कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
कवि ने अपने जीवन में ऐसी कोई ख़ास उपलब्धि हासिल नहीं कि है जिसे वह आत्मकथा के माध्यम से समाज को बता सके या समाज के सामने रखकर एक उदाहरण की तरह पेश कर सके| कवि का जीवन भी उतना सुखदायी नहीं रहा है और इसी कारण से वह अपने दुखद अनुभवों को समाज के सामने पेश नहीं करना चाहता| कवि अपनी जिंदगी के उन दुखद अनुभवों को समाज के सामने नहीं रखना चाहता और इसी कारण उसे अपनी आत्मकथा लिखने में रूचि नहीं है अथवा वह अपनी आत्मकथा लिखने से बचना चाहता है|
आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है?
कवि इस समय को अपनी आत्मकथा लिखने के लिए उचित नहीं मानते क्योंकि उनकी जिन्दगी संघर्षपूर्ण रहा है और इन्हें वह अपने तक सीमित रखना चाहता है समाज के सामने नहीं रखना चाहता|
कवि का मानना है कि उसके जीवन में ऐसे अनुभव नहीं है जिन्हें वह समाज के सामने रखे और समाज उससे प्रेरणा ले सके|
उसकी जिंदगी में इस प्रकार के अनुभव भी नहीं है जिन्हें समाज के सामने रखा जा सके| इसी कारण से कवि अपनी आत्मकथा सुनाने के लिए अभी के समय को उचित नहीं मानता|
स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
कवि का जीवन बहुत ही संघर्षशील एवं दुखद रहा है और उसे अपनी आगे की जिंदगी में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है| वह अपने जिंदगी के अनुभवों, कष्टों से आहत और निराश है और उसका जीवन में आगे बढ़ने का उत्साह समाप्त हो गया है|
इस प्रकार की स्थिति में जब कोई यात्री अपने पथ पर आगे नहीं बढ़ना चाहता है तब उस स्थिति में पाथेय उसे अपने पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है| इसी प्रकार से कवि भी अपने जीवन के इस पड़ाव पर अपने जीवन की उन सुखद स्मृतियों को पाथेय बनाकर आगे जीना चाहता है| वह अपने जीवन के उन निराशजनक पलों, दुखद अनुभवों से लड़ने के लिए अपनी सुखद स्मृतियों को आधार बनाकर आगे के जीवन के लिए उन स्मृतियों को पाथेय बनाकर अपना जीवन गुजारना चाहता है|
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया|
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
(क) यहाँ कवि कहना चाह रहा है कि जिस प्रेम एवं जिन सुखद अनुभवों के वह स्वप्न देख रहा था| अपनी जिंदगी में वह उसका कभी अनुभव ही नहीं कर पाया| वह सुख उसे मात्र स्वप्न में प्राप्त हुआ और झांकी दिखाकर गायब हो गया| असल जिंदगी में उसे मात्र दुखद अनुभव ही मिले| जिस प्रेम और सुखद अनुभवों की उसने कल्पना की थी वह उसे कभी प्राप्त ही नहीं हुआ|
(ख) कवि अपनी प्रेयसी की स्मृतियों में मग्न हो जाता है और उसकी सुन्दरता, खूबसूरती का वखान करते हुए कहता है कि उसके गालों की लालिमा के सामने उषा की लालिमा भी फीकी है|
‘उज्जवल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
इस कथन के माध्यम से कवि अपनी प्रेयसी के साथ गुजारे गए उन मधुर पलों के बारे में बात कर रहा है| इस कथन के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि उसने जो मधुर पल अपनी प्रेमिका के साथ गुजारे थे, वह अब अतीत बन गया है| उस वक्त और उन स्मृतियों का अब आभास मात्र शेष है| इसीलिये उन सुखद क्षणों का वर्णन करना अथवा उन्हें अभिव्यक्त करना उसके लिए मुश्किल कार्य है| वे उसकी जिंदगी के निजी अनुभव है और उन्हें वह अपनी स्मृतियों में ही शेष रखना चाहता है सबके सामने अभिव्यक्त नहीं करना चाहता क्योंकि ऐसा करना उचित भी नहीं और वह ऐसा करना भी नहीं चाहता|
‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. कवि ने इस कविता में खड़ी बोली के परिष्कृत रूप का उपयोग किया है|
आत्मकथ्य में तत्सम शब्दों को भावों के अनुकूल किया गया है| उदाहरण-
‘‘इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास।’’
‘‘भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।।’’
2. इस कविता में कवि ने प्रतीकात्मक शब्दों का काफी प्रयोग किया है| उदाहरण-
‘‘मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आप घनी।’’
यहाँ ‘मधुप’ मन का प्रतीक है, तो ‘मुरझाकर गिरती हुई पत्तियाँ’ नश्वरता का प्रतीक है।
