संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
कवि संगतकार के माध्यम से किसी भी कार्य या कला में लगे हर उस सहायक की ओर संकेत कर रहा है जो अपनी प्रसिद्धि की परवाह किये बिना मुख्य कलाकार की लगातार सहायता करता रहता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार दीवार की नींव की अपनी कोई पहचान नहीं होती परन्तु दीवार मजबूती से खड़ी रहे, इसके लिए वह अपना अस्तित्व दांव पर लगा देती है। हम और आप उस एक खिलाड़ी या अभिनेता के बारे में जानते हैं जो सफलता के शिखर पर होता है। लेकिन हम उन लोगों के बारे में नहीं जानते जो उस खिलाड़ी या अभिनेता की सफलता के लिए नेपथ्य में रहकर अथक परिश्रम करता है। कपिल शर्मा तो आपको याद ही होंगे, लेकिन उन्हें वो शोहरत दिलाने में उनके सहायक कलाकार सुनील ग्रोवर (गुत्थी) का भी बहुत योगदान रहा है। कवि का इशारा इन्ही सहायक लोगों की तरफ है।
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
संगतकार जैसे व्यक्ति प्रायः सर्वत्र मिल जाते हैं। ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र होगा, जहाँ संगतकार जैसे व्यक्ति न मिलें।
उदाहरणार्थ-
(क) किसी स्टार खिलाड़ी के पीछे उसके ट्रेनर, कोच, मालिशवाले, ब्रांड मैनेजर, आदि की अहम भूमिका होती है।
(ख) युद्ध-क्षेत्र में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों की वीरता का श्रेय सेना के उन अधिकारियों को मिलता है, जो केवल नीति-निर्धारित करते हैं।
(ग) राजनैतिक क्षेत्र में संगतकारों की पंक्ति सबसे लंबी होती है, सामान्य जनता और कार्यकर्ताओं के द्वारा किए गए प्रयास का श्रेय उच्च नेताओं को मिलता है। हाल फिलहाल के दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
(घ) शैक्षिक क्षेत्र भी संगतकारों से अछूता नहीं है। अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए अनेक अध्यापक प्राचार्य के लिए संगतकार की भूमिका निभाते हैं।
(च) श्रेष्ठ, पूजनीय कहे जाने वाले उच्च, सुप्रसिद्ध साधु- संतों की प्रसिद्धि में उनके शिष्यों की भूमिका रहती है।
(छ) भवन निर्माण के क्षेत्र में मजदूर लोग संगतकार की भूमिका निभाते हैं।
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
यह तो सर्व विदित है कि संगतकार मुख्य गायक/गायिका की हर संभव मदद करते हैं, और शायद इसीलिए कोई भी गाना इतना मधुर और प्रवाहपूर्ण हो जाता है। निन्मलिखित प्रकार से संगतकार मुख्य गायक/गायिकाओं की मदद करते हैं-
(क) जब मुख्य गायक/गायिका की सांस टूटने लगती है, तब संगतकार ऊँचे स्वर का अवरोह करके उसे सहारा देते है।
(ख) मुख्य गायक/गायिका के स्वर में अपना स्वर मिलाकर स्वर को प्रभावपूर्ण करते हैं।
(ग) मुख्यगायक/गायिका के भटक जाने पर स्थायी पंक्ति को बार-बार गाकर उसे सँभलने का अवसर देते हैं।
(घ) उनके स्वर में स्वर मिलाकर मुख्य गायक/गायिका को यह अनुभूति कराने में सफल होते हैं कि वह अकेले नहीं है।
(च) मुख्य गायक/गायिका के तार सप्तक में चले जाने पर अपने स्वर से उसे सँभाल लेते हैं।
(छ) जब मुख्य गायक/गायिका किसी अंतरे की जटिलताओं में उलझ जाते है, तब संगतकार उन्हें स्थायित्व प्रदान करते हैं।
(ज) संगतकार मुख्य गायक/गायिका के प्रभाव को बनाए रखने के लिए पूर्णतः तत्पर रहते हैं।
(झ) गायन के समय जब मुख्य गायक/गायिका का स्वर भारी होता है तब संगतकार अपनी आवाज़ से उसमें मधुरता भर देते हैं।
भाव स्पष्ट कीजिए-
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊचाँ न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
प्रस्तुत कविता ‘मंगलेश डबराल’द्वारा रचित “संगतकार”कविता से ली गई है। जिसमे कवि यह बताने का सफल प्रयास कर रहा है कि गायन के दौरान मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। कवि के अनुसार संगतकार की आवाज में संकोच स्पष्ट सुनाई देता है, परन्तु यह उसकी अयोग्यता न होकर अपने मुख्य गायक के प्रति उसका श्रद्धा भाव होता है। इसी श्रद्धा भाव के कारण वह सतर्क रहता है कि उसकी आवाज मुख्य गायक से ऊपर न चली जाए। जिससे मुख्य गायक की पहचान और उसका अस्तित्व कम न हो जाए। वह कितना भी उत्तम गायक हो परन्तु स्वयं को मुख्य गायक से कम ही रखता है। कवि ने संगतकार के ऐसे संकोच को उसकी विफलता न बताकर उसे मानवीय गुणों से संपन्न बताया है।
