फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी निम्नलिखित कारणों से लगती थी :-
(क) वह सदैव ही दूसरों के लिए मिठास भरे अमृत की तरह थे|
(ख) उनमें हर प्रियजन के लिए ममता एवं अपनत्व था|
(ग) वह करुणा से भरे थे
(घ) उनसे बात करना मन को शांति देता था
(ङ) सबसे बड़े होने के नाते वह सभी पर अपना आशीष बनाये रहते थे|
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग है यह हम इन बातों के आधार पर कह सकते है-
(क) उन्होंने अपने 73 वर्ष के जीवन में से 47 वर्ष भारत में व्यतीत किए वह भारतीय संस्कृति में इस तरह रच बस गये थे कि अपने देश का नाम पूछे जाने पर वह भारत ही कहा करते थेI
(ख) उन्होंने हिंदी में अपनी शिक्षा पूरी कीI
(ग) उन्होंने भारतीय संस्कृति के महानायक राम और राम-कथा को अपने शोध का विषय चुना और ‘राम कथा: उत्पत्ति और विकास’ पर अपना शोध पूरा किया|
(घ) उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश लिखाI
(ङ) वह हिंदी एवं संस्कृत विभाग में विभागाध्यक्ष के पद पर भी रहे|
(च) उनका हिंदी से प्रेम उनके विचारो में व्यक्त होता थाI
(छ) उनका हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में देखने का सपना था हिंदी जानने वालों द्वारा हिंदी कि उपेक्षा उनकी चिन्ता का कारण थी|
इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि फादर बुल्के वह भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग है और सदा रहेंगे|
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
निम्नलिखित प्रसंगों में हम हिंदी के प्रति फ़ादर का प्रेम देख सकते है
(क) उनका हिंदी से प्रेम उनके विचारो में व्यक्त होता था|
(ख) उनका हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में देखने का सपना थाI
(ग) हिंदी जानने वालो द्वारा हिंदी की उपेक्षा उनकी चिन्ता का कारण थाI
(घ) उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश लिखाI
(ड) उन्होंने हिंदी में अपनी शिक्षा पूरी कीI
(च) उन्होंने प्रसिद्ध नाटक ब्लू बर्ड का रूपांतर हिंदी में किया|
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए|
इस पाठ के आधार पर हम कह सकते है की वह करुणा से भरे व्यक्ति थे जिसके मन में दूसरों के प्रति सदा मिठास भरा एवं करुणा भारी रहती थी| वह ईश्वर में असीम विश्वास रखते थे| उनमें हर प्रियजन के लिए ममता एवं अपनत्व था| उनसे बात करना मन को शांति देता था| सबसे बड़े होने के नाते वह सभी पर अपना आशीष बनाये रहते थे| उनका हिंदी से प्रेम उनके विचारों में व्यक्त होता था |
लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ इसलिए कहा क्योंकि उनमें अपने प्रियजनों के प्रति अत्यधिक आत्मीयता थी वह उन पर ममता और वात्सल्य की वर्षा निरंतर करते रहते थे| बादलों की गड़गड़ाहट या बिजली की चमक, गर्मी की तपन और सर्दी की सिमुड़न उन्हें प्रियजन से मिलने से रोक नहीं पाती थी| इसी प्रकार प्रियजनों के संकट के समय ऐसी सांत्वना देते थे कि वे अपने दुख को भूल ही जाते थे| वह करुणा से भरे व्यक्ति थे जिसके मन में दूसरों के प्रति सदा मिठास भरा अमृत रहता था|
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
संन्यासी अर्थात् वह व्यक्ति जिसने सांसारिक मोह त्याग दिया हो परन्तु फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है| वह भी एक संन्यासी थे लेकिन हमेशा दूसरों के कल्याणार्थ सदैव तत्पर रहते थे| वह सबसे मिल जुल कर रहते थे एवं सुबके सुख दुःख में साथ रहते थे|
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है|
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है|
