लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दो का प्रयोग अधिक होता है परन्तु समझ में कम आता है। इनके साथ अनेक तरह के भारी भरकम विशेषण लगा देने से इन्हे समझना और भी कठिन हो जाता है। लोग इनके संबंध में अपने विचार प्रस्तुत करते हैं लेकिन आम जनता की इन शब्दों अथवा इनके अर्थ के संबंध में अब तक एक स्पष्ट समझ नहीं बन पायी है| लोग अपने हिसाब से इन शब्दों अथवा अवधारणाओं को उपयोग करते हैं एवं अपनी सुविधा के अनुसार ही वे इनका अर्थ निकालते हैं| अतः इन दोनों शब्दों के संबंध में अर्थ की दृष्टि से एवं इनके उपयोग की दृष्टि से भी समाज एवं कहें तो लेखक वर्ग में भी अब तक सही समझ नहीं बन पाई है|
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
जब आग का आविष्कार नहीं हुआ था तब आग की खोज मनुष्य के लिए सबसे बड़ी प्रसन्नता रही होगी| क्योंकि उस समय मनुष्य का उतना विकास नहीं हुआ था और वह पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों को उपयुक्त तरीके से उपयोग करने में सक्षम नहीं हो पाया था| आग का अविष्कार अपने आप में एक बहुत बड़ा आविष्कार है। उस दौर के समय की दृष्टि से यह एक बड़ी खोज थी| आग का महत्व और उपयोग सबसे अधिक है। अन्य बहुत से कार्यों में आग की सबसे अधिक उपयोगिता भोजन पकाने में है। ठंड से बचने, अंधकार के वक्त प्रकाश उपलब्ध कराने एवं अन्य कार्यो में इसकी आवश्यकता इसकी खोज के मूल में रही होगी| आग मानव जीवन में एक मूलभूत संसाधन है| आग की खोज का मुख्य कारण रोशनी की जरुरत तथा पेट की ज्वाला रही होगी| कच्चे माँस का स्वाद अच्छा न लगने के कारण उसे पकाने एवं अन्य प्रकार के भोजन को पकाने के लिए आग एक मूलभूत साधन है| संक्षेप में कहा जाए तो मानव जीवन में आग की महत्ता ही इसकी खोज के पीछे रही होगी|
वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
ऐसा व्यक्ति जो अपनी योग्यता और बुद्धि के आधार पर नए तथ्य की खोज करता है, नए सिद्धांत स्थापित करता है, उसके वावजूद भी वह स्वभाव से साधारण एवं विनम्र रहता है संस्कृत व्यक्ति कहलाता है|
उदाहरण के तौर पर देखें तो महानतम वैज्ञानिक न्यूटन ने अपने बुद्धि का उपयोग कर भौतिकी के सबसे मूल नियम जिसे गुरुत्वाकर्षण का नियम कहते हैं को भौतिकी में प्रतिस्थापित किया| इसी कारण उन्हें संस्कृत व्यक्ति कहना उचित होगा| ऐसे व्यक्ति संस्कृत व्यक्ति ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनमें विशिष्ट गुण होते हैं, जो बहुत प्रतिभाशाली होते हैं, विनम्र होते हों, साधारण होते हैं, दुनिया एवं समाज को एक बेहतर नजरिये से वे देख पाते हैं एवं उसे समझने की कोशिश करते हैं| ऐसे व्यक्ति संस्कृत व्यक्ति कहलाते हैं|
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
लेखक के अनुसार संस्कृत व्यक्ति वह है जो अपनी बुद्धि एवं कौशल के बल पर नयी खोज को अंजाम दे सके, नए तथ्यों को खोज सकें, विज्ञान के रहस्यों को सुलझा सके| लेखक के अनुसार न्यूटन एक संस्कृत व्यक्ति थे क्योंकि उन्होंने अपनी बुद्धि के कौशल से भौतिकी के मूल सिद्धांत जिसे गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत कहते हैं को स्थापित किया| आज गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत से अनेक लोग परिचित हैं और उनके पास भी न्यूटन जितनी जानकारी है लेकिन ऐसे व्यक्ति लेखक के अनुसार संस्कृत व्यक्तियों की श्रेणी में नहीं आते क्योंकि संस्कृत व्यक्ति वह होता है जो अपनी बुद्धि के बल पर नए सिद्धांतों को स्थापित करता है, नए तथ्यों की खोज करता है| सिर्फ जानकारी प्राप्त कर लेने से कोई व्यक्ति संस्कृत व्यक्ति नहीं हो जाता, जानकारी होने के साथ-साथ उसके पास दुनिया को एक अलग नजर से देखने का कौशल भी होना चाहिए|
किस महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
पृथ्वी के अनेक हिस्सों में मौसम चरम होता है| विभिन्न ऋतुओं के अनुसार पृथ्वी के तापमान एवं मौसम में परिवर्तन आते रहते हैं| मनुष्य जब मौसम की विपरीत परिस्थितियों को सहन करने में असमर्थ हो गया होगा तो उसने कपड़ों को सिलने के लिए सुई धागे का आविष्कार किया होगा ताकि वह अपने शरीर के आकार के अनुसार बेहतर कपड़े सिल सके और अपने शरीर को विपरीत मौसम से बचा सके|