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
ख्याति प्राप्त लोगों का जीवन देखने से ज्ञात होता है कि वे दूसरों का सहयोग पाकर ही सफलता के शिखर को छूने में समर्थ हुए हैं। विश्व प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाडी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर इसका एक अच्छा उदाहरण हैं। ऐसा कहा जाता है कि सचिन के बड़े भाई उन्हें कोच रमाकांत अचरेकर के पास ले गए थे। इस तरह सचिन की सफलता के लिए बड़े भाई ने संघर्ष किया और अपनी इच्छाओ की कुर्बानी दी।
सामान्य-परिवार से संबंध रखने वाला बालक चंद्रगुप्त, आचार्य चाणक्य का सहयोग पाकर शक्तिशाली सम्राट बना। राम-भक्त शिरोमणि तुलसीदास, एक विपन्न बालक थे, जो नरहरिदास जैसे संत का सहयोग और प्रेरणा पाकर धन्य हो गए।
यह जानना कि संसार में दूसरों का सहयोग पाकर जीवन-पथ पर कितने लोग अग्रसर हुए, उससे अधिक महत्वपूर्ण यह जानना है कि सहयोग करने वाले के प्रति अंत तक कितने लोग कृतज्ञ बने रहे, क्यों कि आज कल के परिवेश में लोग सफल होने के बाद उन लोगो को भूल जाते हैं। यह संस्कारों का भी असर हो सकता है।
कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नजर आता है, उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
संगतकार उस अभिन्न सहारे की तरह काम करता है जिसकी जरूरत गायक को हमेशा पड़ती है। मुख्य गायक जब अपनी आवाज को ऊँची करते हुए तारसप्तक तक ले जाता है तो कभी-कभी उसकी आवाज बिखरने लगती है, उसका स्वर बैठने लगता है। स्थिति बिगड़ती हुई नजर आती है। संगतकार मुख्य गायक की इस स्थिति को समझता है। निराश हुए मुख्य गायक को सहारा देने के लिए संगीत की स्थायी पंक्ति को गाकर उसे निराश होने से और स्वर को बिखरने से बचा लेने की भूमिका का निर्वाह करता है।
सफलता के चरम शिखर पर पहुंचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
चरम किसी भी स्थिति में खराब ही होता है, फिर चाहे वो सफलता हो या असफलता। दोनों ही परिस्थितियों में धैर्य से काम लेना चाहिए। सफलता में अति उत्साहित नहीं होना चाहिए और असफलता में निराश भी नहीं होना चाहिए परन्तु लोग ऐसा करते नहीं। सफलता के चरम शिखर पहुँचने के दौरान लोग लड़खड़ाने लगते हैं। इस दौरान उसके सहयोगी विषम परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विश्वास देकर उसका आत्मबल बनाए रखने का भरसक प्रयास करते हैं। स्वयं आगे आकर सुरक्षा कवच बनकर उसके पौरुष की प्रशंसा करते हैं। उसके लड़खड़ाने का कारण ढूँढ़ते हैं और उन कारणों का समाधन करने के लिए सहयोगी अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं। उसकी पिछली असफलताओं को भूलने में मदद करते हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। आत्मीयता से पूर्ण रूपेण सहयोग करते हैं।
कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाएँ-
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
(क) एक धार्मिक उत्सव में मुझे प्रवचन करना था। प्रवचन का निश्चित समय निकट आ रहा था, मंच पर कार्यकर्ता उत्साह से व्यवस्था में जुटे थे किंतु मेरी घबराहट बढ़ रही थी। मेरा साथ देने वाले आचार्य अभी तक आए नहीं थे। विलंब का कारण पता नहीं चल रहा था। एक-एक पल भारी लग रहा था। समय बीता और मंच से कार्यक्रम आरंभ करने की सूचना दे दी गई। मैं मंच पर पहुँचा। वाचक की भूमिका प्रस्तुत कर रहा था। मन-ही-मन आचार्य के आने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था। दृष्टि पथ की ओर बार-बार आ-जा रही थी। इसी बीच आचार्य आते दिखाई दिए। ऐसा लगा कि टिमटिमाता दीपक पुनः स्नेह (तेल) पाकर पुलक कर जल उठा हो।
(ख) परिस्थिति का आकलन करूँगा। कार्यक्रम को स्थगित करने के लिए आग्रह करूँगा, लोगों से हुए कष्ट के प्रति संवेदना व्यक्त कर क्षमा याचना करूँगा। अवसर मिलते ही वहाँ से खिसकना उचित समझूँगा क्योंकि अधिक देर ऐसी स्थिति में वहाँ रुकना स्वास्थ्य और मर्यादा के लिए उचित न होगा।
आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
