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Prahlad Aggarwal - Tisari Kasam Ke Shilpkar Shalendra

Class 10th Hindi स्पर्श भाग 2 CBSE Solution
Maukhik
  1. ‘तीसरी कसम’ फिल्म को कौन-कौन से पुरस्कार से सम्मानित किया गया है? निम्नलिखित प्रश्नों के…
  2. शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-…
  3. राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए। निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो…
  4. ‘तीसरी कसम’ फिल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फिल्म में इन्होंने किन पात्रों का…
  5. फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों…
  6. राजकपुर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी? निम्नलिखित…
  7. राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो…
  8. फिल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो…
Likhit
  1. ‘तीसरी कसम’ फिल्म को ‘सैल्यूलाइड पर कविता’ क्यों कहा गया है? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर…
  2. ‘तीसरी कसम’ फिल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे हैं? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30…
  3. शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों…
  4. फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है? निम्नलिखित…
  5. शैलेन्द्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’-इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट…
  6. लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं? निम्नलिखित…
  7. फिल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने…
  8. राजकपूर द्वारा फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फिल्म क्यों…
  9. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमायम व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है?…
  10. लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?…
  11. शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए| निम्नलिखित प्रश्नों के…
  12. फिल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। निम्नलिखित प्रश्नों के…
  13. शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फिल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए। निम्नलिखित…
  14. लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फिल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत…
  15. वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी…
  16. उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना…
  17. व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है। निम्नलिखित के आशय स्पष्ट…
  18. दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है। निम्नलिखित के आशय…
  19. उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं। निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-…
Bhasha Adhyayan
  1. पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए। (क) राजकपूर ने एक अच्छे…
  2. इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए- (क) ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं,…
  3. पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए- चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार…
  4. निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए-
  5. निम्नलिखित का संधि-विच्छेद कीजिए-
  6. निम्नलिखित का समास-विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए- (क) कला-मर्मज्ञ ---------------…

Maukhik
Question 1.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

‘तीसरी कसम’ फिल्म को कौन-कौन से पुरस्कार से सम्मानित किया गया है?


Answer:

‘तीसरी कसम’ नामक फिल्म को निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है-

क. राष्ट्रपति स्वर्णपदक


ख. बंगाल जर्नलिस्ट ऐसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ फिल्म पूरस्कार


ग. मास्को फिल्म फेस्टिवल पुरस्कार।



Question 2.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?


Answer:

शैलेंद्र ने अपने जीवन में केवल एक ही फिल्म का निर्माण किया। उस फिल्म का नाम है ‘तीसरी कसम’|



Question 3.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए।


Answer:

राजकपूर ने अपने जीवन में अनेक फिल्मों को निर्देशित किया जिनमें से प्रमुख फ़िल्में हैं-मेरा नाम जोकर, संगम, सत्यम् शिवम् सुंदरम्, अजंता, मैं और मेरा दोस्त, जागते रहो आदि।



Question 4.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

‘तीसरी कसम’ फिल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फिल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?


Answer:

‘तीसरी कसम’ फिल्म में नायक के रूप में राजकपूर और नायिका के रूप में वहीदा रहमान ने अभिनय किया| राजकपूर ने तीसरी कसम फिल्म में हीरामन गाड़ीवान का किरदार निभाया जबकि वहीदा रहमान ने इस फिल्म में हीराबाई का किरदार निभाया|



Question 5.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?


Answer:

फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण गीतकार व कवि शैलेंद्र ने किया था।



Question 6.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

राजकपुर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?


Answer:

मेरा नाम जोकर फिल्म के पहले अंश के बनने में लगभग 6 वर्ष का समय लगा| राजकपूर ने इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी की इस फिल्म को बनने में इतना लंबा समय लग जाएगा|



Question 7.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?


