलाने की सीख लेनी चाहिए।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
लेखक के मित्र ने भागदौड़ भरी जिंदगी को मानसिक रोग का कारण बताया। यह बात सही है कि लोग आजकल चल नहीं रहे हैं, बल्कि भाग रहे हैं। आप किसी भी शहर की सड़कों पर सुबह 9 बजे नजर डालिए तो पता लगेगा कि हर कोई कहीं न कहीं भाग रहा है। लोग अत्यधिक तनाव में होने की वजह से बात बात पर झल्लाने लगते हैं। रोज-रोज की उत्तरजीविता के दवाब के कारण मानसिक रोग का खतरा बढ़ गया है। शरीर और मन मशीन की तरह कार्य नहीं कर सकते और यदि उन्हें ऐसा करने के लिए विवश किया गया तो उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाना अवश्यंभावी है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
लेखक का कहना है कि हमारा भूतकाल सत्य नहीं है, क्योंकि वह बीत चुका है। भागे हुए साँप की लकीर पर लाठी पीटने से कोई फायदा नहीं होता है। लेखक का कहना है कि भविष्य तो अनिश्चित है, इसलिए उसके बारे में तनाव पालने से भी कोई लाभ नहीं होता है। वर्तमान में जीना सीखने से ही सही सुख मिलता है क्योंकि वर्तमान ही शाश्वत है| वर्तमान पर हम बहुत हद तक नियंत्रण कर सकते हैं और वर्तमान के सुख दुख की पूरी-पूरी अनुभूति भी कर सकते हैं।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
आदर्श एवं मूल्यों का परस्पर घनिष्ठ संबंध होता है। आदर्श के बिना मूल्य और मूल्यों के बिना आदर्श की कल्पना करना संभव नहीं है। आदर्शवादी लोग कभी भी अपने बारे में नहीं सोचते हैं। वे हमेशा दूसरों को ऊपर उठाने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में उनका कद भी ऊँचा हो जाता है और पूरे समाज को दीर्घकालीन लाभ होता है। व्यावहारिक लोग तो केवल अपने मतलब की बात करते हैं, जिससे समाज का कोई भला नहीं होता। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ ही है।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धारे-धारे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिकता सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
जब आदर्श और व्यवहार में से लोग व्यवहारिकता को प्रमुखता देने लगते हैं और आदर्शें को भूल जाते हैं तब आदर्शें पर व्यावहारिकता हावी होने लगती है। फ्प्रैक्टिकल आइडियालिस्टय लोगों के जीवन में स्वार्थ व अपनी लाभ-हानि की भावना उजागर हो जाती है। लोगों की आदत होती है कि क्षणिक सफलता के मद में वे प्रैक्टिकल आइडियलिस्टों की सराहना करने लगते हैं। इस प्रशंसा के मद में चूर होकर, प्रैक्टिकल आइडियलिस्ट धीरे-धीरे आदर्शों से दूर होने लगते हैं। एक समय आता है जब केवल उनकी व्यावहारिक बुद्धि ही दिखती है और वे धीरे-धीरे आदर्शों से पूर्णतः दूर होते चले जाते हैं|
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
यह टिप्पणी आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के बारे में है। आप किसी भी शहर की सड़कों पर सुबह 9 बजे नजर डालिए तो पता लगेगा कि हर कोई कहीं न कहीं भाग रहा है। लोग अत्यधिक तनाव में होने की वजह से बात-बात पर झल्लाने लगते हैं। लेखक जापानियों की मनोदशा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जापान के लोगों के जीवन की गति इतनी तीव्र हो गई है कि यहाँ लोग सामान्य जीवन जीने की बजाए जीवन की तीव्र गति की वजह से असामान्य होते जा रहे हैं।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।
यह पंक्ति चाजीन द्वारा चाय तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में है। चाजीन हर काम को एक तयशुदा विधि से बड़ी दक्षता के साथ कर रहा था। उसके हर क्रियाकलाप में इतना अच्छा तालमेल था कि लगता था मानो मधुर संगीत बज रहा हो। यहाँ पर लेखक ने राग जयजयवंती का उदाहरण इसलिए दिया क्योंकि यह राग कुछ मुश्किल रागों में से है जिसपर महारत हासिल करने में संगीतकार को वर्षों लग जाते हैं।
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ,विलक्षण,शाश्वत।
व्यावहारिकता − दादाजी की व्यावहारिकता सीखने योग्य है।
आदर्श − आज के युग में गाँधी जैसे आदर्शवादिता की ज़रूरत है।
सूझबूझ − उसकी सूझबूझ ने आज मेरी जान बचाई।
विलक्षण − महेश की अपने विषय में विलक्षण प्रतिभा है।
शाश्वत − सत्य, अहिंसा मानव जीवन के शाश्वत नियम हैं।
‘लाभ-हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा-लाभ और हानि-
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक-चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए-
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए-
नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और अर्थ को समझिए-
(क) शुद्ध सोना अलग है।
(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है?
पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है-एक प्रकार की धातु यानी ‘स्वर्ण’। दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है- ‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ हैं। ऐसे शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर, कर, अंक, नग।
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए-
(क) 1- अँगीठी सुलगायी।
2- उस पर चायदानी रखी।
(ख) 1- चाय तैयार हुई।
2- उसने वह प्यालों में भरी।
(ग) 1- बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2- तौलिए से बरतन साफ़ किए।
(क) अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने उसे प़्यालो में भरी।
(ग) बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिए से बरतन साफ़ किए।
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए-
(क) 1- चाय पीने की यह एक विधी है।
2- जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) 1- बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था।
2- उसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) 1- चाय तैयार हुई।
2- उसने वह प्यालों में भरी।
3- फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।
(क) चाय पीने की यह ऐसी विधि है जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर ऐसा बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) जैसे ही चाय तैयार हुई वैसे ही प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।