उसके बाद आगे के दौर में मनुष्य का जब विकास हुआ होगा तो उसे अपने लिए बेहतर कपड़ों की चाह रही होगी और उसने इसके लिए भी सुई धागे के आविष्कार के बारे में सोचा होगा ताकि वह कपड़े के दो भागों को आपस में जोड़कर एक बेहतर पोशाक बना सके और उस धारण करके अपने आपको बेहतर तरीके से पेश कर सके|
‘‘मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।’’ किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब-
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है| यहाँ विभिन्न संस्कृतियों के लोग वर्षों से एक साथ मिलजुलकर रह रहे हैं| ऐसे भी मौके आये जब उन्हें विभिन्न आधारों पर बांटने की कोशिशें हुई लेकिन हमारे देश की सांस्कृतिक जड़ें बहुत मजबूत हैं| उदाहरण के तौर पर अंग्रेजों ने परतंत्रता के दौर में भारत के लोगों को धर्म के आधार पर हिन्दू और मुसलमानों में बांटने की कोशिश की लेकिन भारत की सांस्कृतिक जड़ें बहुत मजबूत हैं और इसी कारण से अंग्रेजों के अथक प्रयासों के वावजूद भारतीयों ने इस प्रकार की कोशिशों के हर दौर में एकता का परिचय दिया और इस प्रकार की साजिशों का एक होकर मुकाबला किया|
(ख) भारत में सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं क्योंकि भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है और प्रत्येक धर्म, जाति, वंश, रंग, रूप के लोग यहाँ मिलजुलकर रहते हैं| अनेक बार धर्म के आधार पर हिन्दू मुस्लिमों को एक दूसरे से लड़ाने की कोशिश की गयी लेकिन भारतीयों ने इसका जमकर मुकाबला किया| उदाहरण के तौर पर 1909 में जब अंग्रेजों ने साम्प्रदायिक मतदान पद्धति को लागू किया तो उस दौर में भी अनेक मुस्लिम नेताओं ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर प्रगतिशील विचारधारा का साथ दिया और भारत के लिए पूर्ण आजादी की बात की| एक और अन्य उदाहरण के रूप में देख सकते हैं, मुसलमानों को हिन्दुओं के खिलाफ खड़ा करने के लिए अंग्रेजों ने मुसलमानों को अनेक प्रकार की सहूलियतें दी थीं लेकिन उसके वावजूद भी मुसलमानों ने भारत की आजादी की लड़ाई में हर कदम पर चाहे वह असहयोग आन्दोलन हो, डांडी यात्रा हो या फिर आगे भी, मुसलमानों ने प्रत्येक बार आजादी के लिए हुए संघर्ष में बढ़-चढ़कर भाग लिया और भारत के लिए पूर्ण आजादी का समर्थन किया|
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
मानव समाज अपने शुरूआती चरण से ही अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित रहा है| शुरुआत में मानव अकेला रहता था तो उसे जानवरों एवं अन्य मानवों से खतरा होता था| तव उस दौर में उसने अपनी सुरक्षा के लिए धातु एवं पत्थर के हथियारों का आविष्कार किया| उसके पश्चात धीरे-धीरे मानव के विकास के साथ-साथ उसकी असुरक्षाएं भी बढ़ती गयीं और उसने अपनी सुरक्षा के लिए अपनी योग्यता के आधार पर विभिन्न प्रकार के साधन विकसित करने शुरू कर दिए| जैसे कि- रासायनिक हथियार, जैविक हथियार एवं अन्य| अपनी सुरक्षा के साधन विकसित करना कहीं भी गलत नहीं है लेकिन वर्तमान दौर में मानव के द्वारा अपनी बुद्धि एवं कौशल के दम पर सुरक्षा के लिए जिस प्रकार के साधनों का विकास किया गया है वे इतने खतरनाक हैं कि एक-एक हथियार के प्रयोग की पूरी दुनिया का अंत संभव है| सीधी बात कहें तो ये साधन मानव की सुरक्षा कम दुनिया के विनाश के लिए ज्यादा उत्तरदायी है| तब यहाँ यही कहना उचित है कि मानव मानव की योग्यता जो उससे उसके आत्म-विनाश के साधनों का विकास कराती है वह कुसंस्कृति ही है, वह किसी भी प्रकार से संस्कृति नहीं है|
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है| मेरे अनुसार संस्कृति हमारे सोचने-विचारने का तरीका, हमारा समाज के अन्य लोगों से व्यवहार, हमारे चरित्र के गुण, हमारी सोच, जिंदगी जीने का तरीका, अपने आपको अभिव्यक्त करने का तरीका संस्कृति है| जबकि सभ्यता के अंतर्गत मनुष्य के रहन-सहन, जीवन जीने, खान-पान आदि का तरीका आता है|
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए-
गलत-सलत
आत्म-विनाश
महामानव
पददलित
हिंदू-मुसलिम
यथोचित
सप्तर्षि
सुलोचना