Answer:

राजकपूर और शैलेन्द्र अच्छे दोस्त थे लेकिन ‘तीसरी कसम’ फिल्म की कहानी सुनने के बाद राजकपूर ने इसमें अभिनय के लिए अपने पारिश्रमिक की माँग शैलेन्द्र के सामने एडवांस में की| एक दोस्त के मुँह से इस प्रकार की बात सुनकर शैलेन्द्र का मुँह उतर गया|


Question 8.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

फिल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?


Answer:

फिल्म समीक्षक राजकपूर को कला-मर्मज्ञ, आँखों से संवाद करने वाला एवं एक कुशल अभिनेता मानते थे।




Likhit
Question 1.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

‘तीसरी कसम’ फिल्म को ‘सैल्यूलाइड पर कविता’ क्यों कहा गया है?


Answer:

सैल्यूलाइड का अर्थ है-फिल्म को कैमरे की रील में उतारकर चित्र प्रस्तुत करना। ‘तीसरी कसम’ फिल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहने के पीछे कारण यह था कि यह फिल्म अपने में सघन, सूक्ष्म और और गहरी भावनाओं को संजोए थी| यह एक फिल्म की तरह अनुभूति न कराकर एक कविता के समान अनुभूति कराती थी| मानो कि सैल्यूलाइड की फिल्म पर कविता उतार दी गयी हो| इस फिल्म को देखने वाले दर्शक को इस फिल्म को देखने पर एक कविता के मधुर प्रवाह जैसा अनुभव होता है| इन्हीं सब कारणों की वजह से इस फिल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहा गया|



Question 2.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

‘तीसरी कसम’ फिल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे हैं?


Answer:

इस फिल्म को निर्देशक द्वारा पूर्णतः साहित्यिक महत्त्व को ध्यान में रखकर बनाया गया था| जबकि फिल्मों को बाजार में पैसा कमाने के लिए उसमें मसाला और लोक लुभावन दृश्य होने आवश्यक होते हैं| इस फिल्म के साथ ऐसा नहीं था क्योंकि इस फिल्म को तो साहित्यिक महत्त्व को ध्यान में रखकर ही बनाया गया था| फिल्म खरीददारों को इसी कारण से इस फिल्म में व्यापारिक संभावनाएँ कम दिख रहीं थी और इसी कारण से फिल्म खरीददारों ने इस फिल्म को खरीदने में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई|



Question 3.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?


Answer:

शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रूचियों में परिष्कार करने की कोशिश करें, उनकी रूचि के स्तर को ऊँचा उठाए, लोगों में जागृति एवं संवेदंशीलता लाने का प्रयास करे| कलाकार सिर्फ और सिर्फ दर्शकों की रुचियों के अनुसार ढ़लकर स्वयं को उथला और सस्ता न करे और सिर्फ और सिर्फ व्यापरिक संभावनाओं को ध्यान में रखकर फिल्म में अभिनय और अपना किरदार न निभाए|



Question 4.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?


Answer:

अनेक निर्देशकों का फिल्म बनाने के पीछे मूल उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर वे फिल्म में इस प्रकार के दृश्यों को प्रधानता देता है अथवा कहें कि त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफाई करने का कार्य करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उसकी फिल्म देखने आयें और वह फिल्म से अधिक से अधिक लाभ कमा सके| निर्माता-निर्देशक हर दृश्य को रूचि का बहाना बनाकर महिमा-मंडित कर देते हैं ताकि उनके द्वारा फिल्म पर खर्च किये गए प्रत्येक पैसे को बसूला जा सके और फिल्म से अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके|



Question 5.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

शैलेन्द्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’-इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।


Answer:

शैलेंद्र मूलतः एक कवि और गीतकार थे और राजकपूर की फिल्मों के लिए गीत लिखा करते थे। राजकपूर व शैलेंद्र दोनों बहुत अच्छे मित्र, सहयोगी एवं एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते थे| शैलेन्द्र ने जब अपनी पहली फिल्म बनाने का निर्णय लिया तब उन्होंने उसमें अभिनय करने के लिए राजकपूर को चुना और इस फिल्म को शैलेन्द्र ने बड़ी कुशलता से बनाया| शैलेन्द्र ने फिल्म में राजकपूर की भावनाओं को अपने शब्द दिए, उनके किरदार को बड़े निराले ढंग से रचा| वे दोनों बहुत अच्छे मित्र थे इसी कारण शैलेन्द्र जानते थे कि राजकपूर का व्यक्तित्व कैसा है, इसी कारण से शैलेन्द्र ने उन्हें अपने दिमाग में रखकर उसके अनुसार ही उस किरदार को शब्द दिए होंगे| शैलेन्द्र ने फिल्म में राजकपूर के किरदार को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी| इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि शैलेन्द्र ने फिल्म में राजकपूर की भावनाओं को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त किया|



Question 6.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?


Answer:

शेमैन का अर्थ है एक ऐसा आकर्षक व्यक्तित्व जो बड़े से बड़े जनसमूह को अपनी कला के द्वारा आकर्षित कर सके, जनसमूह को अपनी कला में डूब जाने को मजबूर कर दे, ऐसा व्यक्ति शोमैन कहलाता है| वह व्यक्ति अपनी कलात्मक विशिष्टता के कारण सब जगह प्रसिद्द होता है एवं लोगों का चहेता होता है| राजकपूर अपने दौर के महान फिल्मकार-अदाकार थे और उन्होंने अपनी कला के दम पर ही भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लोगों के दिल में ख़ास जगह बना ली थी| इसी कारण से उन्हें शोमैन कहा गया| उनकी फिल्मों और उनके अभिनय को देखकर लोग उनके दीवाने हो जाते थे| वे अपने अभिनय से लोगों के दिल पर ऐसा प्रभाव डालते थे की वह व्यक्ति उन्हें वर्षों तक भुला नहीं पाता था| इसी कारण उनकी प्रसिद्धि भारत के बाहर दुनिया के अन्य देशों में भी थी| इसी कारण से राजकपूर को शोमैन कहा जाता है|



Question 7.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

फिल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?


Answer:

फिल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की क्योंकि उनका मानना था कि दर्शक चार दिशाएँ तो समझते हैं लेकिन इस गाने में दस दिशाओं से संबंधित बात को वे आसानी से नहीं समझेंगे और इसीलिये दस दिशाओं शब्द को इस गाने में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए जबकि इसकी जगह चार दिशाएँ शब्द उपयोग किया जाए| उनका मानना था की दस दिशाओं कका अर्थ साहित्यिक एवं ज्ञानी लोगों को तो होता है लेकिन जनसामान्य से हम ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते कि वे इसका क्या अर्थ निकालेंगे| उनका मानना था कि गीत अथवा फिल्म लिखते समय यह बात ध्यान रखनी चाहिए की उसकी कथावस्तु जनसामान्य को समझ आएगी अथवा नहीं| लेकिन शैलेंद्र इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए क्योकि वे दर्शकों की रूचि की आड़ में उन पर उथलापन थोपना नहीं चाहते थे| उनका मानना था कि कलाकार का काम होता है दर्शकों की सोच को परिष्कृत करना नाकि उनके दवाव में उथली एवं हल्की सामग्री को उनके सामने पेश करना|



Question 8.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

राजकपूर द्वारा फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फिल्म क्यों बनाई?


Answer:

राजकपूर एक बेहतर अभिनेता होने के साथ-साथ, बेहतरीन फिल्म निदेशक भी थे| वे जानते थे कि किस प्रकार की फिल्म सफल होती है, लोग किस फिल्म को पसंद करते हैं| जबकि शैलेन्द्र फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अनुभवहीन थे| यह उनकी पहली बतौर निर्माता पहली फिल्म थी और वे स्वभाव से भी सीधे-साधे और भावुक इन्सान थे| उन्होंने साहित्यिक महत्त्व को ध्यान में रखकर फिल्म लिखी और उसे बनाने का निर्णय लिया| राजकपूर ने उनकी फिल्म की कहानी सुनकर राजकपूर ने अपनी प्रतिक्रिया में शैलेन्द्र को समझाया की यह फिल्म आप बना रहे हैं यह तो ठीक है लेकिन यह फिल्म सफल होगी अथवा नहीं यह स्पष्ट नहीं है, इस फिल्म को खरीददार मिलेंगे अथवा नहीं यह भी स्पष्ट नहीं है| लेकिन शैलेन्द्र बहुत हो सीधे-साधे, भावुक एवं एक आदर्शवादी व्यक्ति थे| उन्होंने यह कहानी पूर्णतः साहित्यिक उद्देश्य से लिखी थी और वे एक बेहतरीन फिल्म बनान चाहते थे| उनका उद्देश्य मात्र पैसे कमाना नहीं था बल्कि समाज के लिए एक बेहतर फिल्म बनाना था| इसी कारण राजकपूर की चेतावनी के बाद भी उन्होंने यह फिल्म बनाई क्योंकि फिल्म लिखने के वक्त भी उनका उद्देश्य व्यापारिक न होकर एक बेहतर फिल्म बनाने का था|



Question 9.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमायम व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।


Answer:

‘तीसरी कसम’ फिल्म का मुख्य किरदार एवं इसका नायक हीरामन है जोकि एक ग्रामीण खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान है| हीरामन का किरदार निभाने के लिए शैलेन्द्र ने राजकपूर को चुना जो उस समय के भारत के ही नहीं अपितु पूरे एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में जाने जाते थे| यह किरदार भी कोई सामान्य किरदार नहीं था| इसमें राजकपूर को कोई बहुत बड़े, ज्ञानी, गंभीर व्यक्ति का किरदार नहीं करना थे जिसमें उनको विशिष्टता हासिल थी| यह तो एक ग्रामीण व्यक्ति का किरदार था जो बहुत ही सामान्य है, कम बोलता है, देहाती है, सरल है, सनकी है| वह सामान्य व्यक्तियों से भिन्न व्यवहार करता है कभी सनक जाता है तो कभी एक सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करना लगता है| इस किरदार को सिर्फ राजकपूर जैसा व्यक्तित्व ही निभा सकता था क्योंकि यह एक बिलकुल ही अलग किरदार था और ऐसा हुआ भी राजकपूर ने इस किरदार को हमेशा के लिए यादगार बना दिया| वे गाड़ीवान देहाती हीरामन के व्यक्तित्व से एकाकार हो गए, उनके अभिनय में कहीं भी वो तामझाम नहीं दिखता कि वे इतने बड़े अभिनेता हैं, ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हैं| वे इस फिल्म के वक्त हीरामन के किरदार के साथ इस प्रकार एकाकार हो गए और हमेशा के लिए उन्होंने स्वयं के लिए, फिल्म जगत के लिए एवं आम-जन की स्मृति में इस किरदार को यादगार बना दिया|



Question 10.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?


Answer:

‘तीसरी कसम’ फिल्म साहित्यिक रचना पर आधारित थी| तीसरी कसम एक शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म थी। इस कहानी के मूल स्वरुप में जरा भी बदलाव नहीं किया गया था। साहित्यिक रचनाओं पर आधारित अनेक फ़िल्में बनती हैं लेकिन उनके साथ समस्या यह है कि व्यापारिक संभानाओं को देखकर निर्माता आमजन को आकर्षित करने के लिए उनमें लोक-लुभावन, भड़काऊ, मसालेदार दृश्यों और प्रसंगों को डाल देते हैं| शैलेन्द्र ने इस फ़िल्म में दर्शकों के लिए किसी भी प्रकार के काल्पनिक मनोरंजन को जबरदस्ती ठूँसा नहीं था। शैलेंद्र ने धन कमाने के लिए फ़िल्म नहीं बनाई थी। उनका उद्देश्य एक सुंदर कृति बनाना था। उन्होंने फिल्म बनाते समय इसमें लोक-लुभावन, मसालेदार प्रसंगों को शामिल नहीं किया और उन्हीं सब कारणों की वजह से यह फिल्म एक पूर्ण साहित्यिक फिल्म के पैमाने पर खरी उतरती है| इस फ़िल्म ने कहानी की मूल आत्मा अर्थात् भावुकता के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया था इसलिए लेखक ने ऐसा लिखा है कि 'तीसरी कसम' ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है।