किसी भी समारोह की सफलता में उन लोगों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है जो लोग परदे के पीछे रहकर समारोह को सफल बनाने के लिए लगातार प्रयास करते हैं। विद्यालय में मनाए गए सांस्कृतिक समारोह की सफलता से यह ज्ञान हो गया कि समारोह की सफलता केवल समारोह में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की कुशलता पर निर्भर नहीं करती है। अपितु उन लोगो का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है जो लोग इसकी व्यवस्था देखते हैं और संचालन सुचारु रूप से करते हैं। ये सहयोगी समारोह के प्रारंभ होने से लेकर समारोह संपन्न होने तक सहयोग करते हैं। इनके बिना, अच्छे-से-अच्छे कलाकारों के होने पर भी व्यवस्था चरामरा जाती है। कार्यक्रम संपन्न हुए बिना बीच में ही खत्म हो जाता है। अतःकिसी समारोह की सफलता में जितना महत्व कुशल कलाकारों का होता है, उतना ही महत्व कुशल सहयोगियों का होता है। कुशल, अभ्यस्त सहयोगियों के अभाव में भी व्यवस्था, कुव्यवस्था में बदल जाती है और समारोह उपहास में बदल जाता है। अतः इनके प्रयास को नकारा नहीं जा सकता है।
किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर नहीं पहुँच पाते हैं क्योंकि सदैव सहायक के रूप में काम करते रहने से उनकी वैसी ही संकुचित आदत बन जाती है। जिससे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में अकेले में संकोच होता है। इस तरह उनके स्वभाव में साहस का अभाव हो जाता है। कई बार परिस्थितियां भी इतनी हावी हो जाती हैं कि संगतकार को मुख्य भूमिका नहीं मिल पाती और कई बार प्रतिभावान संगतकार राजनीति का शिकार भी हो जाते हैं।
दूसरी तरफ मुख्य गायक भी समय के अनुसार इतना योग्य और सतर्क हो जाता है कि संगतकार को मुख्य गायक की भूमिका में आने का अवसर ही नहीं देता है, क्यों कि शायद उन्हें ये डर बना रहता है कि कहीं ये संगतकार उनसे आगे न निकल जाए।
आप फिल्में तो देखते ही होंगे। अपनी पसंद की किसी एक फिल्म के आधार पर लिखिए कि उस फिल्म की सफलता में अभिनय करने वाले कलाकरों के अतिरिक्ति और किन-किन लोगों का योगदान रहा।
छात्र स्वयं ही किसी देखी हुई फिल्म के आधार पर योगदान करने वाले लोगों के बारे में लिखें।
आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध गायिका की गीत प्रस्तुति का आयोजन है-
(क) इस संबंध पर सूचना पट्ट के लिए एक नोटिस तैयार कीजिए।
(ख) गायिका व उसके संगतकारों का परिचय देने के लिए आलेख (स्क्रिप्ट) तैयार कीजिए।
(क) सूचना
महर्षि दयानंद सर्वोदय विद्यालय
रोहिणी, दिल्ली।
28-12-2019
विद्यालय के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय के सभागार में नव-वर्ष 2019 के आगमन पर दिनांक 1-1-2019, दिन मंगलवार को संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम दोपहर दो बजे से सायं छह बजे तक चलेगा। इस कार्यक्रम में अपने विद्यालय की संगीत शिक्षिका श्रीमती स्नेहप्रभा की संगीत प्रशिक्षिका श्रीमती पौडवाल पधार रही हैं। सभी छात्र-छात्रएँ अपने माता-पिता के साथ आमंत्रित हैं। सभी अभिभावाकों की उपस्थिति प्रार्थनीय है। कार्यक्रम निश्चित समय पर शुरू होगा। समय से पूर्व उपस्थिति प्रार्थनीय है। छात्र परिचय-पत्र लेकर आएँ।
धन्यवाद।
(ख) अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव में गीत प्रस्तुत करने वाली प्रसिद्ध गायिका श्रीमती पौडवाल के नाम से आप सब बखूबी परिचित हैं। माँ सरस्वती की असीम कृपा एवं अपने सुमधुर गीतों से उन्होंने पूरे देश में अपनी आवाज से लोगों का दिल जीता और एक अलग पहचान बनायी। देश भर के लाखों लोगों की हृदय-सम्राज्ञी अपने विद्यालय की संगीत-शिक्षिका के अथक प्रयास से अपने विद्यालय और नगर का गौरव बढ़ाने आ रही हैं।
ऐसी गौरवमयी भक्ति-संगीत गायिका का साथ देने वाले वाद्य कलाकार के रूप में अपने ही नगर के सुप्रसिद्ध तबलावादक शुभ मुखर्जी हैं। वीणा के तारों पर अपनी अँगुली का कर्तब दिखाने के लिए ‘वीणा-वादिनि’के नाम से मशहूर कुमारी प्रतिभा आ रही हैं, जो वीणा के तारों की झंकार और भंगिमा के लिए संपूर्ण नगर में ख्याति-प्राप्त हैं। आप सभी लोगो से गुजारिश है कि जोरदार तालियों से इनका सभी का स्वागत किया जाय।