(क) लेखक के अनुसार फ़ादर की अंतिम विदाई में इतने लोग आये थे जिसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है शायद इसका अंदाज़ा खुद फ़ादर को भी नहीं होगा कि वह इतनी आंखें नम कर जायगे| उन्होंने अपनी ममता और करुणा से इतने लोगों के दिल में जगह बना ली थी कि कोई भी अपने आंसू रोक नहीं पाया |
(ख) लेखक ने फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत सुनने जैसा इसलिए कहा क्योंकि जिस प्रकार उदास संगीत को सुनने पर मन को शान्ति का आभास होता है, आँखें भर आती हैं, जीवन के सुखद दिनों की स्मृति मन को छू जाती है उसी प्रकार फ़ादर को याद करना उनके साथ बिताये सुखद दिनों की याद दिला जाता है और उनका अब साथ न होना मन को उदासीनता से भर देता है |
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
भारत विश्व भर में अपनी महान संस्कृति एवं पारम्परिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है| यह एक खूबसूरत देश है जो कि अपनी ऐतिहासिक धरोहर एवं परम्परा के लिए जाना जाता है| यहाँ अतिथि को भगवान माना जाता है| मेरे विचार से इन सब बातों से प्रभावित होकर ही बुल्के ने भारत आने का मन बनाया होगा |
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल|’- इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्ति होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल|’ इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति जो भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं वह कुछ इस प्रकार है-
(क) उनका अपने देश के प्रति प्रेम I
(ख) अपनी जन्मभूमि के प्रति सम्मान |
(ग) अपनी जन्मभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा झलकती जिसके कारण भारत में लंबे समय तक रहते हुए भी वे अपनी जन्मभूमि को भुला नहीं पाए जबकि उनके जीवन का अधिकांश समय भारत में बीता था I
मेरी जन्भूमि मेरी मातृभूमि है और मैं खुद को बेहद खुशकिस्मत समझती हूँ कि मेरा जन्म एक ऐसे देश में हुआ जहाँ विभिन्न संस्कृति एवं परम्परा को मानने वाले लोग एक साथ ख़ुशी-ख़ुशी रहते है| भारत विविधता में एकता को मानने वाला देश है और मुझे मेरे देश से बेहद प्रेम है|
मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए|
मेरा देश भारत
जिसकी सुहानी सुबह है होती, होती सुनहरी शाम है
वीर बहादुर जन्मे जिसमें, मेरा भारत महान है
भारत जिसको पुरातन युग में आर्यावत नाम से पुकारा जाता था| यह अपनी सुख समृद्धि एवं ऐश्वर्य के लिया जाना जाता था और इसी कारण इसका नाम सोने की चिड़िया पड़ा| यहाँ के वासी आर्य कहलाते थे| महाप्रतापी राजा दुष्यंत के महावीर पुत्र भारत के नाम पर ही मेरे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है |
भारत भौगोलिक विभिन्नताओं वाला देश है| यहां एक ओर हरियाली है तो दूसरी तरफ जंगल, एक ओर हिम खंडित पर्वत शिखर हैं तो दूसरी ओर तपते मरुस्थल| इसी देश में प्राकृतिक बनावट, जलवायु, खान-पान, वेशभूषा तथा संस्कृति की दृष्टि से अनेक विभिन्नताएं हैं| हमारा प्यारा देश भारत अनेकता में एकता का अपूर्व उदाहरण है| इसी देश में मंदिर और मस्जिद, गुरु द्वारे और गिरजाघरों के दर्शन होते हैं| अनेक भाषाएं ओर अनेक धर्म इसी धरती पर फल-फूल रहे हैं| सभी संस्कृतियों को फलने फूलने का अवसर दिया जाता है| विविधता में एकता ही भारत कि विशेषता है| हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को यहां एक समान दृष्टि से देखा जाता है| यहाँ अलग अलग भाषा बोलने वाले विभिन्न धर्मों को मानने वाले सभी लोग एक साथ एवं मिल जुल कर रहते हैं| भारत की सभ्यता और संस्कृति दुनिया भर में विख्यात है| ये संस्कार हमें इसी वतन से मिले कि गुरु को भगवान का दर्जा प्राप्त है एवं माता के चरणों में स्वर्ग है| यहां पर अतिथि देवों भवः है की परंपरा को प्रमुखता दी जाती है| भारत देश में सिर्फ देवी-देवताओं की ही नहीं अपितु पशु, पक्षी, पेड़-पौधों, नदियों, पर्वतों आदि की भी पूजा की जाती है| यह माध्यम है यह समझाने का कि इन संसाधनों के बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता एवं महान नहीं बन सकता|