Question 11.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए|


Answer:

शैलेंद्र एक आदर्शवादी व्यक्ति थे। वे अत्यंत सफल कवि और गीतकार थे। वे आम जन को केंद्र में रखकर रचे गए गीतों के कारण उनसे जुड़े हुए थे| शैलेंद्र के गीत बड़ी ही साधारण भाषा में होते थे, जिससे आम लोगों को भी उनकी समझ हो जाए। उनके गीत साधारण होने के बावजूद बहुत बड़े अर्थ को अपने में समाहित रखते थे। वे एक भावुक कवि थे और उनका यही भावुक स्वभाव उनके गीतों में भी परछाईं बनकर झलकता था। झूठे दिखावों से उन्हें सख्त नफरत थी इसलिए अपने गीतों में उन्होंने झूठे दिखावों को कोई स्थान नहीं दिया। उनके गीत मनुष्य को जीवन में दुखों से घबराकर रूकने के स्थान पर निरंतर आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। लेखक ने उनके गीतों को शांत नदी के प्रवाह और समुद्र की गहराई से संबोधित किया है। इसका मतलब है कि शैलेंद्र के गीतों में शांत नदी जैसी सरलता होती थी और समुद्र की गहराई जैसे अर्थ छुपे हुए थे। उनके गीत एवं कविताएँ भावनाओं की अभिव्यक्ति करने में पूर्णतः सक्षम है। उनके गीतों में भावों की प्रधानता थी और उनके गीतों में करूणा के साथ-साथ संघर्ष की भावना भी दिखाई देती है। उनके लिखे गीतों में अनेक विशेषताएँ दिखाई देती हैं।



Question 12.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

फिल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।


Answer:

शैलेंद्र एक मानवतावादी फिल्म निर्माता थे। कवि शैलेंद्र व्यावसायिक दृष्टि से अच्छे निर्माता नहीं थे क्योंकि वे मूल रूप से एक कवि थे। कवि शैलेंद्र की ‘तीसरी कसम’ फिल्म निर्माता के रूप में पहली और अंतिम फिल्म थी। उन्होंने इस फिल्म का निर्माण पैसा कमाने के उद्देश्य से नहीं किया था क्योंकि वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे और आत्म-संतुष्टि के लिए फिल्म बनाकर साहसी फिल्म निर्माता होने का परिचय देना चाहते थे| शैलेंद्र ने तीसरी कसम फिल्म का निर्माण पूरी तरह साहित्यिकता के अनुसार करने का निर्णय लिया| उसके साथ शत-प्रतिशत न्याय करके अपने आदर्शवादी व्यक्तित्व को सहेज के रखा। वे चाहते तो इसमें फेर-बदल करके उसे अधिक मनोरंजक बना सकते थे। उन्होंने फिल्म उद्यांग में रहते हुए भी अपनी आदमियत नहीं खोई उन्होंने फिल्म के असफल होने के डर से घबराकर सिद्धांतों के साथ कोई समझोता नहीं किया। इस प्रकार वे एक आदर्शवादी एवं मानवतावादी फिल्म निर्माता के रूप में उभरकर आगे आए।



Question 13.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फिल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।


Answer:

अपने निजी जीवन में शैलेंद्र एक सरल इंसान थे जिनके अंदर असीम गहराई थी। वे एक सच्चे, आदर्शवादी, संवेदनशील और भावुक कवि थे। उन्होंने अपने जीवन में केवल एक ही फिल्म का निर्माण किया, जिसका नाम ‘तीसरी कसम’ था। देखा जाए तो ‘तीसरी कसम’ एक साधारण से देहात की पृष्ठभूमि एवं आमज की फिल्म लगती है। तीसरी कसम’ एक संवेदनात्मक, आदर्शवादी और भावनापूर्ण फिल्म थी। शांत नदी का प्रभाव और समुद्र की गहराई उनके निजी जीवन की विशेषता थी और यही विशेषता उनकी फिल्म में भी दिखाई देती है। ‘तीसरी कसम’ का नायक हीरामन जो केवल दिल की जुवान समझता है, दिमाग की नहीं साथ ही वह अत्यंत सरल हृदयी और शरीफ नवयुवक है। उसके लिए मोहब्बत के सिवाय किसी चीज़ का कोई अर्थ नहीं। हीरामन को धन की चकाचौंध से दूर रहनेवाले एक देहाती के रूप में इस फिल्म में प्रस्तुत किया गया है| कुछ हद तक इसी प्रकार का व्यक्तित्व शैलेंद्र का था जिसमें वे स्वयं भी यश और धनलिप्सा से कोसों दूर थे इसलिए वे अपने जीवन को सहज रूप से जीते थे। इसके साथ-साथ फिल्म ‘तीसरी कसम’ में दुख को भी सहज स्थिति में जीवन सापेक्ष प्रस्तुत किया गया है जिसमें वे दुख से घबराकर उससे दूर नहीं भागते थे। इस प्रकार स्पष्ट है कि शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फिल्म में झलकती है। लेकिन जिस प्रकार से इस फिल्म में लोक जीवन का चित्रण हुआ है वह इस फिल्म की गहराई को दर्शाता है।



Question 14.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फिल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत है? स्पष्ट कीजिए।


Answer:

अक्सर फिल्मकार व्यावसायिक सफलता के चक्कर में फिल्म की आत्मा के साथ खिलवाड़ करते हैं। ज्यादातर फिल्मों में ग्रामीण पृष्ठभूमि का मतलब होता है भड़काऊ पोशाक और संगीत। लेखक द्वारा कहे गए इस कथन से हम पूर्णतः सहमत हैं कि 'तीसरी कसम फिल्म को कवि हृदय ही बना सकता है। एक सच्चे कवि का हृदय अत्यंत शांत, भावुक एवं संवेदनशील होता है। संवेदना की गहराइयों से पूर्ण भावुकता को स्वयं में समेटे तीसरी कसम कवि हृदय द्वारा निर्मित फिल्म थी। जिसे केवल आत्मसंतुष्टि की अभिलाषा से निर्मित किया गया था तथा उन्हें न तो धन का लोभ था और न ही दर्शकों की भीड़ की चाह थी। ‘तीसरी कसम’ फिल्म में कवि-हृदय के कारण ही नायक और नायिका के मनोभावों को प्रस्तुत किया जा सकता था। शैलेंद्र उन कोमल अनुभूतियों को बारीकी से समझते थे और उन्हें प्रस्तुत करने में सर्मथ थे। फिल्म को देखकर ऐसा लगता है जैसे कलाकारों ने पूरी ईमानदारी व मनोयोग से परदे पर उतारा है जो इस साहित्य की मार्मिक कृति है। ‘तीसरी कसम’ फिल्म में शैलेंद्र ने व्यवसायिक खतरों को उठाया है। उसमें गहरी कलात्मकता तथा कलापूर्णता को पिरो दिया। उसमें उन्होंने करूणा और संघर्षशीलता को दर्शाया हैं। उन्होंने अपने पात्रों से आँखों की भाषा में अभिव्यक्ति कराई। इस फिल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता होने के कारण ही लेखक ने कहा है कि इसे कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता है।



Question 15.