3. इस कविता कवि ने प्रकृति प्रसंगों के माध्यम से कवि ने प्रेयसी के सौदर्य को अभिव्यक्त किया है| उदाहरण-
‘‘जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।’’
4. अलंकारों के प्रयोग ने भी इस कविता के काव्य को काफी रोचक बना दिया है| उदाहरण-
पुनरुक्तिप्रकाश- आलिंगन में आते-आते।
अनुप्रास अलंकार- 1. हँसते होने वाली।
2. कौन कहानी यह अपनी।
कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में अपनी प्रेयसी के माध्यम से अभिव्यक्त किया है| उसकी प्रेयसी स्वप्न सुंदरी थी| वह सुन्दरता की जीवंत प्रतिमा थी| वह उसके स्वपन में आती है और फिर जब कवि उसके साथ आलिंगन की कोशिश करता है तो वह स्वप्न से गायब हो जाती है| कवि का अपनी प्रेयसी के साथ उन सुखद क्षणों की कामना अंततः अधूरी ही रह गयी| इस प्रसंग को कवि ने आत्मकथ्य कविता में निम्न प्रसंग के माध्यम से अभिव्यक्त किया है-
‘जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।’
इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
कवि सीधा साधा, व्यवहारिक और विनम्र इंसान है| वह योग्य और बड़ी सादगी से अपने आलोचकों और उसके साथ धोखा करने वाले मित्रों अथवा अन्यों को व्यंग्य के माध्यम से जवाव दे देता है| लेकिन वह एक विनम्र व्यक्ति है इसी कारण से उसके उस व्यंग्य में भी विनम्रता होती है| कवि अपने छोटे से जीवन के सुखों और दुखों को व्यक्त नहीं करना चाहता| अपने जीवन के उन निजी अनुभवों को वह अपने तक ही सीमित रखना चाहता है| कवि द्वारा अपनी प्रेयसी के साथ गुजारे गए सुखद क्षणों को भी समाज के सामने अभिव्यक्त नहीं करना चाहता और इसीलिये वह कविता में एक स्थान पर कहता है कि-
‘‘छोटे से जीवन की कैसी बड़ी कथाएँ आज कहूँ।’’
आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?
मैं ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा| इसके पीछे अनेक कारण है| सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि मैं एक विद्यार्थी हूँ और प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अब्दुल कलाम एक प्रेरणा है| उनके जीवन से हम सीख सकते हैं कि अपने विद्यार्थी जीवन को किस प्रकार से सार्थक बनाया जाए, किस प्रकार से बेहतर शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को बेहतर बनाया जाए| इसके साथ ही उनके जीवन से अनेक बातें सीखकर हम अपने जीवन में उतार सकते हैं| उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है जिसे में अपने जीवन में अपना सकता है, वह यह है कि किस प्रकार से जीवन में विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला किया जाए| इस प्रकार की अनेक बातें हैं जिनके कारण में अब्दुल कलाम की आत्मकथा को पढ़ना पसंद करूँगा|
कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा ‘‘आलो आंधारि’’ बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
मैं कक्षा 10 वीं का विद्यार्थी हूँ| मुझे विद्यालय जाने, शिक्षा ग्रहण करने में काफी रूचि है| विज्ञान मेरा प्रिय विषय है| इसके पीछे यह कारण है कि विज्ञान को पढ़कर हम प्रकृति में होने वाली घटनाओं को असल में समझ सकते हैं कि उनके घटने के पीछे क्या कारण था| इसके अलावा मैं विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी भाग लेता हैं जैसे कि-नृत्य, संगीत, खेल| संगीत में मेरी काफी रूचि है| संगीत आपके जीवन को सुखद और रोचक बना देता है| में घर में अथवा रास्ते में चलते हुए या फिर खाली वक्त में गाने गुनगुनाता रहता था| कुछ वक्त के बाद धीरे-धीरे मैंने विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक गायक के तौर पर भाग लेना शुरू कर दिया| मैं अपने माता-पिता से बहुत प्रेम करता हूँ| विद्यालय से घर आकर में बहुत सारा वक्त अपनी माँ के साथ गुजारता हूँ| मेरे और मेरी माँ के बीच गहरा प्रेम संबंध है| में उनकी उनके घरेलु कार्यों में लगातार मदद करता हैं इसके पीछे उद्देश्य सिर्फ यही होता है कि उनके साथ अधिक से अधिक वक्त बिताया जा सके ताकि मैं उनके प्रेम का आनंद ले सकूँ|