भारत एक कृषि प्रधान देश है 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है| 60 प्रतिशत आबादी युवा वर्ग की है और प्रत्येक युग एवं देश का भविष्य युवा होता है| हमारे पास गर्व करने लायक काफी उपलब्धियां हैं| हम हिमालय की चोटी पर पहुंचे, चांद को अपना बनाया है, राजनीति में भी युवाओं की भागीदारी बढ़ने लगी है| भारत राजनीति, औद्योगीकरण, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य सृजन और कला में आगे हैं| आज भारत की जनसंख्या 100 करोड़ से अधिक है| इस देश में 25 राज्य और 6 केन्द्र शासित क्षेत्र हैं| जहाँ कई धर्म और समाज के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं| भारत देश की राष्ट्रीय भाषा हिन्दी है| यहाँ का राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम् है| भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर तथा राष्ट्रीय पशु बाघ है|
भारत भूमि में राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध जैसे कई महापुरूषों को जन्म दिया है| यह वीर योद्धाओं का देश है जिनमें महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, भगतसिंह, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गांधी, चाचा नेहरू, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री और न जाने कितने वीर योद्धा शामिल हैं जिन्होंने अपनी जान पर दाव पर रखकर देश को गुलामी से मुक्त कराया और इसकी रक्षा की| भारत देश अपने साहित्य के लिए भी उतना ही प्रसिद्ध है| इस भूमि पर तुलसी, कबीर, रवीन्द्र नाथ टैगोर, प्रेमचन्द, और न जाने कितने साहित्यकारों एवं कवियों ने जन्म लेकर इसे महान बनाने में अपना योगदान दिया है|
सभी देशवासी भारत देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं| हमारा देश वर्तमान में अनेक समस्याओं से जूझ रहा है और अभी विकासशील देशों की श्रेणी में है| लेकिन वह समय दूर नहीं है जब हमारा भारत देश विज्ञान, तकनीक, औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से विश्व का सिरमौर बनेगा|
आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है| उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए|
मकान नंबर 342
सेक्टर 3, हनुमान नगर
कोटा, भारत
10 जनवरी, 2019
प्रिय मित्र हडसन
मधुर स्मृतियाँ!
मैं यहाँ सकुशल हूँ आशा करता हूँ कि तुम भी ईश्वरीय कृपा से स्वस्थ और सानंद होगे| हमें मिले बहुत समय हो गया है| पिछले वर्ष की तस्वीरें देख रहा था तो सभी यादें ताज़ा हो गयी मानो जैसे कल की ही बात हो और फिर से मिलने का मन हो उठा |
मैं चाहता हूँ कि तुम इस बार गर्मी की छुट्टियों में भारत-भ्रमण के उद्देश्य से आ जाओ| भारत के जिन मनोहारी पर्वतीय स्थलों की चर्चा गत वर्ष करते थे उन्हें साक्षात् देखने से निश्चित ही आनंदानुभूति होगी| इस संबंध में पिता जी से परामर्श कर उन सभी पर्वतीय स्थलों पर घूमने चलेंगे जहाँ पिछले वर्ष नहीं जाना हो पाया था | तुम एक माह रहने की योजना बनाकर शीघ्र ही भारत आ जाओ| मेरे साथ-साथ मेरे पिता जी भी तुमसे मिलने के लिए उत्कंठित हो रहे हैं| तुम्हारे उत्तर कि प्रतीक्षा रहेगी I
अपने माता जी और पिता जी को मेरा प्रणाम कहना|
तम्हारा मित्र
राम
निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग लिखिए-
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है
(ड) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते
समुच्चयबोधक का अर्थ - व्याकरण में अव्यय का एक भेद जिसका कार्य दो वाक्यों में परस्पर संबंध स्थापित करना होता है|
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ड) लेकिन