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।


Answer:

यहां लेखक का आशय यह है कि शैलेंद्र ने तीसरी कसम फिल्म का निर्माण धन-संपत्ति कमाने और यश प्राप्त करने के उद्देश्य नहीं किया था। उनका इस फिल्म को बनाने का कारण आत्म संतुष्टि और आत्मसुख को पाने की इच्छा थी। शैलेंद्र एक भावुक और आदर्शवादी कवि थे। उन्हें धन और यश की कोई ख़ास इच्छा नहीं थी अपितु वे तो समाज को एक साफ-सुथरी अच्छी फिल्म देना चाहते थे। वह तो इस बात की संतुष्टि पाना चाहते थे कि उन्होंने अच्छी फिल्म बनाई| इन पंक्तियों में शैलेंद्र के कवि हृदय व्यक्तित्व के बारे में बताया गया है। शैलेंद्र कभी भी धन या यश की लालच में गीत नहीं लिखते थे बल्कि अपनी आत्म संतुष्टि के लिए गीत लिखते थे।



Question 16.

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार का प्रयत्न करें।


Answer:

शैलेंद्र को फार्मूला फिल्मों की तरह फिल्मों में मसाले भरने से सख्त परहेज था। वे उथली बातों को इस बहाने नहीं थोपना चाहते थे कि अधिकतर लोगों की रुचि वैसी ही उथली बातों में थी। साथ में वे ये भी मानते थे कि दर्शकों में अच्छी चीजों के प्रति संवेदनशीलता जगाना भी कलाकार का कर्तव्य होता है। कवि ने रूचियों की आड़ में कभी भी दर्शकों पर घटिया गीत थोपने का प्रयास नहीं किया। फ़िल्में आज के दौर में मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम हैं। आजकल जिस प्रकार की फिल्मों का निर्माण होता है, उनमें से अधिकतर इस स्तर की नहीं होता कि पूरा परिवार एक साथ बैठकर देख सके। यही अंतर है एक सच्चे फिल्मकार और एक फिल्मकार में|



Question 17.

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।


Answer:

लेखक का आशय यह है कि जीवन में आने वाले दुख मनुष्य को कभी हरा नहीं सकते बल्कि वह तो जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। जिंदगी में आदमी को सुख के साथ हताशा और व्यथा भी मिलती है लेकिन व्यथा और दुख से आदमी को निराश नहीं होना चाहिए। कहा जाता है कि असफलता तो सफलता के लिए सीढ़ी का काम करती है। जो लोग दुखो से घबरा कर बैठ जाते हैं वह जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकते। जीवन में आने वाले दुख और कठिनाइयां हमें और अधिक मजबूत बनाती हैं और जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। दुखो से घबराने के स्थान पर इन से प्रेरणा लेकर हमें निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जो लोग ऐसा कर पाते हैं वही सफल होते हैं। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।



Question 18.

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।


Answer:

लेखक का आशय यह है कि फिल्म तीसरी कसम एक संवेदनशील फिल्म थी। यह संवेदना फिल्मों से पैसा कमाने वाले लोगों की समझ में आने वाली नहीं थी। जिस फिल्म में दर्शकों के मनोरंजन के लिए पर्याप्त सामग्री होती है ऐसी फिल्मों को खरीददार हाथों-हाथ खरीद लेते हैं। फिल्म तीसरी कसम में भावनाओं और संवेदाओं की प्रधानता थी। मात्र पैसा कमाने के लिए फिल्म बनाने वालों के लिए संवेदनाओं और साहित्यिकता से युक्त फिल्म का कोई महत्त्व नहीं था| इसी कारण इस फिल्म को कोई खरीदार नहीं मिला।



Question 19.

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।


Answer:

लेखक का आशय यह है कि कवि एवं गीतकार शैलेंद्र के गीतों में भाव प्रवणता बहुत थी लेकिन वह कठिन नहीं थे। उनके गीतों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति होती थी। गहरी से गहरी भावनाओं को भी बड़ी सरलता से प्रस्तुत किया जाता था। उनके गीत भावनात्मक होते हुए भी सरल थे। सामान्य से सामान्य श्रोता और दर्शक भी उनके गीतों के भाव को बड़ी आसानी से समझ लेता था। उनके गीत भावनाओं से परिपूर्ण होते हुए भी आम आदमी से जुड़े हुए थे।




Bhasha Adhyayan
Question 1.

पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।

(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।

(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।

(ग) फिल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिपफ़ थे।

(घ) दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दौ से चार बनाने के गणित जाननेवाले की समझ से परे थी।

(ड,) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।


Answer:

विद्यार्थी वाक्यों को पढ़कर स्वयं समझने का प्रयास करें|



Question 2.

इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए-

(क) ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।

(ख) उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।

(ग) फिल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।

(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सि़र्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।


Answer:

(क) उपर्युक्त वाक्य में ‘पर के प्रयोग से वाक्य की संरचना की गई है। ऐसा जटिल संयोजन है जैसे कि तत्त्व और उनके मिश्रण से वाक्य को बनाने का भाव पूर्ण होता है एवं यह संरचना वाक्य को अर्थ देती है।


(ख) उपर्युक्त वाक्य में ‘जिसे के प्रयोग से वाक्य की संरचना की गई है। ऐसा जटिल संयोजन है जैसे कि तत्त्व और उनके मिश्रण से वाक्य को बनाने का भाव पूर्ण होता है एवं यह संरचना वाक्य को अर्थ देती है।


(ग) उपर्युक्त वाक्य में ‘कब के प्रयोग से वाक्य की संरचना की गई है। ऐसा जटिल संयोजन है जैसे कि तत्त्व और उनके मिश्रण से वाक्य को बनाने का भाव पूर्ण होता है एवं यह संरचना वाक्य को अर्थ देती है।


(घ) उपर्युक्त वाक्य में ‘जो के प्रयोग से वाक्य की संरचना की गई है। ऐसा जटिल संयोजन है जैसे कि तत्त्व और उनके मिश्रण से वाक्य को बनाने का भाव पूर्ण होता है एवं यह संरचना वाक्य को अर्थ देती है।



Question 3.

पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए-

चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना।


Answer:

चेहरा मुरझाना :- जैसे ही उसने लॉटरी का परिणाम समाचार पत्र में देखा उसे देखक उसका चेहरा मुरझा गया।


चक्कर खा जाना :- दसवीं परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने का समाचार सुनकर वह चक्कर खा गई।


दो से चार बनाना :- आजकल क्रिकेट के खेल में खिलाड़ियों से अधिक सट्टेबाज रुचि लेते हैं जिनका काम दो से चार बनाना है।


आँखों से बोलना :- तीसरी कसम में अभिनेत्री वहीदा रहमान अपने प्रेम को शब्दों से नहीं आँखों से बोलकर प्रकट करती है।



Question 4.

निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए-



Answer:

(क) शिद्दत- तीव्रता, कठिनाई


(ख) याराना- दोस्ती, मित्रता


(ग) बमुश्किल- मुश्किल से, लगभग


(घ) खालिस- शुद्ध


(ड-) नावाकि़फ- अनजान, अनभिज्ञ


(च) यकीन- भरोसा, विश्वास


(छ) हावी- दबाव, भारी


(ज) रेशा- सूत्र, तंतु



Question 5.

निम्नलिखित का संधि-विच्छेद कीजिए-



Answer:

(क) चित्रांकन - चित्र + अंकन


(ख) सर्वोत्कृष्ट - सर्व + उत्कृष्ट


(ग) चर्मोत्कर्ष - चर्म + उत्कर्ष


(घ) रूपांतरण - रूप + अंतरण


(ड-) घनानंद - घन + आनंद



Question 6.

निम्नलिखित का समास-विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए-

(क) कला-मर्मज्ञ ---------------

(ख) लोकप्रिय ---------------

(ग) राष्ट्रपति ----------------


Answer:

(क) कला-मर्मज्ञ :‌- कला के मर्म को समझने वाला


या


जिसे कला के मर्म का ज्ञान हो -संबंध तत्पुरुष समास


(ख) लोकप्रिय :- लोक में प्रिय - अधिकरण तत्पुरूष समास


(ग) राष्ट्रपति :- राष्ट्र का पति - संबंध तत्पुरूष समास